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मिलेट खाने के 12 फायदे | 12 benefits of eating millet (Bajra)

benefits of eating millet (Bajra) | मिलेट खाने के 12 फायदों को जानकर आप सोच में पड़ जाएँगे कि इतने छोटे से दिखने वाले बीज इतने अधिक गुणकारी कैसे हो सकते हैं? इसलिए आपको वैज्ञानिकों और न्‍यूट्रिशन एक्‍सपर्ट की मिलेट के विषय में राय को जानना आवशयक है। उनके अनुसार मिलेट ऐसा अनाज हैं जिसे खाने के ढेरों फायदें हैं। यदि आप मिलेट को अपना मुख्‍य भोजन बनाते हैं, तो आप अनेक गंभीर रोगों से अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हो जाते हैं।

आप इस लेख के द्वारा मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों के आधार पर मिलेट खाने के फायदों को सरलता से समझ पाएंगे। इतना ही नहीं आप अपनी विश्‍लेष्‍णात्मक बुद‍्धि (analytical intelligence) का प्रयोग कर स्‍वयं निर्णय कर पाएँ कि वाकई मिलेट खाने के इतने फायदे हो सकते हैं। तो शुरू करते हैं-  

मिलेट शरीर की अम्‍लता दूर करते हैं | Benefits of eating millets–  To remove acidity in Hindi

विशेषज्ञों के अनुसार मिलेट खाने से शरीर की अम्‍लता (acidity) को दूर किया जा करता हैं। शयद आप में से कुछ लोगो को पता ना हो कि शरीर की अम्‍लता (acidity) हैं क्‍या? चलो पहले आपके इस प्रश्‍न का उत्‍तर देते हैं….

शरीर की अम्‍लता क्‍या हैं? | What is acidity in Hindi? 

जब हम भोजन करते हैं। तो हमारे पेट में गैस्टिक जूस उत्‍पन्‍न होते हैं जिन्‍हें एसिड कहते हैं। आयुर्वेद में इसे अम्‍ल कहा जाता है। विज्ञान में इसे हाइड्रोक्‍लोरिक एसिड (HCL) कहते हैं। यह एसिड हमारे द्वारा खाए गए भोजन को पचाने का कार्य करता हैं। वास्‍तव में हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार हैं कि हमारा पेट हर 3 से 4 घंटे में यह एसिड छोड़ता हैं। जब हम गलत लाइफस्‍टाइल को फालो करते हैं। जैसे- असमय भोजन करना, देर तक जागना, इत्‍यादि। तब शरीर में यह एसिड अधिक बनने लगता है। जिससे अपच (Indigestion) की समस्‍या होने लगती हैं जिसे विज्ञान में गैस्‍ट्रोसोफेजिअल रिफ्लक्‍स डिज़ीज कहते हैं। सरल भाषा में इसे एसिडिटी कहते हैं।

सारांश | Summary

एसिडिटी को सम (Neutral) करने के लिए anti-acidic पदार्थों का सेवन किया जाता हैं। anti-acidic को आयुर्वेद में ‘क्षार’ करते हैं। मिलेट में मौजूद पौषक तत्‍व शरीर के एसिड को न्यूट्रल करने में सहायक होते हैं। मिलेटस में पाए जाने वाले पोषक तत्‍व शरीर की अम्‍लता को प्रकृतिक रूप से दूर करने का कार्य करते हैं।

मिलेट नियासिन (विटामिन बी3) का अच्‍छा स्रोत्र हैं | Bajra khane ka fayda– It’s good source of niacin in Hindi?

न्‍यूट्रिशन एक्‍सपर्ट के अनुसार मिलट नियासिन प्राप्ति का प्रकृति स्रोत्र हैं। सभी प्रकार के मिलेटस में नियासिन पाया जाता हैं। अब आपके मस्तिष्‍क में यह प्रश्‍न उठना स्‍वभाविक है कि यह नियासिन क्‍या हैं? चलो अब इसे समझ लेते है-

नियासिन क्‍या है और यह क्‍यों आवश्‍यक हैं? | What is niacin & why it is important in Hindi?

