मिलेट्स के प्रकार | Types of millets
Types of millets यानि मिलेट्स के प्रकार के विषय में यदि आप जानना चाहते हैं तो आप एकदम सही लेख पर पहुँचे हैं। यह लेख आपको मिलेट्स के प्रकार की सही और संपूर्ण जानकारी देगा। पर आगे बढ़ने से पहले आपको मिलेट्स की बेसिक जानकारी होनी चाहिए। इसलिए आपको मेरा लेख मिलेटस क्या हैं और उसके पोषक तत्व कौन कौन से हैं? को पहले पढ़ना चाहिए। मिलेट्स वास्तव में अनेक हार्डी फसलों के छोटे-छोटे बीज हैं। इसलिए इन बीजों को विशेषज्ञयों ने कई प्रकार से वर्गीकृत किया है। जैसे-
- बीजों के आधार पर मिलेट्स के प्रकार
- बीजों के भंडारण के आधार पर मिलेट्स के प्रकार
- पोषक तत्वों के आधार पर मिलेट्स के प्रकार
- जलवायु के आधार पर मिलेट्स के प्रकार
आइए सबसे पहले हम बीजों के आकार के आधार पर बीजों के प्रकार को जानते हैं-
1. बीजों के आधार पर मिलेट्स के प्रकार | Types of millets according to Size of seeds in Hindi
वैज्ञानिकों ने विभिन्न चारा घास फसलों के बीजों को बीजों के आकार के आधार पर दो भागों में बाँट हैं-
- मौटे दाने वाला अनाज (Major millets)
- छोटे दाने वाला अनाज (Minor millets)
मौटे दाने वाले अनाज | Major millets in Hindi
वैज्ञानिकों ने मोटे दाने वाले अनाज में उन फसलों के बीजों को रखा हैं। जिन फसलों के बीज आकार में मोटे होते हैं। इस श्रेणी में आने वाली फसले हैं-
- रागी,
- बाजरा,
- ज्वार,
- चना,
- मूंग।
- मक्का
छोटे दाने वाले अनाज | Minor millets in Hindi
वैज्ञानिकों ने छोटे दाने वाले अनाज की श्रेणी में उन फसलों के बीजों को रखा हैं। जिन फसलों के बीज आकार में छोटे होते हैं। इस श्रेणी में आने वाली फसले हैं-
- कंगनी,
- हरी कंगनी
- कुटकी,
- कोदो,
- झंगोरा
- चावल।
वास्तव में मोटे दाने वाले अनाज की तुलना में छोटे दाने वाले अनाज में अधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। यही कारण है की लोग वापिस इन अनाजों की ओर रूख करने लगे हैं।
2. बीजों के भंडारण के आधार पर मिलेट्स के प्रकार | Types of millets according to storage conditions in Hindi
सबसे पहले आपको यह समझाना चाहिए कि हमें बीजों को स्टोर करने की आवश्यकता क्यों है? यदि आप यह समझ लेते हैं। तो आप बीजों के भंडारण के आधार पर मिलेट्स के प्रकार को सरलता से समझ लेगें।
यह तो आप सब जानते ही हैं कि प्रत्येक फसल के बीज अपने जैसे ही फसल को पैदा करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए हम प्रत्येक फसल के बीजों को उनके बच्चे भी कह सकते हैं।
यही कारण हैं कि हर फसल अपने बच्चों यानि कि बीजों की मौसम और कीटों से रक्षा करने के लिए उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है। इसलिए पहले बीज की सरंचना को समझना होगा।
बीज की सरंचना को जानने के बाद आपको यह ध्यान में रखना चाहिए कि फसलों के यह बीज हमारा भोजन भी है। हम इन बीजों को पीस कर इसका आटा तैयार करने के बाद न जाने कितनी तरह के खाद्य पदार्थों का निर्माण करते हैं और अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
यही कारण हैं कि हमें बीजों का भंडारण करने कि जरूरत होता हैं। वैज्ञानिकों ने बीजों के भंडारण के आधार पर मिलेट्स फसलों को दो भागों में बाँटा हैं।
- नग्न बीज
- चोकर यूक्त बीज
आइए अब जानते हैं कि नग्न बीज और चोकर यूक्त बीज क्या होते हैं? किन फसलों के बीज नग्न बीज होते हैं और किन फसलों के बीज चोकर यूक्त होते हैं।
नग्न बीज | Naked grain in Hindi
जिन फसलों के बीजों पर चोकर यानि Bran की परत नहीं होती। उन बीजों को फसलों से अलग करने के बाद उन पर लगे छिलके को उतारने के बाद सीधा भोजन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। तथा इन्हें स्टोर (भंडारण) भी किया जा सकता हैं। वैज्ञानिक इस प्रकार के अनाज को नग्ण अनाज यानि Naked grain भी कहते हैं। इस श्रेणी में आने वाली फसले हैं-
- रागी,
- बाजरा,
