इम्यूनिटी क्या है? इम्यून सिस्टम कैसे बनता हैं?
‘इम्यूनिटी’ शब्द वर्ष 2020 में अचानक से हर एक व्यक्ति की ज़बान पर आ गया। जिसे देखों वहीं इम्यूनिटी के विषय में जानना चाहता हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस वर्ष की शुरूआत में ‘करोना माहामारी’ ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया था। इतना ही नहीं, अभी तक COVID- 19 महामारी से बचने की कोई दवा भी नहीं बन पाई है। ऐसे में COVID- 19 से बचने का हमारे पास एकमात्र हथियार– हमारी इम्यूनिटी ही है। हम आज इस लेख के माध्यम से आपको इम्यूनिटी क्या है? इम्यून सिस्टम कैसे बनता हैं? से संबंधित आपको संपूर्ण जानकारी देंगें। तो शुरू करते हैं….
विज्ञान के अनुसार इम्यूनिटी |Immunity from Science perspective
इम्यूनिटी क्या है? | What is Immunity in Hindi?
Immunity को हिंदी में ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता’ या ‘प्रतिरक्षा’ कहते हैं। वास्तव में हमारे शरीर पर हरपल विभिन्न प्रकार की बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म परजीवियों जैसे- बैक्टीरिया, वायरस या फंगल आदि का हमला होता रहता हैं। पर हमें इस बात का अहसास ही नहीं होता। आपने कभी सोचा हैं ऐसा क्यों होता हैं?…. क्योंकि हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति यानि ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता’ अपना काम बखूबी करती रहती हैं। यदि यह शक्ति कमज़ोर होती है, तो हम उस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। दूसरी तरफ़ यदि यह शक्ति मज़बूत होती हैं, तो हम स्वस्थ्य रहते हैं।
इम्यूनिटी को परिभाषा | Definition of Immunity In Hindi
‘इम्यूनिटी, हमारे शारीर की वह व्यवस्था है, जो हमें किसी परजीवी (जैसे- बैक्टीरिया, वायरस या फंगल आदि) के संक्रमण से बचाती हैं।‘
आप अब मोटे तौर पर Immunity के विषय में जान चुकें हैं। तो अब आपको बताते हैं कि रोगों से लड़ने वाली यह शक्ति हमारे शरीर के भीतर काम कैसे करती हैं। यानि कि प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) क्या है?
इम्यून सिस्टम क्या है? | What is Immune System in Hindi?
इम्यून सिस्टम को हिंदी में ‘प्रतिरक्षा प्रणली’ या ‘प्रतिरक्षा तंत्र’ भी कहते हैं। यह हमारे शरीर का ऐसा नेटवर्क है जो हमें रोगों से बचाता है। आप इसे उदाहरण द्वारा भली भांति समझ सकते हैं-
हम सबने कभी-ना-कभी यह अनुभव किया हैं कि एक स्मार्ट फोन का नेटवर्क जितना स्ट्रांग होता हैं। बातचीत उतनी ही अच्छी होती हैं। बस आप यहाँ स्मार्ट फोन को अपना शरीर मान ले और उसके नेटवर्क को अपना इम्यून सिस्टम। तो आप जान पाएँगे कि यह नेटवर्क कितना विशाल हैं। एक अच्छे नेटवर्क का निर्माण तभी होता हैं, जब उसमें शामिल सभी तत्व मिलकर काम करते हैं।
हमारे ‘प्रतिरक्षा तंत्र’ भी कई सारे तत्वों से मिलकर बनता हैं। और सभी तत्वों के आपस में मिलकर काम करने से ही हमारा इम्यून सिस्टम बनता है। जाहिर सी बात हैं, अब आप यह जानना चाहेंगे कि वे तत्व कौन-कौन से हैं और वह कैसे काम करते हैं? आइए उसे समझते हैं–
इम्यून सिस्टम के मुख्य तत्व | Main elements of the immune System in Hindi?
हमारे इम्यून सिस्टम के नेटवर्क में शामिल मुख्य तत्व-
1. सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ | White blood cells (WBC)
2. अस्थि मज्जा के कुछ कोष | some part of Bone marrow
3. लसिका, लसिका ग्रंथियाँ और लसिका सिस्टम और | Lymph, Lymph Nodes and Lymphatic System
4. एंटीजन और एंटीबॉडी | Antigens and Antibodies
5. प्लीहा | Spleen
जब ऊपरोक्त सभी तत्व आपस मे मिलकर काम करते हैं। तो इम्यून सिस्टम का नेटवर्क पूरा होता है। आइए अब जानें यह सब मिलकर कैसे काम करते हैं..
