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फैट (वसा) के प्रकार : फायदें और नुकसान | Types of fat : Benefit & dangers

फैट (वसा) के प्रकार | Types of fat फैट (वसा) के प्रकार |’ एक ऐसा विषय हैं जो आपके स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ा हैं। पर आपने कभी इसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया होगा। जरा सोचिए! आपको यदि पता हो कि हमारे शरीर में फैट क्‍यों आवश्‍यक हैं? फैट कितने प्रकार के होते हैं? कौन सा फैट अच्‍छा हैं और कौन-सा बुरा? तो आपको अपने स्‍वास्‍थ्‍य की सही देखभाल करने में असानी होगी या नहीं?…  आपको यदि Types of  fat का पता हो तो आप अपने वेट को बड़ी सरलता से कम या अधिक भी कर सकते हैं। इसके लिए हमे सबसे पहले भोजन और शरीर की अंतक्रिया को समझना होगा।तो शुरू करते हैं….

हमारे शरीर को अधिक कैलॉरी (ऊर्जा) प्रदान करने वाले तीन मुख्‍य पोषक तत्‍व हैं-

  • कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)
  • प्रोटीन (Protein)
  • फैट (Fat)

हमारे शरीर को कम कैलॉरी प्रदान करने वाले पोषक तत्‍व हैं-

  • विटामिन (Vitamins)
  • मिनरल (Minerals)
  • फाइबर (रेशेदार पदार्थ) (Fibers)
  • पानी (Water)  

शरीर को कार्य करने के लिए इन सभी पाेषक तत्‍वों की संतुलित मात्रा में आवश्‍यकता होती है। फैट शरीर को सबसे अधिक ऊर्जा प्रदान करता । इसलिए इसे शक्तिदायक ईधन भी कहा जाता है। किंतु यह भी सच है कि शरीर को इसे पचाने में सबसे अधिक समय लगता है।

वसा (फैट) है क्‍या? | What is fat?

फैट को हिंदी में ‘वसा’ या ‘चिकनाई’ और अंग्रेजी है ‘लिपिड’ कहा जाता है। यह हमारे शरीर को क्रियाशील बने रहने में सहयोग करता है। विशेषज्ञों के अनुसार एक स्‍वास्‍थ व्‍यक्ति को 100 ग्राम फैट की आवश्‍यकता प्रतिदिन होती है। यदि हम अपने भोजन में वसा  की मात्रा अधिक लेते हैं। किंतु उसका उपयोग नहीं करते तो वह वसा हमारे शरीर में अतिरिक्‍त चर्बी के रूप में जमा होने लगती है। जिसे फैट कहा जाता है। फैट के बढ़ने से हमें कई जानलेवा रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। दूसरी तरफ यदि शरीर में वसा की कमी हो जाए तो इससे भी हमे अनेक प्रकार के रोग हो सकते हैं।

आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि हाल ही में हुई एक रिसर्च से इस तथ्‍य का पता चला है कि विश्‍व में 5.5 अरब अर्थाथ (76%) लोग अधिक वसा (फैट) का शिकार है। शोधकर्ताओं का मानना है कि अधिक वसा की श्रेणी में वे लोग भी आते हैं, जिनका वज़न समान्‍य

हो। अर्थाथ जिन व्‍यक्तियों का BMI भले ही समान्‍य हो उनमें भी वसा की अधिकता हो सकती है। इस स्थिति में शरीर में विसरल फैट बड़ा होता है। आप इस लेख को पढ़े- Everything about Body Mass Index (BMI) | बॉडी मांस इंडेक्स की संपूर्ण जानकारी

वसा के प्रकार | Types of fat

विशेषज्ञों ने वसा का  वर्गीकरण अनेक प्रकार से किया है। कुछ विशेषज्ञों ने वसा को उन के रंगों की कोशिकाओं के आधार पर वर्गीकृत किया हैं, तो कुछ विशेषज्ञने वसा के शरीर में एकत्र होने के स्‍थान के आधार पर वर्गीकृत किया हैं, तो कुछ ने वसा की प्राप्ति के स्रोत्रों के आधार पर वर्गीकृत किया हैं। आइए एक एक कर इन  के विषय में जानतें हैं। इनमें से कौन-सा हमारे स्‍वास्‍थय के लिए अच्‍छा है और कौन-सा हानिकारक।    

वसा के प्रकार | Types of fat chart

 1.रंगों केआधार पर वसा कोशिकाएँ | Fat cell by colour

रंगों के आधार पर हमारे शरीर में तीन प्रकार की वसा कोशिकाएँ पाई  जाती हैं-

(i) सफ़ेद वसा कोशिकाएँ | What is white fat cell in Hindi?

हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ के लिए यह फैट आवश्‍यक है। यह सफ़ेद रंग की कोशिकाओं से बना होता है।

कहाँ पाई जाती है सफ़ेद वसा कोशिकाएँ?| Where is white fat cell found?

यह कोशिकाएँ हमारी त्‍वचा के नीचे तथा पेट (Stomach), कल्‍हों (Hips) और जांधों (Thighs) में पाई हैं।

हमारा शरीर अपनी प्रकृति के अनुसार इस फैट को भविष्‍य में  ईधन की भांति प्रयोग करने के लिए एकत्र करता रहता है। यही नहीं हमारे हार्मोंनस के कार्यों में भी इस फैट की बहुत बड़ी भुमिका होती है। यह वसा हमारे शरीर में इंसुलिन के नियंत्रित करने का कार्य करती है ताकि हमारे शरीर में स्‍वस्‍थ शर्करा की मात्रा बनी रहे।यदि आवश्‍यकता से अधिक सफ़ेद फैट कोशिकाएँ हमारे शरीर में हो जाए तो यही फैट ‘इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance)’ का कारण बनता है।सफ़ेद फैट के कारण हमारे ‘लेप्टिन’ नाम‍क हार्मोंन बनता है। जो हमारी भूख को नियंत्रीत करता है।

सफ़ेद फैट के कारण होने वाले रोग | Diseases caused by white fat cell
  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज | coronary artery disease
  • टाइप-2 डायबिटीज |Type- 2 diabetes
  • उच्‍च रक्‍तचाप | High blood pressure
  • अघात | Stroke
  • हार्मोंनस का असंतुलन | Hormone imbalance
  • गर्भावस्‍था की जटिलताएँ | Pregnancy complications
  • गुर्दें की बीमारी | Kidney disease
  • जिगर की बीमारी | Liver disease
  • कैंसर | Cancer

कैसे कम करें-

हमें अपने पेट (Stomach), कल्‍हों (Hips) और जांधों (Thighs) पर जमी चर्बी को कम करने के लिए व्‍यायाम और एक्‍सरसाइज करनी चाहिए। ताकि हमारी मांसपेशियों (मसल्‍स) का निर्माण हो सके। क्‍योंकि मसल्‍स फैट की अधिक ऊर्जा की खपत करती हैं। जिससे हमारे शरीर में सफ़ेद वसा की कोशिकाओं की मात्रा नियंत्रण में रहती है।

कुछ शोधों से पता चला है कि हमें अपनी भूख पर ध्‍यान देना चाहिए। जब हमें भूख नहीं होती तो भी हमें निश्‍चित अंतरालों पर अपना भोजन ले लेना चाहिए। ताकि सफ़ेद कोशिकाओ को भूरी (बॉउन) फैट कोशिकाओं में बदलने के लिए प्रेरित किया जा सकें।   

(ii) भूरी वसा कोशिकाएँ  | What is brown fat cell in Hindi?

भूरी (बॉउन) वसा कोशिकाएँ शिशुओं में अधिक और व्‍यस्‍कों में बहुत कम मात्रा में पाई जाती है। पर इसका यह अर्थ कदापि नहीं की यह हमारे लिए आवश्‍यक नहीं हैं।

कहाँ पाई जाती है भूरी वसा कोशिकाएँ  | Where is brown fat cell found?

यह कोशिकाएँ मुख्‍यता हमारे शरीर में नर्वस सिस्‍टम (Nervous system), रीढ की हड्डी (Spine), गले (Throat) तथा किडनी (kidney) के आसपास पाई जाती है।

वास्‍तव में यह वसा कोशिकाएँ हमारे शरीर में उर्जा को जलाकर (बर्न कर)  शरीर के तापमान को बनाए रखने का काम करती है।यह फैट जमी हुई चर्बी नहीं है इसलिए इसे जलाना आसान होता है।

कैसे कम करें-

 अधिकतर शोधकर्ता इस फैट को प्रेरित कर मोटापा कम करने की सलाह देते हैं। वास्‍तव में यह फैट हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को ठीक रखने में मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार य‍ह फैट,  सफ़ेद फैट कोशिकाओं से 100 गुण ज्‍यादा प्रोटीन का निर्माण करता है। हमारे शरीर में इसका निर्माण कैसे होता है इसका अभी तक पता नहीं चल सका है। हमें इस फैट को कम करने के जरूरत नहीं होती।

(iii) बेज वसा कोशिकाएँ | What is beige fat cell in Hindi?

