Success stories | प्रेरणादायक कहानियाँ

उसको तो फ़र्क पड़ता है! | Usko toh farak padhta hai!

रोहन का घर समुद्र के किनारे पर बसी बस्‍ती में था। वह रोज शाम को अपने मम्‍मी- पापा के साथ समुद्र के किनारे घुमने जाया करता था।  

एक रोज जब वह वहाँ घुमने गया हुआ था। तब अचानक ही मौसम का मि‍ज़ाज बिगड़ गया। समुद्री तूफ़ान आने की चेतावनी को प्रसारित करती पुलिस की गाड़ी चक्‍कर लगाने लगी। वह लोग भी जल्‍दी- जल्‍दी अपने घर को वापिस आ गए।  

कुछ देर बाद तूफ़ान आकर गुजर गया। रोहन जीद कर अपने मम्मी- पापा को साथ लेकर वापिस टहलने के लिए समुद्र के किनारे पर आ गया।

किनारे पर आते ही उन्‍होंने जो दृष्‍य देखा। उसे देखकर वह सब स्‍तबद्ध रह गए।

समूद्री तूफ़ान के कारण किनारे पर हजारों लाखों की संख्‍या में मछलियाँ रेत पर तड़प- तड़प कर दम तोड़ रही थी। इस भयानक स्थिति को देखकर छ: वर्ष के रोहन से रहा नहीं गया और वह तुरंत ही एक- एक मछली को उठा कर समुद्र में वापस फेकने लगा।

 यह देख कर उसकी मम्‍मी से रहा नहीं गया ओर वह बोली, “बेटा! मछलियाँ लाखों की संख्‍या में हैं, तू कितनों की जान बचाएगा।“

यह सुनकर रोहन ने अपनी स्‍पीड और बढ़ा दी।

बेटे को ऐसा करते देख पापा बोले, “ बेटा! रहने दो! कोई फ़र्क नहीं पड़ता! तुम्‍हारे अकेले के प्रयास से कुछ होने वाला नहीं हैं।“

यह सुनकर रोहन रोने लगा और अपनी स्‍पीड को बढ़ाते हुए जोर से बोला, “पापा! इसको तो फ़र्क पड़ता है! यह जरूर बच जाएँगी!”

रोहन अपनी धुन में एक-एक मछली को अपने हाथों से उठाता जाता ओर जोर से बोलता जाता, “पापा! इसको तो फ़र्क पड़ता है! यह जरूर बच जाएँगी!”

“पापा! इसको तो फ़र्क पड़ता है! यह जरूर बच जाएँगी!”

रोहन को ऐसा करते देख पापा ने उसे सीने से लगा लिया!

कहानी से सीख | Moral of the story

तो दोस्‍तों, यह छोटी सी कहानी में आपने देखा- एक मासूम सा बच्‍चा पानी से बाहर तड़पती मछलियों को बचाने के लिए कितना व्‍याकुल हो उठा। उसने अपने हौसले और उम्‍मीद के कारण ही किसी की जिंदगी बचाने के लिए छोटा सा प्रयास किया।

उसकी यह पहल बेशक लाखों मछलियों को ना बचा पाई हो। पर उसकी वजह से किसी की तो जिंदगी बच गई।

इसलिए हो सके तो हमेश दूसरों को हौसला और उम्‍मीद देने की कोशिश करें। न जाने कब आपकी वजह से किसी की जिंदगी बदल जाए! या जिंदगी बच जाएं! क्‍योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा, पर….. “उसको तो फ़र्क पड़ता है!”  

दोस्‍तो यह कहानी आदरणीय योगेश मितल जी की लेखनी से निकली है। जिसे मैंने कुछ सुधारों के साथ आप सबके समक्ष रखा है।   

Nalni A Bahel

मैं Nalni A Bahel, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *