जीएम फसलें क्या है और इनका क्या संबंध है हमारी हेल्थ से
जीएम फसलें क्या है और इनका क्या संबंध है हमारी हेल्थ से? इन्हें लेकर पूरे विश्व में क्यों बहस छिड़ी हुई है? यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके बारे में आपको पता होना ही चाहिए। क्योंकि इन फसलों का सीधा संबंध हमारी हेल्थ से हैं। इसलिए हर बार की तरह यह लेख भी मैने पूरी रिसर्च के साथ तैयार किया है। आपको इस लेख में उन सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे जो एक आम व्यक्ति के मन में इन फसलों के लेकर उठते हैं। मेरा मानना है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपके मन में इन फसलों को लेकर जो भी प्रश्नों होंगे उन सभी के उत्तर इस एक लेख द्वारा आपको प्राप्त हो जाएंगे। साथ ही आपको इस लेख को पढ़ने में लगे वाले समय की पूरी कीमत भी मिलेंगी। साथ ही इससे आपके ज्ञान में भी बढ़ोतरी होगी। तो चलिए शुरू करते हैं…
जीएम फसलें क्या है? | What is genetic modified crops (GM Crops) in Hindi
जीएम फसलें क्या है? इसे जानने के लिए आपको कुछ शब्दावली की जानकारी होनी आवश्यक है। यदि आपको उन शब्दों का सही अर्थ पता है तो आप बहुत आसानी से समझ लेंगे कि जीएम फसलें क्या है और इनका हमारी हेल्थ से क्या कनेक्शन है? तो सबसे पहले हमें उस शब्दावली को जाना होगा। और वह शब्दावली है…….
1 आनुवंशिकता | Heredity
2 आनुवंशिक अभियांत्रिकी | Genetic engineering
3 आनुवंशिक संशोधित जीव | Genetic modified organisms
4 आनुवंशिक संशोधित बीज | Genetic modified Seeds
5 आनुवंशिक संशोधित फसलें | Genetic modified crops
आनुवंशिकता क्या है? | What is heredity in Hindi
आनुवंशिकता का अर्थ है, माता-पिता के गुणों का उनकी संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी अवतरित होना। सबसे पहले इसके विषय में 18वीं शाताब्दी में जर्मन भाषी आस्ट्रियाई पादरी ‘ग्रेगर जोहान मेंडेल’ ने मटर के पौधे पर अपनी रिसर्च के दौरान वंशक्रम के नियमों की खोज की और दुनिया को बताया कि एक पीढ़ी के गुण दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं। इसलिए बंदर का बच्चा बंदर और चूहे का बच्चा चूहा पैदा होता है। ग्रेगर जोहान मेंडेल’ की इस खोज ने जेनेटिक इंजनियरिंग की नींव रखी। इसलिए उन्हें father of genetic भी कहा जाता है।
आनुवंशिकता को जान लेने के बाद अब जानते हैं आनुवंशिक अभियांत्रिकी यानि Genetic engineering क्या है?
आनुवंशिक अभियांत्रिकी क्या है? | What is Genetic engineering in Hindi
आनुवंशिक अभियांत्रिकी यानि Genetic engineering ऐसी तकनीक है जिसमें किसी जीव के किसी एक गुण या एक से अधिक गुणों को नियंत्रित करने वाले जीनस में कृत्रिम ढ़ंग से परिवर्तन किया जाता है। यह परिवर्तन जीव के आण्विक स्तर यानि Cell में पाये जाने वाले विशेष पदार्थ DNA में बदलाव कर किया जाता है। अब आपके मन में यह प्रश्न भी उठ रहा होगा कि यह DNA क्या होता है? आगे बड़ने से पहले इसे भी जान लेते हैं…
DNA क्या है? | What is DNA in Hindi
DNA डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड़ है जो जीव के सेल (Cell) में पाया जाता है। जो एक केरियर के रूप में काम करता है और माता-पिता की आनुवंशिक सूचनाओं को कूट भाषा में उनकी संतानों तक पहूँचाता है।
दरअसल मेंडल ने आनुवंशिकता की खोज तो 18वीं शताब्दी में ही कर ली थी किंतू उसके कई वर्षों बाद 1954 में जेमस डी वॉटसन (James Watson) और फ्रेकिस क्रिक (Francis Crick) ने DNA के सिंद्धांतों की खोज की। उनकी इस खोज ने जेनेटिक इंजीनियरिंग को नई दिशा प्रदान की

क्या आप जानते हैं- सबसे पहले Genetic engineering तकनीक का प्रयोग किस पर हुआ था?
