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ब्रॉउनटॉप मिलेट्स बाजरा की संपूर्ण जानकारी

यदि आप ब्रॉउन टॉप मिलेट्स बाजरा की संपूर्ण जानकारी प्राप्‍त करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए है। एक व्‍यक्ति के मन में इस सुपर फूड़ को लेकर जो-जो प्रश्‍न उठते हैं, मैंने उन सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर इस लेख में देने का प्रयास किया है। यदि आपको मेरा यह प्रयास अच्‍छा लगे तो कृप्‍या नीचे comment section में अपने विचार लिखकर मुझ तक पहुंचाइये, ताकि मैं ऐसे ही ज्ञान से भरे लेख आपके लिए लेकर आती रहूं। तो चलिए शुरू करते हैं…  

   

ब्रॉउन टॉप मिलेट्स कौन-सा अनाज है? | What grain is Brown Top millet in Hindi

ब्रॉउनटॉप मिलेट्स पौराणिकआनाज है। जिसे हमारे पूर्वजों के द्वारा खाया जाता था। आज के पौषक तत्‍व विशेषज्ञय इस अनाज को सकारात्‍मक अनाज (Positive grain) की श्रेणी में आने वाला अनाज बताते है। वास्‍तव में यह गर्म मौसम की वार्षिक भूसी युक्‍त चारा घास फसल है। य‍ह फसल एक ओर अच्‍छी गुणवत्ता वाले चारे का उत्‍पादन करती है, तो दूसरी ओर यह उच्‍च गुणवत्ता वाला भोजन भी प्रदान करती है।

ब्रॉउन टॉपमिलेट्स (हरी कंगनी) का इतिहास | History of Brown top millet in Hindi

आजकल जो लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हैं वे इस बाजरा के विषय में कुछ-कुछ जानते होंगे पर अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि आहार विशेषज्ञय इस ग्रेन को सबसे प्राचिनतम अनाज की श्रेणी में क्‍यों रखते है? चलिए जानते हैं…  

ब्रॉउनटॉप मिलेट्स की उत्‍पति | Origin of Brown Top millet in Hindi

आपको जानकर अचरज होगा कि इस चारागाह फसल के प्रमाण 4000 साल पूर्व पश्चिमी अफ्रीका के देशों में मिले हैं जिससे पता चलता है कि यह फसल हमारे पूर्वजों के द्वारा खाई जाती रही है। इस चारा घास फसल में कुछ ऐसी खास विशेषताएं हैं,जो स्वयं ही इसकी प्राचीनता का प्रमाण देती हैं। यदि आप उन विशेषताओं को जानना चाहते हैं, तो आपको मेरे साथ पृथ्वी पर जीवन के आरंभ यानी आदिम युग तक चलना होगा जहां पहुंचकर आप स्वयं ही अपनी विश्लेषणात्मक बुद्धि यानि एनालिटिकल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर जान जाएंगे कि केवल ब्राउन टॉप मिलेट ही नहीं बल्कि सभी माइनर मिलेट कितने प्राचीन हैं।

जैसा कि आप सब जानते हैं कि हमारे आदिम पूर्वज पेड़ पौधों से गिरे जंगलों में भोजन की तलाश में भटकते हुए जीवन जीते थे वे पेड़ पौधों से प्राप्त फल फूल भी तथा जंगली जानवरों का शिकार कर अपना पेट भरते थे और अपना अस्तित्व बनाए रखते थे।

आगे बढ़ने से पहले उस समय पृथ्वी पर जीवों के भोजन की जो व्यवस्था थी, उसे जानना आपके लिए रोचक तो होगा ही,साथ ही यह ज्ञान ब्राउन टॉप मिलेट की प्राचीनता को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक भी है। विज्ञान के अनुसार इस पृथ्वी पर जनसंख्या के आधार पर जीवो की जो व्यवस्था ईश्वर ने बनाई थी उसे देखना जरूरी है। वैज्ञानिक इस व्यवस्था को खाद्य श्रृंखला कहते है। आप इसे पोषक तत्व का चक्र भी कह सकते हैं।

Food chain

खाद्य श्रृंखला को विज्ञानिकों ने जनसंख्‍या के आधार पर पिरामिड के रूप में व्‍यक्‍त किया है जिसे आप ऊपर बने चित्र में देख सकते है।