वास्‍तव में नियासिन को Vitamin B3

कहते हैं। Vitamin B3 हमारे शरीर की मेटाबॉलिज्‍म की प्रक्रिया को ठीक रखने के लिए आवश्‍यक है। यदि हमारे शरीर में Vitamin B3 की कमी हो जाएं तो शरीर की कई प्रक्रियाएं ठीक से काम नहीं करती। इतना ही नहीं Vitamin B3 हमारे रक्‍त में अच्‍छे कोलेस्‍ट्राल (HDL) को 35 प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद करता हैं। यह ब्‍लड में मौजूद ट्राईग्लिसराइड को नियंत्रित करता हैं, लो बीपी, दिल का दौरा, स्‍ट्रोक, गठिया के दर्द जैसे रोगों को कम करने में मदद भी करता है।   

सारांश | Summary

वास्‍तव में अन्‍य Vitamin की तरह Vitamin B3 भी पानी में घुलनशील होते हैं। इसलिए यह शरीर में सरंक्षित नहीं होता है। इसलिए इसे भोजन या दवाओं के माध्‍यम से लिया जाता हैं। सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह हैं कि हमारे शरीर को अपना कार्य ठीक से करने के लिए Vitamin B3 की एक निश्चित मात्रा कि आवश्‍यकता होती है। इस मात्रा का निर्धाण विभि‍न्‍न आयु वर्ग की शारीरिक अवश्‍यकताओं के आधार पर होता हैं।

जिसे आप नीचे दिए चार्ट के द्वारा भली भांति जान सकते हैं—

आयुअनुमानित मात्रा (मिलीग्राम)mg
0-6 महीने2 mg
7-12 महीने4 mg
1- 3 वर्ष6 mg
4- 8 वर्ष8 mg
9- 13 वर्ष12 mg
14- 18 (लड़को के लिए)16 mg
14-18 (लड़कियों के लिए)14 mg
19 वर्ष से अधिक पुरूष16 mg
19 वर्ष से अधिक महिला14 mg
गर्भवती महिला के लिए18 mg
स्‍थनपान करने वाली महिला17 mg

यदि आप vitamin B-3 को भोजन के रूप में लेते हैं। तब अतिरिक्‍त vitamin अपने आप मल के सा‍थ बाहर निकल जाता  हैं। इसका कोई साइड इफेक्‍ट्स भी नहीं होता। दुसरी तरफ यदि आप vitamin B3 को दवा के रूप में लेते हैं, तो इसके कई साइड इफेक्‍ट्स हो सकते हैं। जैसे-

1 डायरिया
2 कफ का बढ़ना
3 सिर चकराना
4 हार्ट बीट का तेज होना
5 उल्‍टी आना
6 भूख ना लगना
7 आँखों व त्‍वचा का पीला पड़ना
8 डार्क रंग का यूरिन
9 हल्‍के रंग का स्‍टूल
10 ऊर्जा की कमी
दवा के रूप में Vitamin B-3 लेने के साइड इफेक्‍ट्स

निश्चित रूप से अब तो आप समझ गए होगें कि नियासिन क्‍या है और यह हमारे लिए क्‍यों आवश्‍यक हैं? मिलट खाने का एक फायदा यह हैं कि यह vitamin B-3 की प्राप्‍ति का प्रकृति स्रोत्र है। इसलिए इसका कोई साइड इफेक्‍ट्स नहीं होता।

मिलेट टाइप-1और टाइप-2 डायबिटीज दूर करते हैं | Bajra khane ka fayda– In type-1 & type-2 diabetes in Hindi

पोषक तत्‍व विशेषज्ञों के अनुसार मिलेट टाइप-1 और टाइप- 2 डायबिटीज से बचाते है। सबसे पहले यह समझ लते हैं कि डायबिटीज रोग हैं क्‍या? फिर यह जानेंगे कि टाइप-1 और टाइप- 2 डायबिटीज रोग में क्‍या अंतर  हैं? साथ ही यह जानेंगे कि मिलट हमें इनसे कैसे बचाते हैं?

