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इम्‍यूनि‍टी के प्रकार और हर्ड इम्‍यूनि‍टी |Types of immunity & hard immunity

Types of immunity & hard immunity |इम्‍यूनि‍टी के प्रकार और हर्ड इम्‍यूनि‍टी को जानने के लिए आज हर कोई उत्‍सुक हैं। हो भी क्‍यों ना?….  हम सब करोना माहामारी के प्रकोप को जो  झेल रहे हैं। ऐसे में हर व्‍यक्ति इम्‍यूनि‍टी के विषय में अधिक से अधिक जानकारी चा‍हता हैं। यदि आप भी इम्‍यूनिटी के विषय में जानने को उत्‍सुक हैं, तो यह लेख आपके लिए हैं। इस लेख में आपको ‘इम्‍यूनि‍टी के प्रकारों’ के संदर्भ में संपूर्ण जानकारी सहज, और  सरल भाषा में प्राप्‍त होगी। किंतु यदि आप इम्‍यूनिटी के विषय में और अधिक जानना चाहते हैं तो आप हमारे इम्‍यूनिटी क्‍या हैं? इम्‍यून सिस्‍टम कैसे बनता है? लेख को अवश्‍य पढ़े। आइए जाने इम्‍यूनि‍टी कितने प्रकार की होती हैं…..

इम्‍यूनि‍टी के प्रकार | Types of immunity

इम्‍यूनि‍टी के अध्‍ययन को विज्ञान में ‘प्रतिरक्षा विज्ञान’ (Immunology) कहते हैं। इसके अनुसार इम्‍यूनि‍टी को मुखयत: दो भागों में बांटा गया हैं। पहला जन्‍मजात इम्‍यूनिटी और दूसरा अर्जित इम्‍यूनिटी। वैज्ञानिकों ने इन दोनों immunities को पुन: सरलता की दृष्टि से अन्‍य भागों में बाँटा हैं जिसे आप दिए गए चित्र में समझ सकते हैं-

Types of immunity
इम्‍यूनि‍टी के प्रकार

1. जन्‍मजात इम्‍यूनिटी क्‍या है? | What is Innate immunity in Hindi?

 Types of immunity में सबसे पहले हम जन्‍मजात इम्‍यूनिटी के विषय को समझते हैं- यह इम्‍यूनिटी हमें अपने जन्‍म द्वारा अपने माता-पिता से मिलती हैं। वास्‍तव में यह वह इम्‍यूनिटी हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अनुवांशिक रूप से पहुँचती हैं। केवल यहीं नहीं जन्‍मजात इम्‍यूनिटी हमारे शरीर में जन्‍म से लेकर मृत्‍यु पर्यंत तक हमारे साथ रहती हैं। इसलिए इसे ‘स्‍वभाविक प्रतिरक्षा’ (Natural immunity) भी कहा जात है। जब भी शरीर पर किसी भी प्रकार के पैथोजन का हमला होता हैं यह तुरंत उपस्थित होती है। बिना पैथोजन में भेद भाव किए। इस कारण विज्ञान इसे ‘अविशेष प्रतिरोधक क्षमता’ (Non-specific immunity) मानता हैं। वास्‍तव में यह हमारे शरीर की पहली सुरक्षा पंक्ति हैं।

जन्‍मजात इम्‍यूनिटी की मुख्‍य विशे‍षताएँ/गुण

1. यह इम्‍यूनिटी, रोगज़नकों के हमला होने पर तुरंत कार्यवाही करती हैं।

2. इस इम्‍यूनिटी को शरीर के किसी भी हिस्‍से को यह बताने कि आवश्‍यकता नहीं होती कि यह पैथोजन है।

3. यह इम्‍यूनिटी, सभी प्रकार के पैथोजन को दूर करने के लिए एक ही प्रक्रि‍या का पालन करती हैं।

4. इस इम्‍यूनिटी की अपनी कोई याददाश नहीं होती। इसलिए जब कोई एंटीजन (वायरस या बैक्टीरिया) हम पर बार-बार हमला करता है। तो यह उसे ठीक करने में उतना ही समय लेता ही। जितना समय पहली बार हमला करने पर लिया था।

5. इस इम्‍यूनिटी को किसी टीकाकरण या एंटीजन के संक्रमण होने के बाद प्राप्‍त नहीं किया जाता।

अब आप जन्‍मजात इम्‍यूनिटी के विषय में जान चुके हैं। आइए अब इसके प्रकारों के विषय में भी जान लेतें हैं ….