Genetic engineering तकनीक का सबसे पहले प्रयोग ‘बैक्टीरिया’ पर किया गया था। जिसका लाभ यह हुआ था कि इस तकनीक का प्रयोग कई रोगों की antibiotic, vaccine और enzymes बनाने में किया जाने लगा। दवाईयों के क्षेत्र में इस तकनीक की अपार सफलता को देखते हुए, इस तकनीक का प्रयोग ‘जानवरों’ के cells में किया गया। फिर ‘पौधों’ में इस तकनीक का प्रयोग किया गया।
DNA को जान लेने के बाद अब जानते हैं आनुवंशिक संशोधित जीव यानि Genetic modified Organisms क्या है?
आनुवंशिक संशोधित जीव | Genetic modified Organisms in Hindi
आनुवंशिक संशोधित जीव एक व्यापक शब्द है, जिसके अंतर्गत वे सभी ‘बैक्टीरिया‘, ‘फफूंद‘, ‘जानवर‘ और ‘पौधे‘ आदि आ जाते हैं, जिनके आनुवंशिक पदार्थ यानि DNA में जेनेटिक इंजनीरिंग तकनीक के माध्यम से फेरबदल कर उन्नत किस्म के जीवों को प्राप्त किया जाता है।
आनुवंशिक संशोधित जीवों में जीव भी आ जाते हैं, जिनके DNA में किसी दूसरे जीव के जीनस को डालकर नये जीव को प्राप्त किया जाता है। ऐसे जीवों को परजीवी यानि Transgenic organism भी कहा जाता है। ऐसे जीवों के गुण और लक्षण मूल जीव से अलग होते हैं। आगे बड़ने से पहले आपको आनुवंशिक संशोधित जीवों के इतिहास के बारे में पता होना चाहिए कि किस प्रकार यह जीव अस्तितव में आये….
आनुवंशिक संशोधित जीवों का इतिहास | History of Genetic modified Organisms in Hindi
मेंडेल द्वारा heredity की खोज करने से पहले तक हम सब यही जानते थे कि बंदर का बंदर से मेल होने पर बंदर और गेहूँ का गेहूँ से मेल होने पर गेहूँ प्राप्त होता है क्योंकि यही प्राकृतिक तरीका था नई नस्लों को प्राप्त करने का। किंतू 1972-1973 में अमेरिकी बॉयोकैमिस्ट हर्बर्ट बॉयर (Herbert Boyer) और स्टेनली कोहेने (Sternly Cohen) ने ऐसी तकनीक विकसित की जिसमें दो अलग- अलग जीवों के सेल में मौजूद DNA को अलग- अलग जगह से काटकर आपस में मिलाकर मेजबान जीव में डालकर नए गुणों वाली नई नस्ल को प्राप्त किया जा सकता था। अपनी इस खोज को उन्होंने रिकॉमीनेट डीएनए टेकनॉलजी (Recombinant DNA Technology) का नाम दिया। इस खोज ने जेनेटिक इंजनीरिंग के क्षेत्र में क्रांति का बुगल बजा दिया। आज हर देश इस तकनीक का प्रयोग अपने फायदे के लिए करने में लगा हुआ है।
वैज्ञानिक अब एक से अधिक पौधों या जानवरों से अनुवांशिक सामग्री को लेकर उसे किसी दूसरे पौधे या जानवर के जीन में जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक के द्वारा डालकर नई प्रजातियों के बनाने में सक्षम हो गए हैं