Technology | टैकनोलजी

कंप्यूटर क्या है और कंप्‍यूटर का विकास कैसे हुआ?

कंप्‍यूटर क्‍या है और कंप्‍यूटर का विकास कैसे हुआ? यदि यह प्रश्‍न कोई आप से पूछे तो। आपके मस्तिष्‍क में ऐसा चित्र उभर आता होगा, जिसमें कुछ मशीनें एक-दूसरे से बिजली से जुड़ी हैं। जिनके द्वारा हम सरलता से गणना कर सकते हैं। आपने सही समझा। पर कंप्‍यूटर का विकास किस प्रकार हुआ? इस प्रश्‍न का शयद नहींं। आज इस लेख के माध्‍यम से हम आपको बताएंगे कि कंप्‍यूटर क्‍या हैऔर कंप्‍यूटर का विकास कैसे हुआ? तो शुरू करते हैं….

कंप्‍यूटर क्‍या है?  | What is computer in Hindi

कंप्‍यूटर बिजली से चलने वाला ऐसा यंत्र (device) हैं जो उपयोगकर्ता (user’s) द्वारा उपलब्‍ध कराई गई जानकारी या सूचना को दिए गए निर्देंशों के अनुसार संसाधन (Process)  कर परिणामों को उपलब्‍ध कराता है। इस यंत्र का निर्माण कई हार्डवेयर (पूर्जों) और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के आपसी तालमेल से होता हैं। जो आपस में बिजली द्वारा जुड़े होते हैं। कंप्‍यूटर क्‍या है? प्रश्‍न को ठीक से समझने के लिए हमें कुछ शब्‍दों की जानकारी आवश्‍यक हैं-

(i) डाटा | Data

डाटा शब्‍द का अर्थ है तथ्‍य। यह तथ्‍य आँकड़ों के रूप में भी हो सकते हैं और सूचनाओं के रूप में भी हो सकते हैं।

(ii) उपयोगकर्ता | User

उपयोगकर्ता यानी की यूजर्स। जिसका अर्थ है उपयोग करने वाला व्‍यक्ति। 

(iii) निर्देंश | Instructions

निर्देंश शब्‍द का अर्थ है नियम। वह नियम जिनके तहत डाटा को किस प्रकार के कार्य करने के लिए उपयोग करना है वह आते हैं।     

(iv) संसाधन या प्रोसेसिंग | Processing

संसाधन या प्रोसेसिंग का अर्थ है कि दि‍ए गए डाटा को पहले से दिए गए निर्देशों के अनुसार गणनाएं करके उपयोग करने लायक बनाना। 

(v) परिणाम | result

दिए गए डाटा का विश्‍लेषण कर जो परिणाम आता है। उसे ही परिणाम कहते हैं। इसका उपयोग यूजर्स के द्वारा किया जाता।  

अब आप समझें-  कंप्‍यूटर एक ऐसा यंत्र है जो बिजली से चलता है। इस मशीन में यूजर्स द्वारा जानकारी या निर्देश दिए जाते हैं। जिसे मशीन संसाधन (विश्‍लेषण) करती है। उसके बाद  प्राप्‍त परिणामों को उपलब्‍ध करा देती है। परिणामों का प्रयोग यूजर्स के द्वारा किया जाता है।   

कंप्‍यूटर की परिभाषा | Definition of computer in Hindi  

कंप्‍यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक (electronic  device) मशीन है। जो उपयोगकर्ता द्वारा उपलब्‍ध करवाई गई जानकारी या निर्देशों को प्रौसेस कर परिणाम को दिखाती है।

अब आप सोच रहें होंगे की यह इलेक्ट्रॉनिक मशीन क्‍या होती है? चलो आपको इसके विषय में भी जान लेते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मशीन किसे कहते हैं ? | What is Electronic device in Hindi

ऐसी मशीन जो बिजली (इलेक्‍ट्रॉन) की मूवमेंट (गति) के द्वारा मशील की गति को कंट्रोल करती है। उसे ही इलेक्ट्रॉनिक मशीन कहते हैं।

अब आपके मन में यह प्रश्‍न उठना स्‍वभाविक हैं कि यह इलेक्‍ट्रॉन क्‍या होते हैं? चलो इसे भी समझ लेते हैं-

इलेक्‍ट्रॉन क्‍या होते हैं?| What is Electrons in Hindi

किसी भी चीज़ के सबसे छोटे कण को विज्ञान की भाषा में अणु (Atom) कहते हैं। अणु में मौजूद नेगटिव चार्ज कण को इलेक्‍ट्रॉन कहते हैं। 

