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मिलेट क्‍या हैं और उसके पोषक तत्‍व कौन कौन से हैं?

मिलेट क्‍या हैं और उसके पोषक तत्‍व कौन कौन से हैं? को जानने से पहले यह जान लेना आवश्‍यक हैं कि मिलेट किसे कहते हैं? मिलेट यानि की बाजरा। जी हाँ! बाजरा ही अंग्रेजी में मिलेट कहलाता है। वास्‍तव में बाजरे को ही अंग्रेजी में ‘मिलेट’ कहते हैं। इस करोना काल में लोग अपने स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं। ऐसे में आपको अपने आस-पास अवश्‍य ही कुछ व्‍यक्ति आपस में मिलेट के विषय में बात करते दिखाई दे ही जाएँगे। जिन्‍हें मिलेट के विषय में पता नहीं है! वह internet पर इसे खोजने पहुँच जाते हैं। अत: यदि आप भी मिलेटस के विषय में जानना चाहते हैं तो यह लेख आपको मिलेट के विषय में सरल भाषा में संपूर्ण जानकारी देगा। तो शुरू करते हैं….  

millet
source wikipedia

मिलेट क्‍या हैं? | What is millet in Hindi?

वास्‍तव में बाजरा छोटे आकार के बीज हैं। यह एक ओर मानव के लिए पौष्‍टिक आहार हैं तो दूसरी ओर पशुओं के चारे के काम भी आता हैं। इसलिए यह मानव और पशुओं दोनों का भोजन हैं।

मिलेट फसलों को सूखे क्षेत्रों, वर्षा आधारित क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों, या पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता हैं। केवल इतना ही नहीं इन्‍हें मिट्टी की सीमित उर्वरता और नमी की सीमांत परिस्थितियों में भी असानी से उगाया जा सकता हैं।

मिलेटस के प्रकार | Types of Millets in Hindi

वास्‍तव में बाजरा को उसके बीजों के आकार और उगने के तरीके के आधार पर हम दो भागों में बाँट सकते हैं-

  1. मौटे दाने वाला अनाज (Major millets) 
  2. छोटे दाने वाला अनाज (Minor millets)

1 मौटे दाने वाला अनाज (Major millets):

मौटे दाने वाले अनाज को Naked grain के नाम से भी जाना जाता हैं। जैसा की नाम से ही पता चल रहा हैं इन धान्‍यों के बीज मोटे होते हैं। तथा बीजों पर लगी भूसी को उतारने के बाद सीधा भंडार गृहों में रखा जा सकता हैं। जैसे- रागी, बाजरा, ज्‍वार,चेना, मूंग। इतना ही नहीं मोटे अनाजों की प्रमुख विशेषता यह हैं कि-  

  • यह सूखा सहन करने की क्षमता रखते हैं।
  • इन फसलों को उगाने में कम लागत आती हैं।
  • इन फसलों में कीटों से लड़ने की रोगप्रतिरोधक क्षमता होती हैं।
  • इस कारण कम उर्वरकों और खाद्ध की आवशयकता होती है।  

2 छोटे दाने वाला अनाज (Minor millets):

छोटे दाने वाले अनाज को Husked grain के नाम से भी जाना जाता हैं। जैसा की नाम से ही पता चल रहा हैं इन धान्‍यों के बीज छोटे होते हैं। तथा इन लधु धान्‍य अनाजों के बीजों पर लगे छिल्‍कों (बीजावरण) को हाथ से उतारने के बाद ही भंडार गृहों में सुरक्षित रखा जाता हैं। लधु धान्‍य अनाजों हैं- कंगनी, कुटकी, कोदो, चावल।

लधु अनाजों के बीजावरण को हटाने के जिए किसी मशीन का निर्माण नहीं हो सका शायद यही वज़ह रही कि चावल को छोड़कर बाकी सभी धान्‍य कहीं पीछे छुट गए। वास्‍तव में मोटे अनाज की तुलना में लधु अनाज में अधिक पौष्टिक तत्‍व पाए जाते हैं। यही कारण है की लोग वापिस इन अनाजों की ओर रूख करने लगे है।  

वर्तमान में बाजार में उपलब्‍घ मिलेटस की मुख्‍य किस्‍में इस प्रकार हैं-                    

1 ज्‍वार (शबर्त) | Jowar (Sorghum)

2 बाजरा | Bajar (Pearl millet)

3 रागी | Ragi (Finger millet)

4 झंगोरा | Jhangora (Barnyard millet)

5 बैरी | Barri (Proso / Common millet)

6 कंगनी | Kangni ( Foxtail / Italian millet)

7. कुटकी | kutakee (Little millet)  

7 कोदो  | Kodo (Kodo millet)