डायबिटीज रोग हैं क्‍या? | What is diabetes disease in Hindi

मानव शरीर की संरचना ऐसी है कि जब हम भोजन करते हैं तो वह पच कर शुगर (Glucose) में बदल जाता हैं और हमारे blood में जम जाता हैं। तब रक्‍त उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुँचाने का कार्य करता हैं। ताकि हमारे शरीर की प्रत्‍येक कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से कर सके। शरीर में अग्‍न्‍याशय (Pancreas) में इन्‍सुलिन (Insulin) और बीटा कण (Beta cell) बनाता है। यह बीटा सेल्‍स ही ग्लूकोज की मात्रा को blood में छोड़ने का कार्य करते हैं। जब मानव शरीर में Pancreas इन्‍सुलिन बनाना बंद कर देती है या कम कर देती है। तब ग्लूकोज कोशिकाओं में जाने की बजाए रक्‍त में ही जमा होने लगता है। इसे स्‍थिति को ही वैज्ञानिकों डायबिटीज रोग कहते हैं। diabetes disease अनुवांशिक या गलत लाइफ़स्‍टाइल को फालो करने के कारण होता।  

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में क्‍या अंतर हैं। | What is the difference between type-1 & type-2 diabetes

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में क्‍या अंतर हैं। | What is the difference between type-1 & type-2 diabetes

टाइप- 1 डायबिटीज रोगटाइप- 2 डायबिटीज रोग
यदि बचपन में ही पेनक्रियाज  इन्‍सुलिन और बीटा कण  बनाना बंद कर देता है। इस स्थि‍ति को टाइप-1 डायबिटीज कहते हैं।जबकि टाइप-2 डायबिटीज में शरीर में इन्‍सुलिन और बीटा कण बनना धीरे-धीर कम हो जाता हैं।
टाइप-1 डायबिटीज होने का मुख्‍य कारण अनुवांशिक हैं। किंतु यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के ताजा अध्‍ययन के अनुसार यह रोटा वायरस के कारणों से भी यह रोग होता है।जबकि टाइप-2 डायबिटीज होने का मुख्‍य कारण मोटापा, हायपरटेंशन और हमारा गलत लाइफस्‍टाइल को फालो करना  है।
इसमें डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन के शरीर मे पहुँचाने के लिए इंजेक्‍शन या पंप का प्रयोग किया जाता है।इसमें डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन के शरीर मे पहुँचाने के लिए दवाओं के साथ-साथ लाइफस्‍टाइल में सुधार किया जाता हैं। 
difference between type-1 & type-2 diabetes

सारांश | Summary

डायबिटीज रोग होने का मुख्‍य कारण हमारे ब्‍लड में ग्लूकोज की मात्रा का बढ़ जाना हैं। ‘डॉ खादर वली’ के अनुसार हमारे आहार में मौजूद फाइबर के द्वारा इस बात का निर्धाण होता हैं कि अधिक मात्रा में ग्लूकोज का उत्‍पादन करना हैं या कम मात्रा में।वर्तमान समय में हम जो अनाज खा रहे हैं वह Negative grains (गेंहु और चावल) हैं। इन दोनो में फाइबर की मात्रा केवल 0.2 से 1.2 % तक ही हैं। व‍ह भी इनकी ऊपरी परत में। जब इन्‍हें पॉलिश किया जाता हैं तो वह भी समाप्‍त हो जाती हैं।

इसलिए जब हम इन grains से बने भोजन को खाते हैं। तो भोजन करने के 15 से 35 मिनट के अंदर ही वह पचने की स्थिति में पहुँच जाता है। परिणाम स्‍वरूप शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। 

केवल यही नहीं हम मैदे से बने अनेक प्रकार के बेकरी प्रोडक्‍टस का प्रयोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कर रहे हैं। जैसे बिस्‍कुट, केक, कुकिज आदि। बनाने में किया जाता हैं। मैदा, गेंहू के आटे से ही बनाया जाता हैं। मैदा बनाने के लिए गेंहू के आटे में अलोक्‍सान रसायन (alloxan chemical) का प्रयोग किया जाता है। इसलिए जब कोई व्‍यक्ति मैदे से बने पदार्थों को नियमित रूप से खाता हैं। तो यह रसायन धीरे-धीरे उसके शरीर की पांक्रियाटिक ग्रंथि में बीटा कणों को उत्‍पन्‍न करने की शक्ति कम करता जाता हैं। अब तो आप समझ गए होंगे कि हमे ऐसा भोजन करना चाहिए जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो।अत: मिलेट यानी positive grain हमें टाइप-1 और टाइप- 2 डायबिटीज से किस प्रकार बचाते हैं। 

मिलेट फैट (मोटापा) कम करने में सहायक हैं| Benefits of eating millet To reduce fat     

 मिलेट fat loss करने में हमारी मदद करतेे हैं। पर सबसे पहले आपको यह पता होना आवश्‍यक हैं कि फैट क्‍या हैं? और फैट क्‍यों आवश्‍यक है? तो पहले इसे समझते हैं….