- ज्वार,
- चेना,
- मूंग
- मक्का।
चोकर यूक्त बीज | Husked grain in Hindi
जिन फसलों के बीजों पर चोकर यानि Bran की परत होती। उन बीजों को फसलों से अलग करने के बाद उन पर लगे छिलके को उतारने के बाद सीधा स्टोर (भंडारण) तो किया जा सकता पर इन्हें भोजन के रूप में प्रयोग करने से पहले इनपर लगी चोकर की परत को हटाना पडता हैं। वैज्ञानिक इस प्रकार के अनाज को चोकर यूक्त अनाज यानि Husked grain कहते हैं। इस श्रेणी में आने वाली फसले हैं-
- कंगनी (Foxtail millet)
- छोटी कंगनी (Brown top millet)
- कुटकी (Little millet)
- कोदाएं (Kudo millet)
- सानवा (Barnyard millet)
- चावल (Rice)
3. पोषक तत्वों के आधार पर मिलेट्स के प्रकार
आइए अब पोषक तत्वों के आधार मिलेट के प्रकार को जानें।
भारत में पोषक तत्वों के आधार पर मिलेट्स के विभाजन का काम डॉ.खादर वली ने किया हैं। डॉ.खादर वली को “भारत का मिलेट मैन” के नाम से भी जाना जाता हैं। यदि आप इनके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो आप डॉ.खादर वली की जीवनी पर क्लिक कर जान सकते हैं।
विज्ञान के अनुसार हमें स्वास्थ्य रहने के लिए ऐसा फूड खाना चाहिए जिसका कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स हो।
इसे डॉ.खादर वली ने कार्बोहाइड्रेट फाइबर के अनुपात की संज्ञा दी है।
कार्बोहाइड्रेट फाइबर के अनुपात यानि कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स के आधार पर डॉ.खादर वली ने मिलेट्स को तीन भागों में विभाजित किया है। जिसे आप नीचे दिए चार्ट में देख सकते हैं।
धान्य 100gm | नियासिन B-3 mg | रिबोफ्लेवन B-2 mg | थयामिन B-1 mg | केरोटन ug | आयरन mg | कैल्शम g | फास्फोस g | वसा g | खनिज g | कार्बोहाइड्रट g | फाइबर g | कार्बोहाइड्रेट फाइबर ratio % |
कंगनी Foxtail | 0.7 | 0.11 | 0.59 | 32 | 6.3 | 0.03 | 0.29 | 12.3 | 3.3 | 60.3 | 8.0 | 7.57 |
सान्वा Barnyard | 1.5 | 0.08 | 0.31 | 0 | 2.9 | 0.02 | 0.28 | 6.2 | 4.4 | 65.5 | 10 | 6.55 |
कोदाएँ Kodo | 2.0 | 0.09 | 0.33 | 0 | 2.9 | 0.04 | 0.24 | 6.2 | 2.6 | 65.6 | 9.0 | 7.28 |
कुटकी Little | 1.5 | 0.07 | 0.30 | 0 | 2.8 | 0.02 | 0.28 | 7.7 | 1.5 | 65.5 | 9.8 | 6.68 |
छोटी कंगनी Brown top | 18.5 | 0.027 | 3.2 | 0 | 0.65 | 0.01 | 0.47 | 11.5 | 4.21 | 69.37 | 12.5 | 5.54 |
तटस्थ | अनाज | |||||||||||
धान्य | नियासिन Vitamin (B-3) mg | रिबोफ्लेविन Vitamin (B-2) mg | थयामिन Vitamin(B-1) mg | केरोटन ug | आयरन mg | कैल्शम g | फास्फोस g | वसा g | खनिज g | कार्बोहाइड्रेट g | फाइबर g | कार्बोहाइड्रेट फाइबर ratio |
बाजरा Pearl | 2.3 | 0.25 | 0.33 | 132 | 8.0 | 0.05 | 0.35 | 11.6 | 2.3 | 67.1 | 1.2 | 55.91 |
रागी Finger | 1.1 | 0.19 | 0.42 | 42 | 5.4 | 0.33 | 0.27 | 7.1 | 2.7 | 72.7 | 3.6 | 20.19 |
चेना Proso | 2.3 | 0.18 | 0.20 | 0 | 5.9 | 0.01 | 0.33 | 12.5 | 1.9 | 98.9 | 2.2 | 31.31 |
ज्वार Sorgum | 1.8 | 0.13 | 0.37 | 47 | 4.1 | 0.03 | 0.28 | 10.4 | 1.6 | 72.4 | 1.3 | 59.69 |
मक्का Corn | 1.4 | 0.10 | 0.42 | 90 | 2.1 | 0.01 | 0.33 | 11.1 | – | 66.2 | 2.7 | 24.51 |
धान्य | नियासिन B-3 mg | रिबोफ्लेविन B-2 mg | थयामिनB-1 mg | केरोटन ug | आयरन mg | कैल्शम g | फास्फोस g | वसा g | खनिज g | कार्बोहाइड्रेट g | फाइबर g | कार्बोहाइड्रेट फाइबर ratio |
गेंहूँ Wheat | 5.0 | 0.17 | 0.35 | 64 | 5.3 | 0.05 | 0.32 | 11.8 | 1.5 | 76.2 | 1.2 | 63.50 |
चावल Rice | 1.2 | 0.06 | 0.06 | 0 | 1.0 | 0.01 | 0.11 | 6.9 | 0.6 | 79.0 | 0.2 | 395.0 |
सकारात्मक अनाज | Positive Grain
डॉ खादर वली के अनुसार सकारात्मक अनाज वह है जिसे खाने से मानव शरीर में होने वाले रोगों या हो चुके रोगों को ठीक करने की शक्ति होती है। यानि कि ऐसा अनाज जिस में चिकित्सीय गुण (healing properties) मौजूद हो। वह सकारात्मक अनाज है। आप सोच सहे होगे कि चिकित्सीय गुण यानि Healing properties क्या है? चलो पहले इसे समझते हैं!