8. चेना | Chena (Proso millet)

pearl millet
pearl millet

भारत में मिलेट की पैदावार | Millet yields in India in Hindi 

आज से 300-400 साल पहले बाजरा भारत की परंपरागत फसलें थी। जिसे 1960 के दशक में हरीत क्रांत्रि आने के बाद से काफी नुकसान पहुँचा। क्‍योंकि बाजरा उगाए जाने वाले बड़े क्षेत्र को हरि‍त क्रांत्रि के अंतगर्त उगई जाने वाली फसलों (गेंहूं और चावल) के लिए प्रयोग किया जाने लगा था। जिससे हमारी परंपरागत फसलों को असाधारण नुकसान पहुँचा। भले ही हरि‍त क्रांत्रि का मुख्‍य कारण हमारी बड़ती जनसंख्‍या एवं आर्थिक परिस्थितियाँ थी। किंतु इससे हमारी परंपरागत बाजरा फसलों को काफी नुकसान पहुँचा था। यह कहना गलत नहीं होगा कि बाजरा विलुप्‍ती के कांगार पर पहुँच चुका था। भारत सरकार के कृषि और किसान कल्‍यान मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2016-2017 में बाजरे की खेती में 60% कमी आई हैं।

वर्तमान समय में मिलेटस भारत के गुजरात, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश, महाराष्‍ट्र, कर्नाटका, तमिलनाडु, आँध्र प्रदेश, और तेलगांना राज्‍यों में उगाया जाता है।

बाजरा के रोचक तथ्‍य | Amazing facts regarding millets in Hindi  

1. मिलेटस फसलों के बीज लगभग 60- 65 दिन में निकल आते हैं और यह फसलें 3 महीने के अंदर पक कर तैयार हो जाती हैं।

2. बाजरा आकार में छोटे बीज होते हैं। इसलिए यदि इन्‍हें ठीक से संग्रहित किया जाए तो इन्‍हें दो साल से अधिक समय तक सुरक्षि‍त रखें जा सकते हैं।

3. घनी आबादी वाले क्षेत्रों में मिलेट खाद्य स्‍मस्‍या के समाधान भी प्रस्‍तुत करती है।

4. बाजरे को आसानी से store किया जा सकता है। यही कारण हैं कि बाजरे को भारत में ‘आकाल रिजर्व’ (Famine Reserves) का दर्जा प्राप्‍त हैं।  

5. मिलेट को ‘चमत्‍कारिक अनाज’ (miracle grain) या ‘भविष्‍य की फसल’ (crops of the future) भी कहा जाता  हैं क्‍योकि इनमें अनुकूलन की अद्भूत क्षमता होती हैं। यह केवल अनुकूल परिस्थितियों में ही उत्‍पन्‍न नहीं होते बल्कि यह कठोर परिस्थितियों में भी उत्‍पन्‍न होने की क्षमता रखते हैं। इसलिए यह आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों से लेकर उत्‍तर-पूर्वी राज्‍यों और उतराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भी उगाए जाते हैं। 

 7. डॉ. खादर वली को भारत का मिलेट मैन कहा जाता हैं। उन्‍होंने मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों के द्वारा रोगों से मुक्‍ति के विषय में जन- जन को जागरूक करने का कार्य किया। यदि आप इनके विषय में अधिक जान ना चाहते हैं तो आप हमारे लेख ‘डॉ खादर वली को अवश्‍य पढ़े।  

आइए अब मिलेट में पाए जाने पाले पोषक तत्‍वों पर एक नज़र डाल लेते हैं।

बाजरा में पाए जाने वाले पोषक तत्‍व | Nutrients found in millets in Hindi

बाजरा में पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों की सूची लंबी हैं। इस लिए मिलेट को अपने भोजन के रूप में लेने से अनगिनत फायदों की प्राप्‍ति होती हैं। जिनके विषय में हम अपने आनेवाले लेख में आपको जानकारी देंगे। तब तक आप विज्ञान के अनुसार निर्धारित पोषक तत्‍वों पर एक नज़र डाले। मिलेटस में पाए जाने वाले खनिज (minerals) हैं-

कैल्शियम | Calcium

लोहा | Iron

जस्‍ता | Zinc

फास्‍फोरस | Phosphorus

मैंग्नीशियम | Magnesium

पोटेशियम | Potassium

फाइबर | fiber

विटामिन बी-6 | Vitamin B-3 

विटामिन बी-3 | Vitamin B-6

कैरोटीन | Carotene

लेसितिण | lecithin आदि समृद्ध मात्रा पाए जाते हैं।

निष्‍कर्ष | Conclusion

आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि मिलेट यानि कि बाजरा क्‍या है? इसमें कौन- कौन से पोषक तत्‍व पाए जाते हैं? भारत में मिलेट की पैदावार कहाँ- कहाँ होती हैं।

50 दशकों से भी अधिक समय से यह हमारी थाली से गायब रहा। जिसके परिणामस्‍वरूप मानव स्‍वास्‍थय को अनेक बीमारियों ने आ धेरा हैं। किंतु अब धीरे-धीरे ही सही इस ओर लोगों का ध्‍यान आकर्षित होने लगा हैं।

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धन्‍यवाद!

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

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