योग क्या है? | What is yoga in Hindi?
इसका सरल उत्तर है- “योग सार्वभौमिक विश्व मानव धर्म है।”
अर्थात् योग संपूर्ण विश्व के सभी धर्म, संप्रदाय, मत-मतांतरों के पक्षपात और तर्क-विर्तकों से रहित होकर भी, सभी के कल्याण के लिए है। योग साधक को स्थूलता से सूक्ष्मता (बहिरात्मा से अंतरात्मा) की ओर लेकर जाने का मार्ग है।
यदि में आपसे यह कहूं कि योग साधक को उसके अंतिम लक्ष्य मोक्ष तक पहुँचाता है तो इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। क्योंकि योग हमारे व्यक्तित्व के सभी पहलुओं- शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक सभी को प्रभावित करता है।
व्यवहारिक रूप से देखे तो योग हमारे शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन औार सामांजस्य स्थापित करने का एक साधन है। आधुनिक विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि हम जितने अस्थिर चित्त होते हैं उतने ही हम बहिर्मुखी होते जाते हैं। हमारे अंदर उतनी ही ‘रज’ और ‘तम’ की मात्रा बढती जाती है। परंतु जैसे-जैसे हम स्थिर चित्त होते जाते हैं उतने ही हम अंतरोमुखी होते जाते हैं। हमारे अंदर उतनी ही सत् की मात्रा बढती जाती है। सत् की मात्रा बढने से हमारे अंदर सम्यक ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है जिस कारण्स हमे आत्म-दर्शन हो जाता है।
केवल इतना ही नहीं योग साधक को तत्व (आत्मा) का ज्ञान, स्वयं के अनुभव द्ववारा प्राप्त करना भी सिखलाता है। वास्तव में योग का प्रभाव व्यक्तित्व के सबसे बाह्य पक्ष- शरीर से प्रारम्भ होता है फिर मानसिक औार भावनात्मक स्तर की ओर अग्रसर होता है।