सारांश

कंप्‍यूटर एक ऐसी मशीन है, जो इलेक्‍ट्रॉन की मूवमेंट को कंट्रोल कर यूजर्स द्वारा उपलब्‍ध कराई गई जानकारी या सूचनाओं का विश्‍लेषण कर परिणामों को उपलब्‍ध कराती हैं।

कंप्‍यूटर का विकास कैसे हुआ? | Evolution  of computer in Hindi

मानव आरंभ से ही अपने कार्यों को सरल करने के लिए प्रयासरत रहा है। यही कारण हैं कि वह आज सुविधा संपन्‍न जीवन जी पा रहा हैं। पर आपके मन में कभी यह विचार तो आया ही होगा कि आज हम जिस कंप्‍यूटर को अपने सामने पाते हैं! क्‍या यह सदा से ऐसा ही था?…. तो इस प्रश्‍न का उत्‍तर है-

जी नहीं। कंप्‍यूटर सदा से इसी रूप में नहीं था। समय के साथ साथ इसके रूप और काम करने के तरीकों में अनेक परिवर्तन हुए। इस लेख के माध्‍यम से कंप्‍यूटर के विकास के क्रम को हम जानेंगे। तो शुरू करते हैं…..

यह भी जानें-    

1 कंप्‍यूटर  शब्‍द की उत्‍पति लैटिन भाषा के शब्द COMPUTE” शब्‍द  से हुई है। जिसका अर्थ है “गणना करना”

2 भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्‍दावली अयोग (CSTT) ने कंप्‍यूटर के लिए हिंदी शब्‍द संगनाकको चुना है। जिसका अर्थ है गणना करना।  

मानव आरंभ में गणना करने के लिए अपने हाथों की उँगलियों, पत्‍थरों, या हड्डियों का प्रयोग करता था। पर वह इनके द्वारा बड़ी-बड़ी गणनाएँ नहीं कर पाता था। इसी कमी को दूर करने के लिए मानव ने खोज करनी शुरू की। आइए अब हम उन आविष्‍कारों को एक -एक कर जानने का प्रयास करते हैं। ऐसा माना जाता हैं कि इस कड़ी में सबसे पहला अ‍ाविष्‍कार था अबेकस। आइए अबेकस के विषय में जानें….

अबेकस | Abacus

 Abacus
Abacus

अबेकस को विश्‍व की सबसे पहली गणना करने वाली मशीन कहा जाता है। इस डिवाइस का अविष्‍कार 3000 ई. पूर्व चीनी गणितज्ञों के द्वारा किया गया था। इस डिवाइस में हिंदू- अरेबिक संख्‍या प्रणाली के आधार पर गणनाएं की जाती थी। इस यंत्र का प्रयोग बडी संख्‍याओं के

  • जोड़ (Addition),
  • घटा (Subtract),
  • गुणा (Multiply),
  • भाग (Division) करने के लिए किया जाता था।  

यह भी जानें-    

1. 17वीं शताब्दी के मध्‍य तक अबेकस हाथों द्वारा चलने वाला पहला कंप्‍यूटर था।

2 ABACUS का full form है- Abundant Bead Addition Calculation Utility System

3. अबेकस मशीन का सबसे पहले प्रयोग चीन के व्‍यापारियों के द्वारा किया गया था।

4. उस समय चीन में अबेकस को “Suampam” नाम से पुकारा जाता था।

5. आज हम अबेकस को “Counting frame” के नाम से जानते हैं।

कंप्‍यूटर के संदर्भ में दूसरा अ‍ाविष्‍कार नेपियर बोनस का माना जाता हैं। आइए जाने नेपियर बोनस मशीन के विषय में जानें….

नेपियर बोनस | Napier’s Bones (1614)

Napier Bones
Napier Bones

source : amazon.in

नेपियर बोनस’ का अविष्‍कार सन्1614 में स्‍काटलैंड के गणितज्ञ ‘जॉन नेपियर’ ने किया था। इस मशीन का अविष्‍कार बड़ी संख्‍याओं की गणना करने के लिए किया गया था। चं‍कि इसका अविष्‍कार ‘जॉन नेपियर’ नेे किया था। इसलि‍ए मशीन का नाम उन्‍हीं के नाम के आधार पर पड़ा। इस मशीन का मुख्‍य रूप से प्रयोग-

  • गुणा Multiply
  • भाग Division

करने के लिए किया जाता था। इस प्रकिया को नेपियर ने ‘रेब्‍दोलॉजी’ नाम दिया था।

यह भी जानें-    

1 जॉन नेपियर’ ने लोगारिथ्‍मस (Logarithms) का भी आविष्‍कार किया। लॉग्‍स के द्वारा किसी भी संख्‍या को गुणा करते समय कम समय लगता था।