फैट है क्‍या और यह क्‍यों आवश्‍यक हैं? | What is fat & why it is essential in Hindi?

वास्‍तव में फैट को हिंदी में ‘वसा‘ या ‘चिकनाई‘ और विज्ञान में इसे ‘लिपिड’ भी कहते हैं। फैट का कार्य हमारे शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में मदद करना और हमारे शरीर को ऊष्‍मा और ऊर्जा देना है। विशेषज्ञों के अनुसार एक स्‍वास्‍थ व्‍यक्ति को 100 ग्राम फैट की आवश्‍यकता प्रतिदिन होती है। यदि हम अपने भोजन से प्राप्‍त ऊर्जा की खपत नहीं करते तो वह ग्लूकोज के रूप में शरीर में जमने लगती है। तब शरीर की संरचना ऐसी है कि वह उस जमें हुए ग्लूकोज से ग्लाईकोजन फैट (मांस) बनाना शुरू कर देता है।

जिसके परिणाम स्‍वरूप हमारे पेट, कमर, कूल्‍हों आदि के ऊपर मांस बढ़ने लगता है। इसके लिए आप हमारे ‘फैट (वसा) के प्रकार: फायदे और नुकसान’ लेख अवश्‍य पढ़ना चाहिए। इस लेख को पढ़कर आप भली-भांति जान पाएँगे कि मानव शरीर में फैट कैसे बनता है और फैट कितने प्रकार का होता हैं।

सारांश | Summary

वैज्ञानिकों और पोषक तत्‍व विशेषज्ञ डॉ.खादर वली के अनुसार बाजरे में अधिक मात्रा मात्रा में फाइबर और ट्रिप्‍टोफैन (एमिनो एसिड) पाया जाता है। जब हम मिलेट को अपने मुख्‍य भोजन के रूप में लेते हैं तो फाइबर और ट्रिप्‍टोफैन के कारण वह धीमी गति से पचता है। परिणाम स्‍वरूप पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। जिससे हम ज्‍यादा खाने से बच जाते हैं। नतीजा यह होता है कि हम बड़े आराम से अपने वज़न को कम करने में सफल हो जाते है।

मिलेट कैंसर रोग से मुक्‍ति में मदद करते हैं | Benefits of eating Millet– To get rid of cancer 

आपको जानकर अचरज होगा कि 21 प्रकार के कैंसर रोगों में मिलेट को भोजन के रूप में खाने से, मुक्‍ति मिलना संभव है। इस बात का खुलासा हाल ही में हुई रिसर्चों से हुआ है। शायद आप में से कुछ लोगो को पता ना हो कि कैंसर रोग क्‍या होता है? यदि आप कैंसर रोग को जान लेगे तो आप भली-भाति जान पाएँगे की मिलेट उसे दूर करने में कैसे सहायक होते हैं? आइए पहले कैंसर रोग को समझ लेते हैं-

कैंसर रोग हैं क्‍या? | What is cancer disease in Hindi?

जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमरा शरीर अनेक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना है। इन कोशिकाओं का निर्माण हमारे शरीर की जरूरतों के अनुसार लगातार होता रहता है। शरीर में सभी कोशिकाएँ नियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। किंतु जब शरीर के मेटाबलिज्‍म के अंदर प्रदूषण बढ़ जाता हैं। तब कोई कोशिका अपने ऊपर नियंत्रण खो देती है और अनियंत्रित रूप से शरीर में बढ़ने लगती है। इस अनियंत्रित कोशिका के बढ़ने को ही कैंसर कहते है।