जन्‍मजात इम्‍यूनिटी के प्रकार |  Types Innate Immunity In Hindi

वैज्ञानिकों ने जन्‍मजात इम्‍यूनिटी पुन: तीन भागों में बाँटा हैं-  

 Types Innate Immunity
जन्‍मजात इम्‍यूनिटी के प्रकार

 (1) प्रजातिय प्रतिरोधक क्षमता क्‍या हैं? | What is species immunity in Hindi?

सभी जीवधारियों के रहन- सहन, खान-पान और शरीरिक बनावट, में अंतर होता हैं। इस कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता में भी अंतर होता हैं। जिसके परिणाम स्‍वरूप एक प्रजाति के रोग, दूसरी प्रजाति को नहीं होते हैं। जैसे पेड़-पौधों या पशु-पक्षि‍यों को होने वाले रोग मनुष्‍य को नहीं होते। दूसरी तरफ़ मनुष्‍यों को होने वाले रोग, पेड़- पौधों या पशु-पक्षियों को नहीं होते।

उदाहरण-

1.पक्षी, एंथ्रेक्‍स (anthrax) रोग के प्रतिरोधी होते हैं यानि कि उनमें यह रोग नहीं होता। क्‍योंकि पक्षियों के शरीर का तापमान अधिक होता है। जो बैसिलस एन्‍थ्रेसिस (Bacillus anthracis) को मार देता हैं। वहीं मनुष्‍य इस रोग के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं।

2. इसी प्रकार मानव त्वचा संक्रमण के लिए अधिक संवेदलशील होती हैं किंतु दूसरी तरफ़ जानवरों में उनके बाल अधिक होने और मोटी त्‍वचा के कारण त्‍वचा संबंधी रोग नहीं होते।

(2) नस्‍लीय प्रतिरोधक क्षमता क्‍या हैं?  | What is Racial immunity in Hindi?

जब किसी विशेष प्रकार की नस्‍ल के लोगों में, कोई विशेष प्रकार का रोग नहीं होता । किंतु अन्‍य सभी नस्‍लों में वह रोग होता हैं। तो उसे नस्‍लीय प्रतिरोधक क्षमता (racial immunity) कहते हैं। सरल शब्‍दों में हम कह सकते हैं कि किसी विशेष रोग का जब किसी विशेष नस्‍ल के लोगों पर कोई प्रभाव नही पड़ता। किंतु बाकि सभी लोगों पर उसका प्रभाव पड़ता हैं। तो वह नस्‍लीय प्रतिरोधक क्षमता हैं।

उदाहरण-

1.ब्‍लैक अफ्रीकन ‘सिकल सेल अनिमिया’ एक अनुवांशिक बीमारी से प्रभावित होते हैं इसलिए वह मलेरिया (Malaria) और पीले बुखार (Yellow fever) रोग से प्रभावित नहीं होते। अर्थात वह मलेरिया रोग के अधिक प्रतिरोधी होते हैं। जबकि यह दोनों रोग अन्‍य मानव जाति को प्रभावित करते हैं।

2. इसी प्रकार पूर्वी एशिया के लोग ‘सिफलिस’ (Syphilis) रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं।

वास्‍तव में नस्‍लीय प्रतिरोधक क्षमता का निर्धारण भौगोलिक परिस्थितियों, खान-पान संबंधित आदतों, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, और आनुवांशिकता के आधार पर होता हैं।

(3) व्‍यक्तिगत प्रतिरोधक क्षमता क्‍या हैं?  | What is Individual immunity in Hindi?

जब एक जाति के कुछ व्‍यक्तियों में किसी विशेष प्रकार का रोग अधिक होता है। जबकि उसी जाति के अन्‍य व्‍यक्ति उसी रोग के प्रति बिलकुल भी संवेदनशील नहीं होते। इसे ही व्‍यक्तिगत प्रतिरोधक क्षमता क‍हते हैं। या कोई विशेष प्रकार का रोग एक ही जाति के विशेष आयु वर्ग में अधिक पाया जाता हैं। तो उसे भी Individual immunity कहते हैं।

उदाहरण-  

1. बच्‍चों को बड़ों की तुलना में ‘खसरा’ (measles) और ‘चिकन पॉक्‍स’ होने की अधिक संभावना होती हैं।