इम्यून सिस्टम कैसे काम करता हैं? | How the immune system works in Hindi?
आइए अब आपको इम्यून सिस्टम के मुख्य तत्वों के कार्यों की जानकारी देते हैं-
1.इम्यून सिस्टम मेंं सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की भूमिका | Role of white blood cells (WBC) in our immune system
सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को अंग्रेजी में White blood cells (WBC) और विज्ञान की भाषा में ‘ल्यूकोसाइट्स’ (Leukocytes) कहते हैं। यह हमारे शरीर पर हमला करने वाले बाहरी पैथोजेंस (जैसे- बैक्टीरिया, वायरस या फंगल आदि।) से रक्षा करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएँ हैं। इनका रंग सफ़ेद होता हैं क्योंकि इनमें हिमोग्लोबिन नहीं होता। ल्यूकोसाइट्स का निर्माण अस्थि मज्जा (Bone marrow) में होता है।
2. इम्यून सिस्टम मेंं अस्थि मज्जा के कुछ कोषों की भूमिका | Role of some part of Bone marrow in our immune system
अस्थि मज्जा भी हमारे Immune System का एक प्रमुख हिस्सा हैं। यह हमारी हड्डियों में भरा मुलायम गुद्देदार ऊतक (Tissue) है। जो हमारे शरीर की सभी हड्डियों में पाया जाता है। इस स्पंजी ऊतक के द्वारा ही हमारे शरीर की अवश्यकता अनुसार अलग- अलग प्रकार की कोशिकाओं जैसे-
(i) सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ | White blood cells (WBC)
(ii) लाल रक्त कोशिकाएँ | Red blood cells (RBC)
(iii) प्लेटलेट्स | Platelets
का निर्माण शरीर की जरूरत के अनुसार लगातार होता रहता हैं।
3. इम्यून सिस्टम मेंं लसिका, लसिका ग्रंथियाँ सिस्टम और लसिका ग्रंथिथों की भूमिका | Role of Lymph, Lymph Nodes and Lymphatic System in our immune system
लसिका, लसिका ग्रंथियाँ और लसिका सिस्टम भी हमारे Immune System का एक हिस्सा हैं। आइए जानें यह है क्या?
लसिका क्या है? | What is Lymph in Hindi?
हमारे शरीर की कोशिकाओं में बहने वाले रक्त का कुछ भाग शरीर की भौतिक, रसायनिक या शरीरिक गतिविधियों के कारण रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) की पतली दीवार से छनकर बाहर आ जाता हैं। बाहर आया हुआ यह रक्त ही लसिका (Lymph) कहलाता है।
अब आप सोचेंगे कि यह भी तो रक्त ही है। भले ही वह रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) के अंदर हो या बाहर क्या फर्क पड़ता हैं।
हाँ! भले ही यह रक्त ही है। पर विज्ञान ने इन दोनों तरह के रक्त में अंतर माना हैं। आइए जानें रक्त और लसिका में क्या अंतर है?
रक्त और लसिका में क्या अंतर है? | Difference between the Blood and Lymph in Hindi
रक्त (Blood) | लसिका (Lymph) |
1. रक्त शरीर में रक्त वाहिकाओं (Blood vessel) के अंदर बहता है। | 1. जबकि यह रक्त , रक्त वाहिकाओं (Blood vessel) के बाहर बहता है। |
2. शरीर में रक्त का बहाव तेज़ होता है। | 2. जबकि लसिका का बहाव रक्त की तुलना में काफी धीमा होता है। |
3. शरीर में रक्त का बहाव दिल की पंम्पिग क्रिया के द्वारा होता है। | 3.जबकि लसिका का बहाव ऊतकों कि गति के और सांस लेने और छोड़ने की गति के कारण होता है। |
4. रक्त शरीर में दो तरह की नलियों (Blood vessel) में पाया जाता है। (i) धमनियों (Arteries) में – यह दिल से ऑक्सिजन युक्त खून को शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाने का काम करती हैं। दिल की पम्पिग के कारण धमनियों में बहने वाला रक्त एक ही दिशा में बहता रहता है। (ii) शिराएँ (Veins) में — यह शरीर के विभिन्न हिस्सों से ब्लड को इक्ट्ठा कर दिल तक पहुँचाती हैं। | 4. जबकि लसिका शरीर में कोशिकाओं (Capillaries) के रूप में पाई जाती हैं। |
लसिका ग्रंथियाँ क्या हैं? | What is Lymph Nodes in Hindi?