बेज वसा कोशिकाएँ अनुसंधान का एक नया क्षेत्र है। माना जा रहा है कि बेज फैट मोटापे को रोकने में मदद करता है।विशेषज्ञों के अनुसार जब शरीर में तनाव होता हैं, तो बेज फैट का निर्माण होता है। जिससे सफ़ेद फैट की बेजिंग होती है। जिससे मोटापा कम करने में मदद होती है।

कहाँ पाई जाती है बेज वसा कोशिकाएँ  | Where is Beige fat cell found ?

यह फैट सफ़ेद वसा कोशिकाओं और भूरी वसा कोशिकाओं के बीच काम करता है।

कैसे कम करें-

इस फैट का कार्य है कि सफ़ेद फैट को ऊर्जा में बदलना। तथा यह बॉउन फैट के स्‍तर को बनाए रखने में भी मदद करना है। इसको नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञ तनाव द्वारा सफ़ेद फैट को बेज फैट में बदलने का सलाह देते हैं। इसके लिए वे सप्‍ताह में एक बार 75 मिनट तक जोरदार एक्‍सरसाइज करने की सलाह देते हैं।       

2. वसा संग्र‍हीत हाने के स्‍थान के आधार पर | Fat Cell by storage location

हमारे शरीर में वसा संग्र‍हीत हाने के स्‍थान के आधार पर तीन प्रकार की वसा कोशिकाएँ पाई  जाती हैं-

(i) आवश्‍यक वसा / इसेंशल फैट क्‍या है?| What is essential fat in Hindi?

जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह वसा हमारे शरीर के लिए आवश्‍यक है।

कहाँ पाई जाती है आवश्‍यक वसा? | Where essential fat found?

यह वसा हमारे पूरे शरीर के ऊपर पाई जाती है।

यह वसा शरीर के तापमान को बनाए रखती है। यह वसा विटामिन अवशोषण (Vitamin  absorption ) करने तथा प्रजनन हार्मोन के निर्माण का कार्य करती है। यह वसा दिखाई नहीं देती किंतु यह पूरे शरीर में पाई जाती है।

कैसे कम करें-

यह फैट हमारे शरीर के लिए आवश्‍यक है अत: हमें इसे कम करने की आवश्‍यकता नहीं होती।

(ii) उपचर्म वसा / सबक्‍युटेनियस फैट क्‍या? | What is subcutaneous  fat in Hindi ?

यह वसा हमारे शरीर की कुल वसा का 90 प्रतिशत होता है। इस वसा के द्वारा हमारी त्‍वचा के नीचले हिस्‍से का निर्माण होता है। यह फैट हमारे शरीर के अंगों की चोट से रक्षा करने हेतु  आवश्‍यक है। अर्थाथ यह फैट हमारे शरीर के ढाँचे का निर्माण करता है। इस फैट को हम आसानी से देख सकते हैं। यह फैट हमारी मांसपेशियों और त्‍वचा के बीच तकिए का काम करता है। ताकि हमारे आंतरिक अंगों कि सुरक्षा हो सके।

कहाँ पाई जाती है उपचर्म वसा ? | Where subcutaneous fat found?

यह वसा जांधों (Thighs), पेट (Stomach), बांहों ( Arms), गले (Neck) के आसपास जमा होती है।

हम कह सकते हैं कि यह वही फैट है जो हमारे शरीर के आकार को बिगाड़ता है।

कैसे कम करें-

हमारे शरीर की संरचना ऐसी है कि, वह अपने पास  अतिरिक्‍त चर्बी (वसा) को एकत्र कर रखता है। जब शरीर को भोजन नहीं मिलता या हम उपवास रखते हैं। तब शरीर अपने पास जमा की हुई वसा का प्रयोग एनर्जी के स्रोत्र के रूप में करता है।

नियंत्रित करने के लिए हमें बस इस बात का ध्‍यान रखना होता है कि हमारे किसी अंग पर आवश्‍यकता से अधिक चर्बी ना जमा होने पाए।

(iii)  आंत वसा / विसरल फैट क्‍या? | What is visceral fat in Hindi?   

यह वसा हमारे शरीर के महत्‍वपूर्ण और नाजुक अंगों के भीतर पाई जाती है। यह वसा हमें दिखाई नहीं देती। इसलिए इसे अदृश्‍य वसा भी कहते है। इस वसा के कारण भोजन के पचकर ऊर्जा में बदलने की गति धीमी हो जाती है।

कहाँ पाई जाती है आंत वसा? | Where is visceral fat found?