2. डिपथीरिया रोग 2 से 10 वर्ष की आयु वर्ग के बच्‍चों में अधिक पाया जाता हैं।

3. इसी प्रकार वृद्धों में निमोनिया रोग अधिक पाया जाता हैं।  

इस प्रतिरोधक क्षमता का निर्धारण व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता, पोषक पदार्थो के सेवन, पिछली बीमारी, और आनुवंशिक अंतर के द्वारा होता है।  

अब तक आपने जन्‍मजात इम्‍यूनिटी के विषय में जाना। अब हम दूसरी मुख्‍य प्रकार की इम्‍यूनिटी यानि कि अर्जित इम्‍यूनिटी के विषय में समझते है-

2. अर्जित इम्‍यूनिटी क्‍या हैं? | What is Acquire Immunity in Hindi?

अर्जित इम्‍यूनिटी को कई नामों से जाना जाता हैं जैसे- ‘अधिग्रहित इम्‍यूनिटी’; ‘प्राप्‍त की हुई इम्‍यूनिटी’; ‘अनुकूल प्रतिरक्षा’; ‘एडॉप्टिड इम्‍यू‍निटी’; ‘एक्‍वायर इम्‍यू‍निटी’ आदि। इस इम्‍यून क्षमता को हम अपने पर्यावरण, रहन-सहन और खान-पान के द्वारा अपने जीवनकाल में प्राप्‍त करते हैं। सरल शब्‍दों में हम कह सकते हैं कि यह वह इम्‍यून क्षमता हैं जो जीवन भर हमारी बैक्‍टीरिया, वायरस या फंगल के संक्रमण से रक्षा करती हैं। इसे हम स्‍वयं किसी सूक्ष्‍म जीवी के हमला होने के बाद प्राप्‍त करते हैं। जिसे हमारा इम्‍यून सिस्‍टम याद कर लेता हैं।

अर्जित इम्‍यूनिटी की मुख्‍य विशे‍षताएँ/गुण

1. यह इम्‍यूनिटी, रोगज़नकों के हमला होने के बाद कार्यवाही करती हैं।

2. इस इम्‍यूनिटी को, शरीर के उन हिस्‍सों को बताना होता है कि शरीर पर एंटीजन (वायरस या बैक्टीरिया) का हमला हुआ है। ताकि वह एंटीबॉडी का निर्माण कर सके।

3. एंटीबॉडी का निर्माण शरीर या तो खुद करता हैं या इसे वैक्‍सीनेशन द्वारा प्राप्‍त किया जाता है।

4. इस इम्‍यूनिटी की अपनी याददाश होती। इसलिए जब शरीर पर किसी एंटीजन (वायरस या बैक्टीरिया) का दोबारा हमला होता है। तो यह उसे ठीक करने में पहले की अपेक्षा कम समय लेता है।

अर्जित इम्‍यूनिटी के प्रकार |  Types of Acquire Immunity In Hindi

आइए अब अर्जित इम्‍यूनिटी के प्रकारोंं के विषय में जाने- Acquire Immunity को वि‍शेषज्ञों ने पुन: दो भागों में बाँटा हैं-   

Types of acquire Immunity
 अर्जित इम्‍यूनिटी केे प्रकार

 (1) स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी क्‍या हैं? | What is Natural Acquire Immunity in Hindi?

जब व्‍यक्ति के शरीर में किसी रोग का संक्रमण होता हैं। तब शरीर उस रोग से लड़ने के लिए धीरे-धीरे खुद से शक्ति को विकसित करता है। यहीं स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी कहलाती हैं।

स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी के प्रकार | Types of Natural Acquire Immunity in Hindi?

आपको जानकर अचरज होगा कि वैज्ञानिको ने स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी को पुन: दो भागों मे बाँटा हैं। आइए इसे भी जान लेते हैं-

Types of Natural Acquire Immunity
स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी के प्रकार

(i) सक्रिय स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी क्‍या है? | What is Active natural acquired immunity in Hindi?

सक्रिय स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी का अर्थ है– जब व्‍यक्ति के शरीर में किसी नए प्रकार के वायरस का संक्रमण होता हैं। तब शरीर उस रोग से लड़ने के लिए धीरे-धीरे खुद से शक्ति को विकसित करता है। इस प्रकार की इम्‍यून क्षमता को पहली बार वि‍कसित होने में कुछ दिनों या कुछ हफ्तों का समय लग सकता है। एंटीबाडी बना लेने के बाद हमारा इम्‍यून सिस्‍टम उसे याद कर लेता है। जब कभी भविष्‍य में वही वायरस शरीर पर दुबारा हमला करता है। तब शरीर तुरंत उसी एंटीबाडी का निर्माण करना शुरू कर देता है। इसलिए व्‍यक्ति पहले कि अपेक्षा जल्‍दी ठीक हो जाता हैं। इस प्रकार की इम्‍यून क्षमता कि विशेषता यह है कि यह लंबे समय तक हमारे शरीर में रहती हैं।

(ii) निष्‍क्रिय स्‍वभाविक अर्जित इम्‍यूनिटी क्‍या है? | What is Passive natural acquire immunity in Hindi?