2 नेपियर बोनस’ मशीन आयताकार छडों (Rods) का सेट थी। यह छड़ें हाथी दांत से बनी थी।

3 इस डिवाइस का प्रयोग आज भी किया जाता हैं।

4 आजकल इन छड़ों को स्ट्रिप्‍स कहते हैं।

5 Rod के सबसे पहले वाले कॉलम को Index strip कहा जाता है।  

कंप्‍यूटर वैज्ञानिक कंप्‍यूटर का तीसरा अविष्‍कार ‘स्‍लाइड रूल  को मानते है। आइए जाने मशीन के विषय में जानें….कंप्‍यूटर वैज्ञानिक कंप्‍यूटर का तीसरा अविष्‍कार ‘स्‍लाइड रूल  को मानते है।

स्‍लाइड रूल | Slide Rule (1620)

Slide Rule
Slide Rule

picture source : commons.wikimedia.org/wiki/File:Slide_rule_scales_back.jpg

सन् 1620 के आस-पास गणितीज्ञ ‘विलियम ऑक्‍ड्रेट’ (William Oughtred) ने ‘स्‍लाइड रूल’ नामक मशीन का अविष्‍कार किया। इस मशीन के द्वारा की जाने वाली गणनाएं हैं- 

  • गुणा | Multiplication)
  • भाग | Division)
  • वर्गमूल | Square root)
  • त्रिकोणि‍मतिय | Trigonometric)  

यह भी जानें-  

1 स्‍लाइड रूल मशीन के द्वारा जमा (Addition) या घटा (Subtraction) नहीं किया जाता था।

2 सन् 1969 में नासा द्वारा अपोलो-1 अंतरिक्षयान चाँद पर भेजा गया था। जिसमें सवार अंतरिक्ष यात्री ‘नील आर्मस्‍ट्रांग’, ‘माइकल कोलिंस’और ‘ब्रज़ एल्ड्रिन’ अपने साथ ‘स्‍लाइड रूल’ डिवाइज को साथ लेकर गए थे।  

कंप्‍यूटर वैज्ञानिक, कंप्‍यूटर का चौथा अविष्‍कार पास्‍कलाइन’ को मानते है। आइए अब इस मशीन के विषय में जानें….
                                    

पास्‍कलाइन | Pascaline (1642)

 Pascaline
Pascaline

picture source : commons.wikimedia.org/wiki/File:Arts_et_Metiers_Pascaline_dsc03869.jpg

सन् 1642 में 18 वर्ष की अल्‍प आयु में फैंच वैज्ञानिक और दार्शनिक ‘ब्‍लेज पास्‍कल’ ने पहले मैकेनिकल कैलकुलेटर का अविष्‍कार किया। जिसे ‘पास्‍कलाइन’ या ‘अरिथमेटिक’ मशीन’ के नाम सेे जाना जाता है। इस मशीन में आठ धुमने वाले पहिए बनाए गए थे। यह मशीन मुख्‍य रूप से 999999999 तक की संख्‍याऔं पर अंकगणि‍तीय गणनाएं की जा सकती थी। पर यह मशीन केवल

  • जोड़ (Addition)
  • घटा (Subtract

वाली ही गणनाएं कर सकती थी। आप में से कुछ व्‍यक्तियों के मन में यह विचार आया होगा कि यह ‘मैकेनिकल कैलकुलेटर‘ क्‍या होता है। चलो इसे भी समझ लेते हैं….

मैकेनिकल कैलकुलेटर किसे कहते हैं? | What is Mechanical Calculator in Hindi

 Mechanical Calculator
Mechanical Calculator

picture source : wikimedia.org/wikipedia/commons/5/57/Mechanical_calculators_Keyboards.png

मैकेनिकल कैलकुलेटर ऐसी मशीन को कहा जाता है, जिसमें मशीन की मूवमेंट को मशीन के द्वारा कंट्रोल किया जाता है। यानी की यूजर्स द्वारा उपलब्‍ध कराई गई संख्‍याओं पर कौन-सी  गणना (जमा या घटा) करनी है। बस इतना बताने पर मशीन सारी गणना कर परिणामों को प्रकट कर देती है।  

यह भी जानें-  

1 इतिहास का सबसे पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर डि‍वाइज ‘पास्‍कलाइन’ है।

2 ब्‍लेज पास्‍कल गणितज्ञ (Mathematician) और भौति‍क शास्‍त्री (Physicist) थे।

3 इस मशीन में 10’s, 100’s और 1000’s के बीज के अंको में हासिल (Carry) को आगे ले जाया जा सकता था। जैसे-
35                       
+ 26  carry 1  
61   

 स्‍टेप रेकनर डिवाइज को कंप्‍यूटर वैज्ञानिक, कंप्‍यूटर का पांंचवांं अविष्‍कार को मानते है। आइए अब इस मशीन के विषय में जानें….        