लसिका ग्रंथियाँ वास्तव में लसिका ऊतकों (Lymph Tissue) के गट्ठर (Nodes) होते हैं। लसिका ऊतक शरीर के दाईं और बाईं दोनों तरफ पाएँ जाते हैं। मुख्य रूप से यह शरीर के निम्न स्थानों पर होते हैं-
- बगलों में | Under arm
- गले में | Throat
- जाधों में | Thighs
लसिका ग्रंथियों का मुख्य कार्य रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को शरीर के सभी तंत्रों जैसे कि ‘पाचन तंत्र’, ‘श्रवसन तंत्र’, ‘रक्त परिसंचलन तंत्र’, आदि की सरंचना में घुसने से रोकना हैं।
लसिका तंत्र क्या है? | What is Lymphatic System in Hindi?
लसिका तंत्र हमारे इम्यून सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वास्तव में शरीर की रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) के साथ-साथ ही लसिका कोशिकाएं पाई जाती हैं। इस प्रकार यह रक्त वाहिकाओं के साथ- साथ पूरे शरीर में अपना एक नेटवर्क बना लेती हैं। जो शरीर के टूटी-फूटी कोशिकाओं, ऊतकों आदि के अवशेषों को जो बड़े आकार के होते हैं और रक्त वाहिकाओं में नहीं आ पातें। उन सबको इकट्ठा करती हुई अपने साथ लेती हुई चलती हैं। वास्तव में रक्त वाहिकाओं के साथ-साथ ही लसिका कोशिकाएँ (Lymph Capillaries) भी चलती हैं और अपना एक नेटवर्क बना लेती हैं।
जैसे ही हमारे शरीर पर किसी बैक्टीरिया या वायरस (एंटीजन) का हमला होता हैं। उसे ऊतकों द्वारा लसिका तक पहुँचा दिया जाता है। लसिका के बहाव के साथ वह परजीवी लसिका ग्रथियों (Lymph Nodes) तक पहुँच जाते हैं। यहाँ लिम्फोसाइट एंटीजन की पहचान कर एंटीबॉडी तैयार करते हैं।
अब आप सोचेंगे कि यह एंटीजन (Antigens) और एंटीबॉडी (Antibodies) किस प्रकार हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा हैं? तो आइए इसे समझते हैं-
4. एंटीजन और एंटीबॉडी क्या हैं? | What is Antigens and Antibodies? In Hindi
हमारे Immune System में एंटीजन और एंटीबॉडी भी शामिल हैं। पहले हम एंटीजन को समझते हैं-
एंटीजन | Antigens: एंटीजन से तार्त्पय शरीर में प्रवेश कर आए बैक्टीरिया या वायरस से हैं। जो हमारे शरीर के सभी तंत्रों जैसे कि ‘पाचन तंत्र’, ‘श्रवसन तंत्र’, ‘रक्त परिसंचलन तंत्र’, आदि की सरंचना में घुस कर हमें रोगी बनाता हैं। एंटीजन को समझने के पश्चात अब आपको ‘एंटीबॉडी’ को समझना सरल होगा।
एंटीबॉडी | Antibodies: एंटीबॉडी से तार्त्पय शरीर में घुस आए एंटीजनस को नष्ट करने के लिए शरीर द्वारा उत्पन्न विशेष प्रकार की ‘प्रोटीन’ से है। यह प्रोटीन रोगाणुओं को पहचानकर उन्हें सबसे पहले बाँधने का काम करती हैं और फिर धीरे-धीरे उसे नष्ट करने का काम करती है।
जानने योग्य रोचक जानकारी-
1. विज्ञान की भाषा में एंटीबॉडी को ‘इम्युनोग्लोबुलिन’ (Immunoglobulin) कहते हैं। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता की अपनी याददाश्त होती हैं। सरल शब्दों में इम्युनोग्लोबुलिन एंटीजन को पहचानकर याद कर लेता हैं। एक बार जब बॉडी किसी एंटीजन के संपर्क में आ जाती हैं तो वह उस बीमारी वाले एंटीजन को याद कर लेती हैं। जब कभी दुबारा वह एंटीजन शरीर में प्रवेश करता हैं। तो तुरंत ही हमारी बॉडी उसके विरोध में तुरंत उसका एंटीबॉडी बना लेती हैं।
2. आपको यह जानकर अचरज हो सकता हैं कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में हजारों की संख्या में एंटीबॉडी पहले से मौजुद रहती हैं।