चिकित्सीय गुण का क्या अर्थ है? | What is Healing properties?
चिकित्सीय गुण का अर्थ है- शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी से पैदा हुए रोग को किसी विशेष अनाज से बने भोजन को खाने से दूर किया जा सकें।
इसके लिए डॉ खादर वली ने अनाज में कार्बोहाईडेट फाइबर अनुपात (Carbohydrate fiber ratio) को आधार के रूप में माना है। विज्ञान का मानना है कि जिस अनाज का कार्बोहाईडेट फाइबर अनुपात 10% से कम होता है। वह अनाज Positive grains की श्रेणी में आता हैं।
वास्तव में डॉ खादर वली की कार्बोहाईडेट फाइबर अनुपात का concept ग्लाइसेमिक इंडेक्स से मेल खाता है। जिन मिलेट्स फसलों का लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स हैं वह सभी सकारात्मक अनाज की श्रेणी में आते हैं –
- कंगनी | foxtail millets GI < 7.57
- झंगोरा / सान्वा | Barnyard millet GI < 6.55
- कोदाएं | Kodo millet GI < 7.28
- कुटकी | Little millet GI < 6. 68
- हरी कंगनी | Brown top millet GI < 5.54
तटस्थ अनाज | Neutral Grains
डॉ खादर वली के अनुसार तटस्थ अनाज वह है जिसे खाने से मानव शरीर में होने वाले रोगों या हो चुके रोगों को ठीक करने की शक्ति तो नहीं होती है। किंतु ऐसे अनाज को खाने से मानव शरीर पर उसका कोई बुरा प्रभाव भी नहीं पडता। यानि कि ऐसा अनाज जिसमें कोइ चिकित्सीय गुण (healing properties) तो मौजूद नहीं होता पर फिर भी यह हमारे शरीर को वर्तमान में जैसा होता है उसे वैसा ही बनाएं रखते है।
तटस्थ अनाज की श्रेणी में आने वाली मिलेट्स फसलें हैं-
- बाजरा | Pearl millet GI > 55.91
- रागी | Finger millet GI > 20.19
- बर्री / चेना | Proso millet GI > 31.31
- ज्वार | Great millet GI > 55.69
- मक्का | Cone maze GI >24.51
नकारात्मक अनाज | Negative Grains
नकारात्मक अनाज वह है जिसमें कोई चिकित्सीय गुण (healing properties) मौजूद नहीं होती। यदि ऐसे अनाज से बने भोजन को लंबे समय तक खाया जाए तो उसका बुरा प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पडता है।
नकारात्मक अनाज की श्रेणी में आने वाली मिलेट्स फसलें हैं-
- गेहूँ | Wheat GI > 63.50
- धान / चावल | Paddy rice GI > 395.0
4. जलवायु के आधार पर मिलेट्स के प्रकार
मिलेट्स फसलों में जलवायु अनुकूलन यानि Climate adaptation की अद्भुत क्षमता होती है। यही कारण है कि मिलेट्स फसले किसी भी भूमी जैसे:-
- रतीली
- शुष्क
- बांज या
- उपजाऊ
आदि में पनपने की क्षमता रखती हैं। यही कारण हैं कि भारत में हमें मिलेट्स फसलों की खेती आंध्र प्रदेश के तटीय प्रदेशों से लेकर उतरी पूर्वी राज्यों और उतराखंड के पहाडी क्षेत्रों में देखने को मिलती हैं।
मिलेट्स फसलों की मुखय विशेषताएँ | Characteristics of millets crops
1 मिलेट्स फसले शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु में सरलता से पनपती हैं।
2 मिलेट्स के उत्पादन में भारत पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर आता है।
3 भारत में बाजरे के कुल उत्पादन का 85% भाग अकेले राजस्थान से आता है।
4 बाजरे की फसले कीटों को अपनी ओर आकृर्षित नहीं करती इसलिए इन फसलों पर कीटनाशकों यानि Pesticides के छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ती।
5 मिलेट्स फसलो को उगाने के लिए उर्वरको यानि Fertilizer की भी जरूरत नहीं होती।
6 बाजरा फसलसें को आलसी आदमी की फसले भी कहा जाता है।
7 भारत में कृषि करने की तीन ऋतुएँ है:—
भारत में कृषि ऋतूएँ | खेती |
खारीफ की फसलें (जून से सितंबर) | बाजरा |
रवी की फसलें (अक्टूबर से मार्च) | बाजरा |
ज़ायदा की फसलें (अप्रैल से जून) | बाजरा |
भारत में 10 सबसे अधिक मिलेट्स उत्पादक राज्य कौन से हैं? | Which are top ten millets producing states in India?