स्‍टेप रेकनर | Step Reckoner (1671)

Step Reckoner machine
Step Reckoner machine

picture source : By Kolossos/commons. Wikimedia-CC BY-SA 3.0

सन 1671 में जर्मन गणि‍तज्ञ और दार्शनिक ‘गॉटफ्रीड विल्‍हेम लाइब्रिज़ (Gottifried Welhelm Leibniz) ने पास्‍कल द्वारा बनाई गई अरिथमेटिक मशीन में सुधार करते हुए ‘स्‍टेप रेकनरमशीन बनाई। जो जोड़ने और घटाने के साथ- साथ गुणा और भाग जैसी कठीन गणनाएँ भी कर सकती थी।

गॉटफ्रीड विल्‍हेम लाइब्रिज़ ने दिव्आधारी प्रणाली (Binary System) का आविष्‍कार किया। दिव्आधारी प्रणाली में केवल दो अंक 0 और 1 होते है। Binary system कंप्‍यूटर के आविष्‍कार का आधार बना। यह कहना गलत नहीं होगा की यदि  Binary System का आविष्‍कार ना होता तो कंप्‍यूटर का आविष्‍कार होना भी असंभव था।

यह भी जानें-  

1 दशमलव प्रणाली में 0 से लेकर 9 तक अंक होते हैं। किंतू बाइनरी सिस्‍टम में केवल दो अंक 0 और 1 होते हैं।

2 लाइब्रिज़ का मानना था- “ईश्‍वर ने सृ ष्टि की रचना उसी रूप में की है जिस रूप में वह सर्वश्रेष्‍ठ हो सकती थी।“  

3 बाइनरी सिस्‍टम के आविष्‍कार के पीछे लाइब्रिज़ की यह दार्शनिकता / फिलासफी थी- यदि ईश्‍वर को 1 माना जाएं और शेष को 0 तो इन दो अंको से ही सभी अंक प्राप्‍त किए जा सकते हैं।

4 गॉटफ्रीड विल्‍हेम लाइब्रिज़ को न्‍यूटन के साथ- साथ गणित की सर्वाधिक उपयोगी शाखा ‘कैलकुलस’ (Calculus) का संस्‍थापक  (Father of Calculus) भी माना जाता है।

5 हालांकि न्‍यूटन और गॉटफ्रीड विल्‍हेम लाइब्रिज़ के बीच आजीवन यह विवाद रहा कि दोनों में से किसने Calculus की स्‍थापना की है?

6 दअसल इन दोनों ने ही स्‍वतंत्र रूप से Calculus की स्‍थापना की थी। दोनों का उद्देश्‍य भी अलग- अलग था।

7 न्‍यूटन का उद्देश्‍य कैलकुलस के द्वारा अपने भौतिक नियमों की स्‍थापना करना था। दूसरी तरफ लाइब्रिज़ का उद्देश्‍य कैलकुलस के द्वारा अपने दार्शनिक विचारो को स्‍थापित करना था।


कंप्‍यूटर वैज्ञानिक, कंप्‍यूटर केे अविष्‍कार में जैकार्ड लूम‘ का भी हाथ मानतें हैं। आइए अब इस मशीन के विषय में जानें….
                                               

जैकार्ड लूम | Jacquard Loom (1800)

 Jacquard Loom
Jacquard Loom

picture source : ohiostate.pressbooks.pub

सन् 1800 से पहले पैटन (विभिन्‍न रंगों वाले) कपड़े बहुत महंगे होते थे। क्‍यांकि उन्‍हें बनाने में बहुत मेहनत लगती थी। सन 1804 में एक फ्रैंच बुनकर ‘जोसफ जैकार्ड’ ने एक लूम बनाई। इस मशीन की खसियत यह थी की यह मशीन बुनाई के लिए कार्डबोर्ड में छ्रिद्रित पंच कार्ड (Punch card) का प्रयोग करती थी। इन छेदों में अलग- अलग रंगों के धागों को निर्देशित करने का काम किया जाता था। इतना ही नहीं यदि पंच कार्ड में बदलाव कर दिया जाए तो बुनाई के पैटन में भी बदलाव किया जा सकता था। इस मशीन का नाम इसके अविष्‍कारक के नाम पर पड़ा ‘जैकार्ड लूम’ (Jacquard Loom)। इस मशीन के आविष्‍कार से तीन फायदे हुए-