यह वसा हमारे हृदय की धमनियों (coronary artery) के अंदर, लिवर (Liver), अग्‍न्‍याशय (Pancreas), किडनी ( Kidney) और आंतों (Intestines) के आसपास पाई जाती हैं।

खासकर उन लोगों में इस फैट का पता ही नहीं चलता, जिनका BMI समान्‍य हो या जो देखने में फिट लगते हैं। इसलिए यह फैट सबसे खतरनाक है। यह फैट हमारे लाइफस्‍टॉइल से जुड़ा है। जब कभी हमारे बॉडी फंक्‍शन में बाधा उत्‍पन्‍न होती है, तब जाकर कहीं हमें इसके बारे में पता चलता है।

यह फैट हमारे हार्मोंनस में असंतुलन भी उत्‍पन्‍न करता है। इतना ही नहीं उम्र बढ़ने के साथ- साथ इस फैट का स्‍तर भी हमारे शरीर में बढ़ता जाता है।

इस फैट के उच्‍चे स्‍तर के कारण होने वाले मुख्‍य रोग हैं-

  • हृदय रोग और कोरोनरी आर्टरी डिजीज | Cardiovascular problems & coronary artery disease
  • स्‍थन कैंसर | Brest cancers
  • सट्रोक | stroke
  • अल्‍जाइमर | Alzheimer’s disease
  • मनोभंश (डिमेंशिया) | Dementia 

कैसे कम करें-

विशेषज्ञों के अनुसार इस फैट को कम करने का सबसे अच्‍छा तरीक यह है कि हम अपने भोजन में से-

  • प्रोसेस्‍ड फूड |Processed food
  • डिब्‍बा बंद फूड | Box food
  • प्रोसेस्‍ड जूस |Processed juice
  • गैस वाले पेय पदार्थों |Gas beverages

का सेवन बंद कर देना चाहिए। खान-पान संबंधी अनियमितता का त्‍याग कर निश्चित समय पर भोजन लेने की आदल डालनी चाहिए। एक समय का भोजन केवल फल और स‍ब्‍जियों से करना चाहिए। अपने भोजन में  ताजी सब्‍जियों, फलों और मोटे अनाजों का प्रंयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए। व्‍यायाम या एक्‍सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्‍सा बनाना चाहिए।

3. वसा प्राप्ति के स्रोत्रों के आधार पर | Based on fat source

वसा प्राप्ति के स्रोत्रों के आधार पर तीन प्रकार की पाई जाती हैं-

(i) संतृप्‍त वसा क्‍या है?| What is saturated fat in hindi?

संतृप्‍त वसा यानी सैचुरेटेड फैट। यह वसा हमें ज्‍यादातर पशुओं से प्राप्‍त होती है। इस वसा की विशेषता यह है कि यह कमरे के तापमान पर ठोस रहती है।

सैचुरेटेड फैट के स्रोत्र है-

  • रेड मीट | Red meat
  • पोल्‍टी चिकन |Poultry chicken
  • अंडें | Eggs
  • दूध | Milk
  • मक्‍खन |Butter
  • चीज | Cheese
  • पाम आयल | Palm oil
  • नारियल का तेल | Coconut oil
  • नारियल का दुध |Coconut milk
  • आइसक्रीम | Ice cream
  • सॉस | Sauce
  • केक, पेस्‍ट्री | Cake, Pastry
  • बिस्‍कुट |Biscuits
  • चॉकलेट | Chocolate

यदि कोई व्‍यक्ति अधिक सैचुरेटेड फैट वाले आहार का सेवन करता है। तो उसके शरीर में खराब कोलेस्‍ट्रॉल (LDL) का स्‍तर बढ जाता है। जिससे निम्‍न रोग हो सकते हैं-

  • हृदय संबंधी रोग | Cardiovascular disease
  • स्‍ट्रोक |Stroke
  • हाई ब्‍लड प्रेशर |High blood pressure   

कैसे कम करें-

इसे कम करने का सबसे अच्‍छा तरीका यह है कि हम अपने आहार में से संतृप्‍त वसा वाले खाद्य प्रदार्थों को हट दें या कम-से-कम कर दें।   

(ii) असंतृप्‍त वसा | What is unsaturated fat in Hindi?