निष्‍क्रिय स्‍वभाविक अर्जितइम्‍यूनिटी से तात्‍पर्य उस इम्‍यूनिटी से हैजो गर्भावस्‍था के दौरान शिशु को अपनी माता के द्वारा प्राप्‍त होती है। जब माता कि‍सी रोग से बचने के लिए किसी दवाई का सेवन करती है। तब नाल के द्वारा भ्रूण के रक्‍त में स्‍वभाविक रूप से यह प्रतिरक्षा पहुँच जाती है और भ्रूण की रक्षा करती हैं। यदि शिशु का जन्‍म हो चुका हैं तो 4 से 6 माह तक यह प्रतिरक्षा माँ के दूध द्वारा भी हस्‍तांतरित होती है। किंतु बाद में शिशु अपनी खुद की प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर होने लगता है।

(2) कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी क्‍या है?  |  What is Artificial acquire immunity in Hindi?

कृत्रिम का शाब्दिक अर्थ है ‘बनावटी’ अब तो आप समझ गए होंगे कि यह इम्‍यूनिटी व्‍यक्ति को कृत्रिम रूप यानि टीके के द्वारा प्राप्‍त होती है। इसलिए इसे टीकाकरण (vaccination) द्वारा प्राप्‍त इम्‍यूनिटी भी कहते हैं।

Acquire Immunity

कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी के प्रकार | Types of Natural Acquire Immunity in Hindi?

वैज्ञानिको ने कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी को पुन: दो भागों मे बाँटा हैं। आइए उसे भी जान लेते हैं-

Types of artificial  acquired immunity
कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी

(i) सक्रिय कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी क्या है?| What is Active artificial acquire immunity in Hindi?

सक्रिय कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी वैक्‍सीनेशन द्वारा प्राप्‍त इम्‍यूनिटी होती है। इस प्रकार की इम्‍यूनिटी व्‍यक्ति के शरीर में लंबे समय तक रहती है। इस इम्‍यून क्षमता को व्‍यक्ति के शरीर में कृ‍त्रिम रूप यानि कि टीके के द्वारा मामूली तनाव देकर रोग से लड़ने के लिए विकसित किया जाता है। ताकि हमारा इम्‍यून सिस्‍टम उसे याद कर ले। भविष्‍य में जब कभी उस रोग के जीवाणु व्‍यक्ति पर हमला करें, तो बॉडी की इम्‍यून क्षमता को पता रहें कि उसे रोग से लड़ने के लिए किस प्रकार के सेल का उत्‍पादन करना है।

उदाहरण-

बचपन में हम सब को हमारे माता-पिता द्वारा लगवाए गए टीके है।

रोचक जानकारी-

कुछ बीमारियों के लिए टीके की एक ही खुराक काफी होती हैं, तो कुछ बीमारियों के टीके कुछ हफ्तों के अंतराल के बाद लगाए जाते हैं। वही कुछ बीमारियों के टीके 5 से 10 साल बाद भी लगाए जाते हैं। यह वैक्‍सीनेशन इम्‍यू‍न सिस्‍टम को स्‍ट्रांग रखने के लिए जरूरी होता है। इस इम्‍यूनिटी का सबसे पहला प्रयोग ‘चेचक रोग’ के उपचार के लिए किया गया था।

(ii) निष्‍क्रिय कृत्रिम अर्जित इम्‍यूनिटी क्या है? | What is Passive artificial acquire immunity in Hindi?