  1.  पैटन युक्‍त कपडों के उत्‍पादन में वृद्धि हुई।
  2.  इस मशीन ने यह साबित कर दिया कि मशीन को पंच कोड के द्वारा भी चलाया जा सकता हैं।
  3.  यदि पंच कोड में बदलाव कर दिया जाए तो नए पैटर्न को भी प्राप्‍त भी किया जा सकता है। 

यह भी जानें-

1 जैकार्ड लूम विश्‍व की पहली ऐसी मशीन थी जिसमें मशीन और प्रोगाम को टयून किया गया था।

2 इस लूम के द्वारा पहली बार मशीन (डिवाइस) और प्रोगाम के बीच के करीबी रिश्‍ते को समझा गया था।

3 जैकार्ड लूम’ के अविष्‍कार से विश्‍व में औद्योगिक क्रांति की शुरूवात का बिगुल बज गया था।

4 इस समय तक मानव कोयले को जलाकर भाप की शक्ति का उपयोग करना जान चुका था।  

कंप्‍यूटर वैज्ञानिको ने जैकार्ड लूम के बाद एरिथमोमीटर को कंंप्‍ यूटर के अविष्‍कार में अगला मील का पत्‍थर माना है। आइए अब इस मशीन के विषय में जानें….

एरिथमोमीटर’ | Arthrometer (1820)

Arthrometer
Arthrometer

picture source : sothebys.com

सन् 1820 में फ्रांसीसी उद्यमी ‘चार्ल्‍स जेवियर थॉमस द कोलमर’ (Carless Xavier Thomas de Colmar) ने पहला व्‍यावसायिक रूप से सफल मैकनिकल कैलकुलेटर (Commercial mechanical calculator) बनाया। जिसे इन्‍होंने नाम दिया एरिथमोमीटर’

एरिथमोमीटर कैलकुलेटर का आकार छोटे डेस्‍कटॉप कंप्‍यूटर के जितना था। इसके द्वारा गणना करने पर सटीक परिणाम प्राप्‍त होते थे। इसलिए इसका प्रयोग असानी से कार्यालयों में किया जाने लगा। इतना ही नहीं इस को दुनिया भर में बेचा जाने लगा।  

सन 1820 में इसके डिजाइन को थॉमस द कोलमर ने पेटेंट करवा लिया था। किंतू इसके उत्‍पादन की ओर ध्‍यान नहीं दिया था। इन्‍होंने सन 1850 में इस मशीन के उत्‍पादन की ओर ध्‍यान दिया। यही कारण था कि एरिथमोमीटर के आविष्‍कार होने और लोगों के बीच पहुँचने मे 30 वर्षों का समय लगा।  वास्‍तव में एरिथमोमीटर पहला व्‍यावसायिक मैकनिकल कैलकुलेटर था। क्‍योंकि यह आकार में छोटा और गणितीय गणनाओं के सटीक परिणाम देने वाली मशीन थी। इसलिए यह बाज़ार में आते ही छा गई।

यह भी जानें-

1 एरिथमोमीटर कैलकुलेटर एक पेटेंट मशीन थी। इसलिए इस मशीन की नकल 20 यूरोपिय कंपनियों ने की। जो दुनिया भर में अपनी मशीनें बेचती थी।  

2 इस कैलकुलेटर का उपयोग सरकारी कार्यालयों, बैंको, बीमा कंपनियों और वैधशालाओं में भी किया जाने लगा था।

3 एरिथमोमीटर का उत्‍पादन प्रथम विश्‍व युद्ध 1915 के दौरान बंद हो गया था।

कंंप्‍ यूटर के विकास में अगला महत्‍वपूर्ण पड़ाव तब आया। जब स्‍वचालित मैकेनिकल कैलकुलेटर का आविष्‍कार हुआ। आइए अब इसेे जानें …

डिफरेंस इंजन | Difference Engine (1822)

Difference Engine
Difference Engine

picture source : Wikipedia/common/CC ASA 2.0G

सन् 1822 में ‘चार्ल्‍स बैबेज’ (Charles Babbage) ने पहला स्‍वचालित मैकेनिकल कैलकुलेटर  (Automatic Mechanical calculator) बनाया। जिसे इन्‍होंने ‘डिफरेंस इंजन (Difference Engine) का नाम दिया।

चार्ल्‍स बैबेज रॉयल एस्‍ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के संस्‍थापक और एक्‍टिव सदस्‍य थे। इन्‍होंने सबसे पहले एक ऐसे कैलकुलेटर की आवश्‍यकता को महसूस किया था। जो अपने आप लंबी और थाकाऊ खगोलीय गणनाओं को करके गणितीय तालिकाओें में प्रिंट कर सके। जिससे समुद्र में जाने वाले नाविकों को समय पर सटीक जानकारी प्राप्‍त हो सके। ताकि गलत गणना के कारण उन्‍हें अपनी जान ना गवानी पड़े।