Food chain pyramid के 1st लेवल पर

वे सभी प्रकार के हरे पेड़-पौधे आते हैं, जो सूरज की रोशनी में वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड और जल लेकर प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से अपना भोजन स्वयं तैयार कर लेते हैं। जिसे वह अपने शरीर के विभिन्न अंगों जैसे- पतियों,फल,फूल,तने और जड़ों में एकत्र कर रखलेते हैं। पृथ्वी पर इनकी जनसंख्या सबसे अधिक है। साइंटिस्ट इन्‍हें उत्पादन कर्ता यानी producer कहते हैं।

Food chain pyramid के 2nd लेवल पर

मानव तथा वे सभी शाकाहारी जीव आते हैं जो अपने भोजन के लिए पेड़ पौधों पर निर्भर हैं और पृथ्वी पर इनकी जनसंख्या उत्पादनकर्ता की तुलना में कम होती है। वैज्ञानिक इन्हें प्राथमिक उपभोक्ता यानी Primary consumer कहते हैंं।

Food chain pyramid के 3rd लेवल पर

वे जीव आते हैं जो शाकाहारी जीवों को खाकर अपना पेट भरते हैं। पृथ्वी पर इनकी जनसंख्या Primary consumer की तुलना में कम होती है।  वैज्ञानिक इन्हें द्वितीयक मांसाहारी उपभोक्ता यानी Secondary carnivores consumer कहते हैं।

Food chain pyramid के 4th लेवल पर

वे जी आते हैं जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के जीवों को खाकर अपना पेट भरते हैं। इनकी पापुलेशन Secondary carnivores consumer की तुलना में कम होती है। वैज्ञानिक इन्हें सर्वाहारी यानी Omnivores consumer कहते हैं।

Food chain pyramid के 5th लेवल पर

वे जीव आते हैं जो मांसाहारी जीवों को खाकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इनकी जनसंख्या Omnivores consumer की तुलना में कम होती है।  वैज्ञानिक इन्हें तृतीयक मांसाहारी उपभोक्ता यानी Tertiary carnivores consumer कहते हैं।

Food chain pyramid के 6th लेवल पर

वे जीव आते हैं जो मृत पेड़-पौधों और जानवरों को खाते हैं। जिससे पोषक तत्व वापस मिट्टी में मिल जाते हैं। इनकी जनसंख्या सबसे कम होती है। वैज्ञानिक इन्हें अपघटक यानी Decomposers या रिड्यूसर भी कहते हैं।  

आदिम युग में जीवो के भोजन की इस व्यवस्था को जान लेने के बाद फिर से रुख करते हैं अपने विषय की ओर। आपने यह कहावत तो सुनी होगी- ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है।’ बस इसी कहावत को चित्रार्थ करते हुए हमारे पूर्वजों ने ‘आग’ और ‘पहिए’  का आविष्कार कर डाला! तब उनके जीवन में बदलाव आना शुरू हुआ। उन्होंने नदियों और झीलों के किनारे पेड़-पौधों से घिरे स्थानों पर रहना शुरू किया। तब शायद पहली बार उन्होंने अपने भोजन के लिए पेड़-पौधों की खेती करने के विषय में सोचा होगा।

इतिहासकार इस काल को पाषाण काल यानि Stone age कहते हैं।

उस समय हमारे पूर्वज खेती करने के लिए पत्थरों से बने औजारों का प्रयोग करते थे। इस समय तक वे फसलों को उगाने के लिए सिंचाई  यानि‍ Irrigation, कीटनाशकों यानि‍ Pesticides और उर्वरकों यानि‍ Fertilizers आदि के विषय में कुछ भी नहीं जानते थे और ना ही उन्‍हें बीजों को प्रोसेस करने वाली किसी भी मशीन की जानकारी थी। वे बस पत्‍थर से बनी ओखली में बीजों को डालकर कूट कर उनके छिलकों को अलग कर लेते थे। जिन्‍हें वह अपने पालतू पशुओं को खिला देते थे।

 उनके द्वारा उगाई जाने वाली फसलें ऐसी थी जो वातावरण में मौजूद पानी यानी ओंस की बूंदों या बारिश के पानी से पनपती और फलती फूलती थी। अब आपने समझा कि हमारे पूर्वजों को फसलों को उगाने के लिए अलग से सिंचाई की जरूरत नहीं होती थी। उस समय की फसलों की एक खास विशेषता यह भी थी कि वह कम समय में लगभग 60 से 70 दिनों में पक कर तैयार भी हो जाती थी। तब हमारे पूर्वज पौधे से भी बीजों को अलग कर उसे अपने भोजन तथा भविष्य में नई फसल प्राप्त करने के लिए रख लेते थे और बाकी पौधे के हिस्से को वे अपने पालतू पशुओं को खिला देते थे।अब तक तो आप समझ चुके होंगे कि मैं किन विशेषताओं की बात कर रही थी जो मिलेट ग्रेन को प्राचिनतम अनाज की श्रेणी में रखती है-