कैंसर कोशिका लसिका तंत्र (Lymphatic system) या रक्‍त के माध्‍यम से शरीर के अन्‍य हिस्‍सों तक फैल सकती है। जैसे- जैसे कैंसर कोशिकाएँ बढ़ती हैं और समुह का रूप ले लेती हैं तो उसे ट्यूमर कहते हैं। यह ट्यूमर आस- पास के Tissue पर हमला करके उन्‍हें नष्‍ट करने लगते हैं। यदि ट्यूमर को कीमोथैरपी से जला भी दिया जाए तो भी बीमारी खत्‍म नहीं होती।

बीमारी को खत्‍म करने के लिए जरूरी है कि शरीर के मेटाबॉलिज़्म (metabolism) में हो रहे प्रदूषण को रोका जाए।   आपको लसिका तंत्र (Lymphatic system) के विषय में अधिक जानकारी के लिए “इम्‍यूनिटी क्‍या है? इम्‍यून सिस्‍टम कैसे बनता है?”  अवश्‍य पढ़ना चाहिए।

सारांश | Summary

पोषक तत्‍व विशेषज्ञ ‘डॉ. खादर वली’ के अनुसार मिलेट में प्रचुर मात्रा में प्‍लांट लिगनेन (Lignans) होता है। जो हमारे पाचन तंत्र मे पहुँचने बाद एनिमल लिगनेन में बदल जाता है। plant lignans हमारे शरीर में पहुँचने के बाद स्‍टेरॉड (Steroids) जैसी सरंचना का निर्माण करते हैं। जिसे फाइटोएस्‍ट्रोजेन (phytoestrogens) क‍हते है। जिससे शरीर में प्रदूषण करने वाली कोशिकाएँ नहीं पनप पाती।

सरल शब्‍दों में आप लिगनेन को wood माने। जिसके अंदर से इलैक्‍ट्रान नहीं जा पाते हैं। जिस कारण अनियंत्रित कोशिका को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। लिगनेन दो प्रकार के होते हैं-

  1. घुलनशील लिगनेन: यह हमारे ब्‍लड के अंदर घुलकर वहाँ के प्रदुषण को साफ करते हैं।
  2. अघुलनशील लिगनेन: यह हमारे पाचन तंत्र को साफ करते हैं।

अब तो आप समझ ही चुके होंगे कि मिलेट खाने से कैंसर रोग से किस प्रकार मुक्‍ति मिलती हैं।  

मिलेट का फायदा- अस्‍थमा रोग में | Benefits of eating millet helps in asthma rog in Hindis

अस्‍थमा रोग में होने वाली तकलीफों से मिलेट के सेवन से राहत मिलती है। केवल यही नहीं मिलेट श्‍वास संबंधित सभी रोगों में लाभकारी हैं। आपके मन में प्रश्‍न उठना स्‍वभाविक है कि यह कैसे संभव है। तो पहले हम जान लेते हैं कि अस्‍थमा रोग है क्‍या?

अस्‍थमा रोग हैं क्‍या? | What is Asthma disease in Hindi?

अस्‍थमा रोग सांस से संबंधिम बीमारी है। इस रोग में सांस लेने में परेशानी होती है। क्‍योंकि सांस की नली पतली या ब्‍लॉक हो जाती है। जिस कारण सांस फेफड़ों तक ठीक से पहुँच नहीं पाती है। इस कारण छाती में कसाव और जकड़न महसूस होती है। सांस फूलने लगता है। खांसी आने लगती है। अनुसंधान से पता चला है कि गेंहू की एलर्जी से अस्‍थमा और घरघराहट की परेशानी होती है।

सारांश | Summary

हाल ही में हुई रिसर्च में पता चला है कि बाजरा खाने से अस्‍थमा रोग में राहत मिलती है। जिन अस्‍थमा पीड़ि‍त लोगो ने मिलेट को मुख्‍य रूप से अपने भोजन में शमिल किया उनमें घरघराहट और अस्‍थमा के अटैक में 15% की कमी आई। विशेषज्ञ इसका कारण मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों को मानते हैं।  

मिलेट मेटाबोल्कि सिर्ड्रोंम दूर करने में सहायक हैं | Millet helps in metabolic syndrome in Hindi

मिलेट metabolic syndrome को कम करने में हमारी मदद करते हैं। शायद आप में से कुछ लोगो को यह पता ना हो कि मेटाबोलिक सिर्ड्रोंम होता क्‍या है? सबसे पहले इसे ही समझ लेते हैं..