यह भी जानें-

1 डिफरेंस इंजन के निर्माण का कार्य 1819 में शुरू हुआ। इसे बनने में 3 वर्ष का समय लगा था।

2 चार्ल्‍स बैबेज ने डिफरेंस इंजन बनाने से पहले इसे बनाने की  प्रोपोजल को ब्रिटिश सरकार के सामने रखा था।

3 ब्रिटिश सरकार ने डिफरेंस इंजन बनाने की प्रोपोजल का समर्थन किया।

4 डिफरेंस इंजन दुनिया की पहली मशीन थी जिसे सरकार द्वारा अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए अनुदान प्राप्‍त हुआ था।

5 चार्ल्‍स बैबेज ने डिफरेंस इंजन के निर्माण में गॉटफ्रीड विल्‍हेम लाइब्रिज़ के ‘स्‍टेप रेकनर’ मशीन में प्रयोग होने वाले बाइनरी अंको (0 और 1) की अपेक्षा दशमलव अंकों (0 से 9 तक) का प्रयोग किया।

6 इस मशीन से परिणाम प्राप्‍त करने के लिए दो काम करने पड़ते थे। पहला संख्‍या देना और दूसरा यह बताना की इन संख्‍याओं पर किस प्रकार की गणना करनी है। तब मशीन खुद-ब-खुद गणना कर परिणाम प्रकट कर देती थी।  

7 डिफरेंस इंजन में आंकडों को प्रसंस्‍करण के बाद स्‍टोर करने के साथ- साथ प्रिंट करने की भी व्‍यवस्‍था थी।

8. डिफरेंस इंजन गणना करने के लिए भाप का उपयोग करता था। 

9 14 June 1822 को चार्ल्‍स बैबेज ने पहली बार डिफरेंस इंजन को दुनिया के सामने रखा।

10 चार्ल्‍स बैबेज को father of Computer के नाम से जाना जाता है।  

डिफरेंस इंजन के निर्माण के साथ ही चार्ल्‍स बैबेज ने अगली प्रयोजना पर काम करणा आरंभ कर दिया था। इसलिए वह डिफरेंस इंजन के सुधरे हुए रूप ‘एनालिटिकल इंजन को वह सबके सामने ला पाएं। आइए अब इसे जाने…..

एनालिटिकल इंजन | Analytical Engine  (1837)

 Analytical Engine
Analytical Engine

picture source : Mrjohncummings/Wikimedia Commons/CC ASA 2.0G

सन् 1837 में चार्ल्‍स बैबेज ने ही पहले सामान्‍य उद्देश्‍य वाले  कंप्‍यूटर (General purpose computer) का अविष्‍कार किया। जिसे इन्‍होंने नाम दिया ‘एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine)’। वास्‍तव में यह इनके पहले अविष्‍कार Difference Engine का ही सुधरा हुआ रूप था।

जब चार्ल्‍स Difference Engine पर काम कर रहे थे। इन्‍होंने तभी इस पर प्रयोजना पर काम करना आरंभ कर दिया था।

आप चित्र में एनालिटिकल इंजन को देख कर सोच में पड़ गए होंगे कि यह कैसे कंप्‍यूटर हो सकता है? वास्‍तव में यह एक मैकेनिकल कंप्‍यूटर था। चार्ल्‍स बैबेज ने इसका डिजाइन मैकेनिकल कंप्‍यूटर के रूप में किया था।

चार्ल्‍स बैबेज ने सबसे पहले यह कल्‍पना की जब एक कपड़े बनाने वाली मशीन को पंच कार्ड द्वारा चलाया जा सकता है। तो क्‍या गणना करने के लिए अंकों और निर्देंशों को पंचकार्ड के द्वारा स्‍टोर क्‍यों नहीं किया जा सकता। उनका यह विचार ही एनालिटिकल इंजन के अविश्‍कार का आधार बना।   

जब चार्ल्‍स बैबेज एनालिटिकल इंजन प्रयोजना पर काम कर रहे थे। तब उनकी साहयक एड़ा अगस्‍ता लवलेस (Ada Augusta Lavelace) ने भी उनकी मदद की थी। आप सोच रहेंगे कि एड़ा अगस्‍ता लवलेस कौन हैं? चलो इसे भी जान लेते हैं!

एड़ा अगस्‍ता लवलेस कौन थी? Who is Ada Augusta Lavelace in Hindi?