  1.  मिलेट फसलों को उगाने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। इस कारण फसलों के लिए सिंचाई की ऐसी व्यवस्था नहीं करनी पड़ती जैसे किसी अन्य फसलों को उगाने के लिए करनी पड़ती है
  2.  मिलेट फसलें कीटो को अपनी और आकर्षित नहीं करती। इसलिए कीटनाशकों यानी पेस्टिसाइड के छिड़काव की भी जरूरत नहीं पड़ती।
  3.  इन फसलों को उगाने के लिए उर्वर को यानी फर्टिलाइजर की भी जरूरत नहीं होती
  4.  इन फसलों में जलवायु अनुकूलन यानी क्लाइमेट एडेप्टेशन की अद्भुत क्षमता होती है इसलिए फसलें और जलवायु में सरलता से पनपती हैं।

ब्राउन टॉप मिलेट की पौराणिकता के विषय में भारत के मिलेट मैैन यानी ‘डॉक्टर खादर वाली’ का कहना है कि यह फसल जीजस क्राइस्ट के अनुयायियों के द्वारा उगाई और खाई जाती रही है। क्योंकि इस फसल  को उगाने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह फसल ओंस की बूंदों के द्वारा भी पनप सकती है। तथा यह जल्दी फैलने वाली फसल है।

ब्राउन टॉप मिलेट का वैज्ञानिक नाम क्या है? | What is the scientific name of brown top millet in Hindi?

ब्राउन टॉप मिलेट को पहले ‘पैनिकम राममौसम‘ कहां जाता था परंतु आजकल इसे ‘यूरो क्लोवर रामौसम‘ नाम से जाना जाता है।

ब्राउन टॉप मिलेट का वनास्पतिक नाम क्या है? | what is the botanical name of brown top millet in Hindi?

ब्राउन टॉप मिलेट का वनास्पतिक नाम ‘यारियां रमोसा’ है और यह फसल ‘पौएसिस फैमली’ से संबंध रखती है। इस फसल के बीजों का रंग हरा-सा पीला होता है यानी ग्रीनीश येलो। आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि जब इस फसल के बीजों का रंग ग्रीनीश येलो होता है तो उसे ब्राउन टॉप मिलेट क्यों कहते हैं? तो आइए जाने-

ब्राउन टॉप मिलेट का नाम कैसे पड़ा? । How did the Brown top millet get its name in Hindi?

तो आपके इस प्रश्न का उत्तर यह है कि जब यह फसल पककर तैयार होती है तो इसके बीजों के टॉप पर हल्का सा ब्राउन कलर आ जाता है इसलिए इस रेन को ब्राउन टॉप मिलेट कहा जाता है। है।आईए अब जानते हैं कि वर्तमान में किन-किन देशों में ब्राउन टॉप मिलेट को उगाया जा रहा है।

ब्राउन टॉप मिलेट की पैदावार करने वाले देश कौन-कौन से हैं Which are the countries that produce brown top millet in Hindi?

वर्तमान में ब्राउन टॉप मिलेट की खेती करने देश हैं-

  • भारत
  • चीन
  • बांग्लादेश
  • नेपाल
  • भूटान
  • साउथ अफ्रीका
  • यमन
  • मैन मार
  • जिंबाब्वे
  • अमेरिका 

भारत में ब्राउन टॉप मिलेट की खेती करने वाले राज्य कौन कौन से हैं? | Which are the states that grow brown top millet in India in Hindi?

भारत में ब्राउन टॉप मिलेट की खेती करने वाले राज्य हैं-

  • राजस्थान
  • गुजरात
  • उत्तर प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • पंजाब
  • कर्नाटक
  • आंध्र प्रदेश 

ब्राउन टॉप मिलेट की खेती विश्व के अलग-अलग देशों और भारत के अलग-अलग राज्यों में हो रही है इस कारण हमें इस ग्रहण के अलग-अलग क्षेत्रीय नाम देखने को मिलते हैं!

ब्राउन टॉप मिलेट के विभिन्‍न भाषाओं में नाम | Names of brown top millet in different Languages  

to be continued….

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

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