निष्‍क्रिय कृत्रिम अर्जितइम्‍यूनिटी भी वैक्‍सीनेशन द्वारा ही प्राप्‍त होती हैं। किंतु इसमें व्‍यक्ति के शरीर में रेडीमेड एंटीबॉडी को टीके के द्वारा दिया जाता है। क्‍योंकि कुछ स्थियों में व्‍यक्ति का जीवन बचाने के लिए शरीर द्वारा खुद से एंटीबॉडी बनने का इंतजार नहीं किया जा सकता। एंटीबॉडी के निर्माण के लिए पहले जानवरों में रोग को उत्‍पन्‍न किया जाता है, जब उनमें एंटीबॉडी बन जाती हैं उसे निकाल कर वैक्‍सीन बना ली जाती है। इस प्रकार एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया को ‘एंटीसेरियम’ (Antiserum) कहते हैं। एंटीबॉडी बना लेने के बाद उसे टीके के रूप में सुर‍क्षित रख लिया जाता हैं। जब किसी व्‍यक्ति को उसकी आवश्‍यकता होती हैं तब उसे टीके के द्वारा प्रदान की जाती हैं। इस एंटीबॉडी को  रोगी की बॉडी में उन स्‍थानों पर लगाया जाता हैं जहाँ बैक्‍टीरिया या वायरस पाए जाते हैं।

उदाहरण- 

किसी साँप के काटने पर या टेटनस रोग आदि में।

आजकल एक विशेष प्रकार की इम्‍यूनि‍टी की चर्चा जोरों पर हैं। हर कोई जानना चाहता हैं ‘हर्ड इम्‍यूनि‍टी’ है क्‍या? आइए अब इसे समझते हैं-

क्‍या है ‘हर्ड इम्‍यूनि‍टी’ ? | What is ‘Herd immunity’ in Hindi?

हर्ड का शाब्दिक अर्थ है– ‘झुंड’ इसका प्रयोग पशुओं के संदर्भ में होता हैं।

इम्‍यूनि‍टी काअर्थ है– ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता’।

अत: ‘हर्ड इम्‍यूनिटी’ से तात्‍पर्य ‘सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता’ से है।  

वास्‍तव में यह वह अवस्‍था है जिसमें किसी देश या किसी क्षेत्र विशेष की कुल आबादी का बहुत बड़ा हिस्‍सा किसी बीमारी से ग्रसित होकर ठीक हो जाए। यानि कि उस देश या क्षेत्र के लोगों के शरीर में उस बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाए। जैसे-जैसे लोग इम्‍यून होते जाते हैं वैसे-वैसे उस रोग का खतरा कम होता जाता है। ऐसे में वह लोग भी बच जाते हैं जिनकी इम्‍यूनिटी कमजोर होती हैं। 

रोचक जानकारी-

1. हर्ड इम्‍यूनिटी किसी विज्ञानिक प्रक्रिया का नाम नहीं है।

2. करोना काल में यूनाइटेड किंगडम ने सबसे पहले हर्ड इम्‍यूनिटी को अपनाने का फैसला किया। इस रोग में मृत्‍यु दर 2.3 % है। जिस पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) ने आपत्ति जताई है।

3. वेलकम ट्रस्‍ट / डी बी टी इंडिया के सी ई ओ और विषाणु विज्ञानी ‘शाहीद जमील’ के अनुसार ‘’ ऐसे कोई स्‍पष्‍ट आँकडे नहीं हैं जिनसे पता चल सके कि कितने प्रतिशत आबादी के संक्रमित होने पर हर्ड इम्‍यूनिटी प्राप्‍त हो सकेगी। उनके अनुसार भारत में हर्ड इम्‍यूनिटी को अलग- अलग समय पर प्राप्‍त किया जा सकेंगा।

नि‍ष्‍कर्ष | Conclusion

इस कोविड-19 महामारी से जंग जीतने के लिए यह बेहद जरूरी है, हम अपनी Immunity को स्‍ट्रांग रखें। इसके लिए परम आवश्‍यक है कि हमें Immunity की सही और संपूर्ण जानकारी हो। इस लेख के माध्‍यम से हमने आपको Types of immunity & hard immunity पर प्रकाश डाला हैं।

हम आशा करते हैं कि यह जानकारी आपके अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की प्राप्ति में सहायक होगी। कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। इस जानकारी को अपने मित्रों और परिवार वालों के साथ Facebook, Quora पर शेयर करें ताक‍ि अन्‍य व्‍यक्ति भी इस जानकारी का लाभ उठा सके।

धन्‍यवाद!

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

2 thoughts on “इम्‍यूनि‍टी के प्रकार और हर्ड इम्‍यूनि‍टी |Types of immunity & hard immunity

  • Neeru chopra

    Very good information easy and simple language

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  • Neeru chopra

    Most useful tips for maintaining immunity and it helps to children brief knowledge of immunity

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