Ada Augusta Lavelace

 picture source : allthatsinteresting.com

एड़ा एक अंग्रेज गणितज्ञय और लेखिका थी। इन्‍होंने सबसे पहले कंप्‍यूटिग मशीन की पूरी क्षमता को समझा था। उन्‍होंने ही सबसे पहले यह कल्‍पना कि‍ यदि मशीन को संख्‍याओं के सा‍थ- साथ अक्षरों और प्रतिकों को कोड के माध्‍यम से मशीन में डाल दिया जाए तो और बेहतर कैलकुलेट बनाया जा सकता है।   

इसके लिए एडा ने निर्देंशों की एक श्रृंखला को दोहराने के लिए ए‍क विधि को प्रमाणित किया। इस विधि को एडा ने लूपिग (Looping) का नाम दिया। इस लूपिग विधि का प्रयोग आज भी कंप्‍यूटर प्रोग्राम बनात समय प्रयोग किया जाता है।

इस प्रकार एड़ा अगस्‍ता लवलेस विश्‍व की पहली कलनविधि (अल्‍गोरिद्म) का निर्माण करने वाली प्रोग्रामर बन गई।  

यह भी जानें-

1 एनालिटिकल इंजन में 4 विशेष प्रकार के पुरजें (Components) लगए गए थे।

  • मिल– यह कंपोनेंट मशीन में गणना करने का कार्य करता था। आज के कंप्‍यूटर में आप इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) के नाम से जानते है।
  • स्‍टोर यह कंपोनेंट मशीन में आंकड़ों को स्‍टोर करने का कार्य करता था। आज के कंप्‍यूटर में आप इसे कंप्‍यूटर की मेमोरी (Memory) के नाम से जानते है।
  • रीडर– यह कंपोनेंट मशीन में गणना करने के लिए दिए गए अंकों और उसपर किस प्रकार की गणना करनी है। आदि निर्देशों को पढ़ने का काम करता था। आज के कंप्‍यूटर में आप इसे कंप्‍यूटर   की इनपुट डिवाइस (Input Device) के नाम से जानते है।
  • प्रिंटर-यह कंपोनेंट मशीन में परिणामों को दिखाने का कार्य करता था। आज के कंप्‍यूटर में आप इसे कंप्‍यूटर की आउटपुट डिवाइस (Output Device) के नाम से जानते है।

2 मिल, स्‍टोर, रीडर और प्रिंटर यह चारों कंपोनेंट आज हर कंप्‍यूटर के अवश्‍यक कंपोनेंट हैं। इसलिए चार्ल्‍स बैबेज को कंप्‍यूटर के पिता (Father of Computer) कहा जाता है।

3 एड़ा अगस्‍ता लवलेस ने एनालिटिकल इंजन के लिए mathematical table बनाए थे।

4 एडा के इस योगदान को के लिए उन्‍हें कई मरनोपरांत सम्‍मान मिलें। इतना ही नहीं 1980 में अमेरिका के रक्षा विभाग ने एक नई कंप्‍यूटर भाषा को विकसित किया। उस भाषा का नाम उन्‍हीं के नाम पर “एडा” रखा गया ।   

 कंंप्‍ यूटर के विकास में अगला महत्‍वपूर्ण पड़ाव तब आया। जब बूलियन अलजेब्रा’ का आविष्‍कार  हुआ। आइए अब इसे जाने…..

बूलिन अलजेब्रा  | Boolean Algebra (1845)

George Boolean
George Boolean

picture source : wikipedia Commons

सन् 1845 में ‘जार्ज बूलियन’ (George Boolean) ने गणित की एक नई शाखा ‘बूलियन अलजेब्रा’ का आविष्‍कार किया। बूलियन अलजेब्रा की यह विशेषता थी कि‍ यह गॉटफ्रीड विल्‍हेम लाइब्रिज़ के बाइनरी सिस्‍टम पर निर्भर था। इसमें 1 को सत्‍य और 0 को असत्‍य मानकर गणनाएँ की जाती थी। इसी लिए यह डिजिटल इलेक्‍ट्रानिक और आ‍धुनिक प्रो‍गामिंग भाषाओं का बुनियादी आधार बना और एनालॉग इलेक्‍ट्रानिक्‍स की शुरूआत हुई। जो आधुनिक कंप्‍यूटर का आधार बना। आज के कंप्‍यूटर डाटा संसाधित और तार्किक कार्यों को करने के लिए बूलियन अलजेब्रा पर ही निर्भर हैं।

यह भी जानें-

1 जार्ज बूलिन को father of Computer Science भी कहा जाता है

कंप्‍यूटर वैज्ञानिको ने बूलियन अलजेब्रा के बाद ‘टेबुलेटिंग मशीन’ को कंंप्‍यूटर के अविष्‍कार में अगला मील का पत्‍थर माना है। आइए अब इस मशीन के विषय में जानें….