1) राजस्थान
2) महाराष्ट्र
3) गुजरात
4) हरियाणा
5) कर्नाटक
6) तमिलनाडू
7) उत्तर प्रदेश
8) मध्य प्रदेश
9) आंध्र प्रदेश
10) जम्मू और कशमीर
आपके लिए यह जानना भी फायदेमंद रहेगा कि वर्त्तमान में कौन-सा मिलेट किस राज्य में उगायाा जा रहा है। आइए अब उसे भी जान ले ताकि जलवायु के आधार पर मिलेट्स को समझने में आपको असानी हो…
रागी की खेती वर्त्तमान में करने वाले राज्य कौन-से हैं? | Which are the states currently cultivating (Finger millet) Ragi in Hindi
कर्नाटक
महाराष्ट्र
उतराखंड
तमिलनाडू
आंध्र प्रदेश
झारखंड
ओडिशा
छत्तीसगढ
कुटकी की खेती वर्त्तमान में करने वाले राज्य कौन-से हैं? | Which are the states currently cultivating Little millet in Hindi
कर्नाटक
महाराष्ट्र
तमिलनाडू
आंध्र प्रदेश
मध्य प्रदेश
झारखंड
ओडिशा
गुजरात
छत्तीसगढ
कोदाएँ की खेती वर्त्तमान में करने वाले राज्य कौन-से हैं? | Which are the states currently cultivating kodo millet in Hindi
मध्य प्रदेश
छत्तीसगढ
महाराष्ट्र
तमिलनाडू
कर्नाटक
झंगोरा की खेती वर्त्तमान में करने वाले राज्य कौन-से हैं? | Which are the states currently cultivating Barnyard millet in Hindi
उतराखंड
उत्तर प्रदेश
कर्नाटक
मध्य प्रदेश
नार्थ ईस्ट
तमिलनाडू
कंगनी की खेती वर्त्तमान में करने वाले राज्य कौन-से हैं? | Which are the states currently cultivating foxtail millet in Hindi
तेलगांना
आंध्र प्रदेश
कर्नाटक
राजस्थान
मध्य प्रदेश
तमिलनाडू छत्तीसगढ
चेना की खेती वर्त्तमान में करने वाले राज्य कौन-से हैं? | Which are the states currently cultivating Proso millet in Hindi
बिहार
नार्थ ईस्ट
तमिलनाडू
कर्नाटक
महाराष्ट्र
निष्कर्ष | Conclusion
आशा है इस लेख के माध्यम से आप मिलेट्स के प्रकारो कोअच्छे से समझ गए होंगे। यदि आप मिलेट खाने के फायदों को भी जाना चाहते हैं तो आपको मेरा यह लेख “मिलेट खाने के 12 फायदें” को अवश्य पढ़ना चाहिए। ताकि आप अपनी सेहत की रक्षा करने के लिए सही जानकारी के साथ तैयार हो सकें।
यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। इस जानकारी को अपने मित्रों और परिवार वालों के साथ Facebook, Quora आदि Social media platform पर share जरूर करें।
धन्यवाद !
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, मुंग,मोठ,उङद,चना,गेहूं, चावल,ग्वार आदि पोषण तत्वों से भरपूर होते हैं। ओर ये सभी मोटे अनाजो की अलग-अलग स्थानों पर जलवायु के अनुरूप खेती की जाती है।
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