मेटाबोलिक सिर्ड्रोंम क्‍या है? | What is metabolic syndrome in Hindi

मेटाबोलिक सिर्डोंम ऐसी स्‍थ्ति को कहते है जब एक साथ कई रोगों जैसे डायबिटीज, थायराइड, यूरिक एसिड, लि‍पिड रोग, गुर्दे और अग्‍नाशय से संबंधित रोगों के लक्षण एक साथ दिखाई देने लगते। इसका मुखय कारण गलत लाइफस्‍टाइल को फॉलो करना है।

सारांश | Summary

मिलेट में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जब हम मिलेट को अपने 3 time के भोजन में लेते हैं तो फाइबर शरीर में पहुँचकर शरीर के अंदर होने वाली रसायनिक क्रियाओं को ठीक करने का काम करता हैं। ताकि शरीर में उत्‍पन्‍न होने वाले ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकें। 

मिलेट पाचन तंत्र में सुधार करने में मदद करते हैं| Bajra khane ka fayda– In digestive system

सभी प्रकार के  मिलेटस में अनेक पोषक तत्‍वों पाए जाते हैं। जो शरीर की विभिन्‍न प्रकार की पोषण संबंधित जरूरतों को पुरा करते हैं। जिससे हमारे पाचन तंत्र संबंधित रोगों जैसे कब्‍ज,  गैस, पेट फुलना, आदि परेशनियों से छुटकारा मिलता है। मिलेट में natural fiber पाया जाता हैं।

सारांश | Summary

जब हमरा पाचन तंत्र ठीक होता है। तब हमारी इम्‍यूनिटी का स्‍तर भी बढ़ जाता है। पोषक तत्‍व विशेषज्ञ और और होमोपैथी डॉ.खादर वली के अनुसार एक व्‍यक्ति को प्रतिदिन 38 gm fiber की आवशयकता होती हैं। जब हम अपने दिन के तीन समय के भोजन में मिलेट का प्रयोग करते हैं तो हम 25- 30 % फाइबा की मात्रा को ग्रहण कर लेते हैं। बा‍की की मात्रा हम तरकारी और हत्‍ते वाली सब्‍जियों से प्राप्‍त करते है। मिलेटस की विशेषता यह है कि इसमें फाइबर बीज के अंदर परत दर परत होता है। इसलिए वह हमारे लिए बहुत उपयोगी है। 

मिलेट स्‍वस्‍थ त्‍वचा की प्रा‍प्ति में सहायक हैं | Millet helps in healthy skin in Hindi

त्‍वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा और लचीला अंग है। जो एक तरफ से बाहरी वातावरण के संर्पक में होती हैं तो दूसरी तरफ यह हमारी ज्ञानेंद्रियों के संर्पक में। इसीलिए हमें कोमल स्‍पर्श या दर्द का अहसास होता है। हमारी त्‍वचा 3 परतों से मिलकर बनी होती है।

  • एमिडर्मिक | epidermis
  • डर्मिस | dermis
  • हाइपोडर्मिस | hypodermis

अत: स्‍वस्‍थ त्‍वचा की प्राप्ति के लिए केवल ऊपरी परत की देखभाल करना काफी नहीं है। इसके लिए हमें त्‍वचा की तीनों परतों का ध्‍यान रखना होता है।

सारांश | Summary

अधिकांश लोगो यह नहीं जानते कि स्‍वस्‍थ, साफ, खूबसूसत, दमकती, त्‍वचा की प्राप्ति कुछ लगाने से नहीं बल्कि पोषक तत्‍वो को  खाने से होती है। विशेषज्ञों के अनुसार मिलेट में अमीनो एसिड पाया जाता है। (जिसे विज्ञान की भाषा में एल-लाइसिन, और एल-प्रोलिन कहते हैं।) अ‍मीनो एसिड शरीर में कोलेजन निर्माण में सहायक होता है। कोलेजन स्किन के ऊतकों को सरंचना देने का कार्य करते है। जिससे स्किन में लचीलापन बढ़ता है और झुर्रियां कम होती है।