टेबुलेटिंग मशीन | Tabulating Machine (1889)

Tabulating Machine
Tabulating Machine

picture source : adam schuster/Wikimedia Commons/CC ASA 2.0G

सन् 1889 में अमेरिकी इंजीनियर ‘हममन हॉलेरिथ’ (Herman Hollerith) ने पहलीइलेक्‍ट्रोमैकेनिकल मशीन’ (Electromechanical machine) का अविष्‍कार किया। जिसे इन्‍होंने नाम दिया ‘टेबुलेटिंग मशीन’ (Tabulating machine)  यह मशीन पंच कार्ड को बिजली के द्वारा संचालित (Operate) करती थी। इस मशीन के लिए हॉलेरिथ ने ऐसे पंच कार्ड कोड बनाए थे जिनमें डेटा को संग्र‍ह कर असानी से रखा जा सकता था और आवश्‍यकता पड़ने पर प्राप्‍त भी किया जा सकता था। मशीन के लिए बनाए गए इन पंच कार्ड कोड को हॉलेरिथ कोर्ड (Hollerith code) का नाम दिया गया। इन पंच कार्ड कार्डों को 1896 में हॉलेरिथ ने पेटेंट भी करवाया।   

अब आप सोच रहें होंगे की यह ‘इलेक्ट्रोमैकेनिकल मशीन’ क्‍या होती है? चलो पहले इसे समझकर लेते हैं। उसके बाद आगे बड़ेंगे।   

इलेक्ट्रोमैकेनिकल मशीन किसे कहते हैं? What is electromechanical machine in Hindi

ऐसी मशीन जिसको बनाने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक और मैकेनिकल दोनों मशीनों के सिद्धांतों का प्रयोग किया  जाता है। उसे इलेक्ट्रोमैकेनिकल मशीन कहते है।

आप इसे यू समझ सकते हैं, इलेक्ट्रोमैकेनिकल मशीन में एक तरफ इलेक्‍ट्रोनिक सिग्‍ंनल का प्रयोग कर मैकेनिकल मूवमेंट (गति) को उत्‍पन्‍न और नियंत्रित किया जा सकता है। तो दूसरी तरफ मैकेनिकल मूवमेंट का प्रयोग करके भी इलेक्‍ट्रोनिक सिग्‍ंनल को उत्‍पन्‍न किया जा सकता है।    

यह भी जानें-

1 टेबुलेटिंग मशीन का प्रयोग अमेरिका की जनगणना के आंकडों को प्रोसेस करने के लिए किया गया था। इसलिए इसे ‘Tabulating census machine’ के नाम से भी जाना जाता है।

2 टेबुलेटिंग मशीन के द्वारा जनगणना के कार्य को मात्र 3 वर्षों के अंदर पूरा किया जा सका था। इससे पहले जनगणना के कार्य को करने में 8 वर्षां का समय लगा था।

3 सन् 1896 में हममन हॉलेरिथ ने Tabulating machine कंपनी की स्‍थापना की

निष्‍कर्ष | Conclusion

आशा है इस लेख के माध्‍यम से आपको कंप्‍यूटर क्‍या है? के विषय में अच्‍छे तरह से समझ आ गया होगा। इस लेख के माध्‍यम से आप निम्‍न मशीनों-

  • अबेकस,
  • नेपियर बोनस,
  • स्‍लाइड रूल,
  • पास्‍कलाइन,
  • स्‍टेप रेकनर,
  • जैकार्ड लूम,
  • एरिथमोमीटर,
  • बूलिन अलजेब्रा,
  • डिफरेंस इंजन,
  • एनालिटिकल इंजन,
  • टेबुलेटिंग मशीन,
  • मैकनिकल कैलकुलेटर,
  • स्‍वचालित मैकेनिकल कैलकुलेटर,
  • इलेक्ट्रोमैकेनिकल मशीन’

के बारे में भी विस्‍तार से जान पाए। यह सभी मशीने वर्तमान कंप्‍यूटर के जिस रूप को हम आज देख पा रहें हैं। उसके आविष्‍कार में सहायक हुई थी।

सबसे दिलचस्‍प बात यह हैं कि 19वीं शताब्‍दी के दौरान ही 120 वर्ष तक चले मैकेनिकल कैलकुलेटर युग का अंत हो गया और डिजिटल कैलकुलेटर के युग का आरंभ हुआ। इसके बाद कंप्‍यूटर के विकास में क्रांत्रि सी आ गई जिसे हम आगे जनरेशन ऑफ कंप्‍यूटर के अंतगर्त जानेंगे।

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धन्‍यवाद !

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

2 thoughts on “कंप्यूटर क्या है और कंप्‍यूटर का विकास कैसे हुआ?

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