3. एंटीबॉडी हमारे शरीर के प्लाज्मा सेल (Plasma cell) में एकत्र रहती हैं।
4. COVID-19 महामारी में लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई हैं। ऐसे में सभी देश की सरकारें प्लाज्मा थेरेपी पर ही भरोसा कर रही हैं।
5. प्लाज्मा थेरेपी | Plasma therapy: इस थेरेपी में बीमारी से ठीक हो चुकें मरीजों के रक्त से प्लाज्मा निकाल कर रोगी व्यक्ति के शरीर में डाल दिया जाता हैं। ताकि रोगी के शरीर में भी वैसी ही एंटीबॉडी का उत्पन्न होना जल्दी से शुरू हो जाएँ और रोगी की जान बच सकें। इस थेरेपी के अपने लाभ और जोखिम हैं। परंतु आज हम इस थेरेपी के विषय में आपको केवल जानकारी भर दे रहें हैं। क्योंकि हमारी इस post का विषय इम्यूनिटी हैं। यदि आप इस विषय पर अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप हमें Comment कर बता सकते हैं। तब हम इस पर विस्तार से एक post बनाकर post करेंगे।
5. इम्यून सिस्टम मेंं प्लीहा की भूमिका | Role of Spleen in our immune system
प्लीहा हमारे Immune System का एक प्रमुख अंग (Organ) हैं। जिसे हिंदी में तिल्ली कहते हैं। जो हमारे शरीर में, उदर के ऊपरी भाग के बाईं ओर आमाश्य के पीछे स्थित है। यह सेम के आकार की होती है। यह हमारे शरीर में तीन कार्य हैं-
(i) यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं (WBC) को नष्ट कर लाल रक्त कोशिकाओं (WBC) की गुणवता को बनाए रखती हैं।
(ii) रक्त को फिल्टर करती हैं। इसके लिए वह भक्षक कोशिकाओं जैसे- लसीक कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स) तथा मोनोसाइट्स का निर्माण करता है।
(iii) शरीर में प्रवेश कर चुके वायरस, बैक्टीरिया आदि से लड़ने के लिए एंटीबॉडी को बनाकर उसका वितरण करती है।
शरीर में रोग आने कि स्थिति में प्लीहा Immunity बढ़ाने का कार्य करती है। किंतु यदि इसका आकार 20 सेंटीमीटर से बढ़ जाता हैं तो यह शरीर में किसी रोग के होने का संकेत है।
अध्यात्म के अनुसार इम्यूनिटी | Immunity from spiritually perspective
योग के अनुसार मानव शरीर पंचकोशों से बना हैं। इन पाँचो का एक दूसरे से धनिष्ट संबंध है। यह पाँचों तत्व एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अत: यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर के इन पंचकोश में व्याप्त है। यह पाँच कोश हैं—
1. अन्नमय कोश : यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से बनता है।
2.प्राणमय कोश: यह हमारे श्वास से बना है।
3.मनोमय कोश: यह हमारे मन की भावनाओ और विचारों से बनता है। यानि कि हम इन्द्रियों द्वारा जो सुनते है, देखते हैं, वह सब हमारे मस्तिष्क में सूचना के रूप में पहुँचकर एकत्र हो जाता है। इन सूचनाओं के अनुसरा ही हमारे विचार बनते हैं।
4.विज्ञानमय कोश: यह हमारी चेतना और बोध से बनता है।
5.आनंदमय कोश: यह हमारी आनन्दानुभूतियों से बनता है।
योग के अनुसार इन पाँचों को संभालने के लिए मानव को चार स्तरों पर कार्य करना होता हैं-
1.भौतिक स्तर: यानि कि शारीरिक स्तर पर।
2.मानसिक स्तर: यानि कि विचारों के स्तर पर
3.भावनात्मक स्तर: यानि कि मन के भावों के स्तर पर
4.चेतना के स्तर: यानि कि बोध/ ज्ञान के स्तर पर।
चूंकि अध्यात्म हमे बताता है कि हम जैसा भोजन खाते हैं। हमारे विचार भी उसी प्रकार के बनते हैं। यदि हम तामसिक प्रकृति वाला भोजन (Non vegetarian) खाते हैं। तो हमरे विचार भी हिंसक प्रवृति वाले या भय का भाव लिए होता हैं। जिसका प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर पड़ता हैं।
अध्यात्म मे Immunity के प्रभाव को देखने के लिए आपको ‘प्लेसबो रिसर्च’ के विषय में जानना चाहिए।
‘प्लेसबो रिसर्च’ | Placebo research
इस रिसर्च को अवसाद से ग्रसित व्यक्तियों के एक समूह पर किया गया था। इसमें रोगियों को दो बाराबर-बराबर भागों में बाँटा गया। एक ग्रुप को वास्तविक रूप में दवा दी गई और दूसरे ग्रुप को दवा जैसी ही दिखने वाली चीनी से बनी गोलियाँ दी गई। जब निश्चित समय के अंतराल के बाद परिणामों कि जाँच की गई तो परिणाम चौकाने वाले थे।
परिणाम में यह पाया गया कि जो सुधार दवा खाने वाले ग्रुप के रोगियों में था। वहीं प्रभाव मीठी गोलियाँ खाने वाले रोगियों की सेहत में भी था।ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि रोगियों को यह पता ही नहीं था कि वह दवा नहीं खा रहें हैं। उन्हें तो यह ही पता था कि वह दवा खा रहें हैं। इस कारण उनके मस्तिष्क ने वैसे ही रसायन उत्पन्न किए जैसे वास्विक रूप से दवा खाने वाले रोगियों के मस्तिष्क ने उत्पन्न किए थे। डॉक्टरों ने रोगियों के मनोमय कोश को भौतिक स्तर (चीनी की गोलियाँ) और मानसिक स्तर (यह बताया गया कि उन्हें दवा दी जा रहीं हैं।) को क्रियाशील कर प्रभावित किया गया था।
आप इसे मेंटल इम्यूनिटी पावर भी कह सकते हैं। वैसे Law of attraction का सिद्धांत भी हमारी मेंटल इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकता हैं। चलिए अब जरा Immunity चेक करने की विधि भी जान लेते हैं।
बॉडी की इम्यूनिटी पावर चेक करने की विधि | Methods of checking the immunity power of the body
शरीर की Immunity power को हम दो प्रकार से चेक कर सकते हैं।
1. स्वयं के द्वारा Immunity चेक करना
इम्यूनिटी पावर को चेक करने का सबसे सरल तरीका हैं कि हम अपनी जीवन शैली की जाँच करें। इसके लिए आपको खुद से कुछ प्रश्न करने चाहिए। जैसे-
प्रश्न-1. क्या आप दूसरों की अपेक्षा जल्दी- जल्दी बीमार पड जाते हैं?
प्रश्न– 2. क्या मौसम बदलने पर आप बीमार हो जाते हैं?
प्रश्न- 3. कहीं आपको खाँसी, जुकाम, गले खराब की समस्या बार-बार परेशन तो नहीं करती?
प्रश्न- 4. आपके मसूड़ों में सूजन तो नहीं रहती?
प्रश्न- 5. आपके मुँह में छाले तो बार– बार नहीं हो जाते?
प्रश्न- 6. आपकी स्किन पर रैशेज़ तो नहीं हैं?
प्रश्न- 7 आपके शरीर का तापमान कम तो नहीं रहता?
यदि आप इन प्रश्नों का उत्तर देंगे तो स्वयं जान जाएँगे कि आप का इम्यूनिटी का स्तर कैसा हैं?
2. टेस्ट करवाकर Immunity चेक करना
वैसे आप अपना ब्लड टेस्ट करवाकर भी अपनी इम्यूनिटी पावर को जान सकते हैं अथवा आप इसके लिए ‘सलाइवा टेस्ट ( लार परिक्षण) भी करवा सकते हैं।
निष्कर्ष | Conclusion
इस कोविड-19 महामारी से जंग जीतने के लिए यह बेहद जरूरी है, हम अपनी Immunity को स्ट्रांग रखें। इसके लिए परम आवश्यक है कि हमें Immunity की सही और संपूर्ण जानकारी हो। इस लेख के माध्यम से हमने आपको इम्यूनिटी क्या हैं? इम्यून सिस्टम कैसे बनता और काम करता है। अध्यात्म जगत में Immunity कैसे काम करती हैं।आदि पर प्रकाश डाला गया हैं।
हम आशा करते हैं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। इस जानकारी को अपने मित्रों और परिवार वालों के साथ Facebook, Quora पर शेयर जरूर करें।
धन्यवाद!
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