मिलेट में एंटीऑक्‍सीडेंट तत्‍व पाए जाते हैं।जो शरीर में फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करते हैं। जिससे उम्र बढ़ने के लक्ष्‍णों को रोकने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं मिलेट का प्रयोग सौंदर्य उत्‍पादों (Beauty product) बनाने में भी किया जाता है। क्‍योंकि बाजरे में उबिकीनोन (Ubiquinone) तत्‍व पाया जाता है। जो चेहरे की झुर्रियों को कम करने में मदद करता है।

इतना ही नहीं इनमें सेलेनियम, विटामिन-सी, विटामिन-ई पाएँ जाते हैं जो सूरज की किरणों से होने वाले नुकसान से स्क्नि की रक्षा करते है। स्क्नि के मलि‍नकिरण की प्रकिया को कम करते हैं।

बालों संबंधित सम्‍स्‍याओ को दूर करते हैं मिलेट | Millet helps in hair problems in Hindi

बाजरा बालों से संबंधित रोग जैसे- रूसी, छाल रोग, और सिर की सूजन आदि को दूर करने में मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार मिलेट के प्रयोग से गंजेपन से भी बचाव संभव है।

सारांश | Summary

मिलेट को पोषक तत्‍वों का पॉवर हाऊस कहा जाता है। मिलेट में केराटिन प्रोटीन पाई जाती है। जो दो मुंहें बालों को रोकने के साथ-साथ बालों को झड़ने से बचाती है। यदि आप ‍मिलेटस में पाए जाने वाले खनिज (minerals) तत्‍वों को जानना चाहते हैं तो आपको हमारा लेख ‘मिलेट क्‍या हैं और उसके पोषक तत्‍व कौन कौन से हैं?’ को अवश्‍य पढ़ना चाहिए।

मिलेट किडनी, लीवर, और इम्‍यून सिस्‍टम को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करते है। | Millet helps to optimize Kidney, Liver & Immune system in Hindi

मिलेट में पाएं जाने वाले पोषक तत्‍वों (nutrients) के आधार पर भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्‍थान (Indian Institute of Millets Research) ने इस बा‍त का दावा किया है कि मिलेट को भोजन के रूप में लेने से हमारी किडनी, लीवर और इम्‍यूमन सिस्‍टम को अपने कार्य अच्‍छे ढंग से करने में मदद मिलती है। जिसके परिणाम स्‍वरूप हमारे स्‍वस्‍थ में सुधार होता है।  

सारांश | Summary

मिलेट पोषक तत्‍वों का पॉवर हाऊस है। इन्‍हें खाने से शरीर के लिए अवश्‍यक सभी पोषक तत्‍व हमारे शरीर में natural तरीके से पहुँचते हैं। इसलिए हमें किसी vitamins या minerals को दवा के रूप में लेने की आवश्‍यकता नहीं रहती। इतना ही नहीं हमें जितनी मात्रा में इनकी जरूरत होती है। हमारा शरीर उतनी मात्रा को अवशोषित ( absorbs) कर लेता है और बा‍की को मल के रूप में बाहर निकाल देता है। इस प्रकार हम दवा खाने के side effects से भी अपने आपको बचाने में सक्षम हो जाते है। हमारे शरीर के प्रमुख अंग जैसे किडनी, लीवर, और इम्‍यून सिस्‍टम अच्‍छे ढंग से कार्य करने लगते हैं।  

मिलेट शरीर को डीटॉक्‍सीफाई करते हैं। | Millets helps in Detoxify the body

मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्‍व शरीर में पहुँचकर शरीर की रसायनिक प्रकिया को ठीक करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिससे शरीर ठीक तरह से मल त्‍यागने में मदद मिलती है। जिससे शरीर के अंदर की गंदगी सरलता से बा‍हर निकल जाती है।    

सारांश | Summary

मिलेट में क्‍वेरसेटिन, करक्‍यूमिन, इलैजिक एसिड कैटिंस जैसे एंटीऑक्‍सीडेंट होते है। जो शरीर में फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।  

निष्‍कर्ष | Conclusion

आशा है इस लेख के माध्‍यम से आप ‘मिलेट खाने के फायदों’ को अधिक बेहतर तरीके से जान पाएं होंगे। इतना ही नहीं अपके मिलेट खाने के फायदों को लेकर सारे भ्रम दूर हो गए होंगे। सही मायनों में अब आप अपनी सेहत की रक्षा करने के लिए सही जानकारी के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

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धन्‍यवाद !

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

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