असंतृप्‍त वसा यानी अनसैचुरेटेड फैट। यह वसा हमें ज्‍यादातर वनस्‍पति तेलों से प्राप्‍त होती है। इस वसा की विशेषता यह है कि यह कमरे के तापमान पर तरल रहती है। अनसैचुरेटेड फैट दो तरह के होते हैं-

(i) पोली अनसैचुरेटेड फैट | Polyunsaturated  fat

(ii)  मोनो अनसैचुरेटेड फैट | Monounsaturated  fat

(i) पोली अनसैचुरेटेड फैट |Polyunsaturated  fat : इस फैट की यह विशेषता हैं कि यह कमरे के तापमान में तरल अवस्‍था में रहते हैं। यदि इस फैट को जमाया जाए तब भी यह तरल अवस्‍था में ही रहते हैं। यह फैट दो प्रकार के हैं-

(क) ओमेगा 3 फैटी एसिड्स |Omega 3 Fatty Acid : यह मछली, अलसी के बीज, वनस्‍पति तेल और नट्स में पाया जाता है।

(ख) ओमेगा 6 फैटी एसिड्स |Omega 6 Fatty Acid : यह हरी पत्‍तेदार सब्जियों, बीजों और नट्स में पाया जाता है।  

(ii)  मोनो अनसैचुरेटेड फैट |Monounsaturated  fat :  ये फैट कमरे के तापमान पर तरल अवस्‍था में रहते हैं। यदि इन्‍हें जमाया जाए तब यह ठोस अवस्‍था में बदल जाते में हैं।

इस फैट के स्रोत्र हैं-

  • जैतून का तेल |Olive oil
  • मुंगफली का तेल |Peanut oil
  • केनोला का तेल |Canola oil
  • बदाम | Almond
  • अखरोट | Walnut
  • नट्स |Nuts

 कैसे कम करें-

इसे कम करने की हमें आवश्‍यकता नहीं होती। क्‍योंकि यह हमारे शरीर के लिए अच्‍छा होता है।

(iii) ट्रांस वसा | What is trans fat in Hindi?

 यह फैट अनसैचुरेटेड फैट को औद्योगिक प्रक्रिया से प्रसंस्‍करण  (Processed) कर के बनकर जाता है। इसलिए यह वसा हमारे शरीर के लिए अच्‍छी नहीं होती। ये फैट हमारी भोजन के स्‍वाद में वृद्धि करते हैं, तथा भोजन को लंबे समय त‍क खाने योग्‍य बनाए रखते हैं।

ट्रांस फैट के स्रोत्र है-

  • तले हुए खाद्य पदार्थ |Fried food
  • केक | Cake
  • बिस्‍कुट |Biscuits
  • कूकिज | Cookies
  • मक्‍खन |Butter
  • जमा हुआ पिज्‍जा | Frozen pizza
  • डोनट्स |Donots  

ट्रांस फैट के अधिक सेवन से होने वाले रोग हैं-

  • हृदय रोग
  •  टाइप-2 डायबिटीज,
  • सट्रोक आदि।

कैसे कम करें-

विशेषज्ञों के अनुसार हमें इस वसा को कम से कम लेना चाहिए। यह वसा हमारे स्‍वास्‍थय संबंधी परेशानियों को बढ़ाती है।

निष्‍कर्ष | Conclusion:

आशा है, अब तो आप सब समझ ही गए होगें कि शरीर को क्रियाशील बनाए रखने के लिए फैट जरूरी है। प्रत्‍येक प्रकार की वसा हमारे शरीर में अलग- अलग कार्य को संपन्‍न करती है। हमारे खाने की आदतों के द्वारा ही हमारे शरीर की संरचना बनती है।

सरल शब्‍दों में हमारा भोजन हमारे शरीर को आकार प्रदान करता है।यही कारण है कि किसी व्‍यक्ति के पेट पर फैट  जमा होता है, तो किसी की जांधों पर, तो किसी के कूल्‍हों पर, ऐसा इएलिए है क्‍योंकि हर व्‍यक्ति की भोजन में अपनी अपनी पसंद होती है। यदि हमें यह पता चल जाता है कि हमारा शरीर वेट कैसे प्राप्‍त कर रहा है, तो हम सरलता से अपना वेट कम कर सकते है।

आशा करते हैं कि यह जानकारी आपको वसा के प्रकार और उनसे होने वाले खतरों से सुरक्षित रहने में सहायक होगी। यदि यह जानकारी आपको अच्‍छी लगी हो तो कृपा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। इस जानकारी को अपने मित्रों और परिवार वालों के साथ इसे Facebook , Tweeter, Quora पर शेयर जरूर करें।

धन्‍यवाद!

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

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