Technology | टैकनोलजी

कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍याँ कौन सी हैं?

कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍याँ (जनरेशन) कौन- सी हैं? यदि आप यह जानना चाहते हैं तो यह लेख आपको सरल भाषा में कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍यों को समझने में मदद करेंगा। इतना ही नहीं आप इसे समझकर किसी अन्‍य को भी सरलता से कंप्‍यूटर जनरेशन की जानकारी देने में सक्षम बन जाएंंगे। पर कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍यों को समझने से पहले आपको यह पता होना ही चाहिए कि कंप्‍यूटर क्‍या है और कंप्‍यूटर का विकास कैसे हुआ। तभी आप कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍यों को अच्‍छी तरह से समझ सकेंगे। इसलिए पहले आप हाइपर लिंक पर क्‍लिक कर उस लेख को पढ़े। फिर आप इस लेख को पढ़ेंगे तो, आप कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍याँ (जनरेशन) को सरलता से समझ पाएंंगे।

मैं आशा करती हूँ कि आप कंप्‍यूटर की बेसिक जानकारी प्राप्‍त कर चुके होंगे। अब आप कंप्‍यूटर के विषय में अधिक जानकारी को जानने के लिए तैयार हैं। तो शुरू करते हैं…

अब तक यानि 2021 तक कंप्‍यूटर की पाँच पीढ़ि‍याँ मानी जाती हैं। आइए अब प्रत्‍येक पीढ़ी का समय उसकी विशेषताएँ और कमियों को विस्‍तार से समझते हैं-

पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटर : वैक्‍यूम ट्यूब | first Generation of Computer in Hindi  

Vacuum tube
vacuum tube

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कंप्‍यूटर की प्रथम पीढ़ी का समय सन् 1954 से 1956 के बीच का माना जाता है।

पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मूख्‍य विशेषताएँ | Key features of first generation computers

1 प्रथम पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की शुरूआत सन्1946 में पेनिसिलवेनिया विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर जे. पी. एकर्ट और जे. डब्‍लूय मुचली (J.P. Eckert and J. W. Mauchy) के द्वारा विकसित एनिएक (ENIAC) कंप्‍यूटर से मानी जाती है।

2 पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में इलेक्‍ट्रानिक सर्किट में इलैक्टिक फ्लो को वैक्‍यूम ट्यूब द्वारा कंट्रोल किया जाता था।

3 इस पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में प्रोग्रामिंग मशीनी भाषा में होती थी।

4 इस पीढ़ी के कंप्‍यूटर मिलीसेकंड तक की गणनाएं कर सकते थे। पर इनकी गति कम थी।   

पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य कमियाँ | Main drawbacks of first generation computers

1 1st Generations of Computers आकार में बहुत बड़े होते थे।

2 इनका वज़न लगभग 30 टन के आस-पास होता था।

3 इनमें अधिक इलेक्टिसीटी का प्रयोग होता था।

4 पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटर वैक्‍यूम ट्यूब पर आधारित थे। इस कारण इन्‍हें ठंडा रखने के लिए बड़े पैमाने पर कूलिंग सिस्‍टम की आवश्‍यकता होती थी।

5 प्रथम पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को निरंतर रखरखाव की आवश्‍यकता थी। इसलिए यह कम विश्‍वसनीय थे।

6 पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में मेमरी के लिए मेग्नेटिक ड्रम लगा होता था। इस कारण बहुत कम मात्रा में ही सूचनाएं स्‍टोर हो पाती थी। 

7 पहली जनरेशन के कंप्‍यूटरों में इनपुट लेने के लिए मशीन प्रोगामिंग तथा पंचकार्ड का प्रयोग किया जाता था।

8 पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटर बहुत मंहगे होते थे। इस कारण यह आम जनता की पहुँच से बाहर थे।

9 प्रथम पीढ़ी के कंप्‍यूटर एक समय में एक ही समस्‍या को हल करने में सक्षम थे। 

पहली पीढ़ी के मुख्‍य कंप्‍यूटर | first Generation main Computers

ENIAC computer
ENIAC

picture source : creative commons

  • एनिएक (ENIAC) Electronic Numerical Integrator and Computer.
  • एडसैक (EDSAC) Electronic Delay Storage Automatic Computer.
  • एडवैक (EDVAC) Electronic Discrete Variable Automatic Computer.
  • यूनिवैक (UNIVAC) Universal Automatic Computer.

दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर : ट्रॉजिस्‍टर | Second Generations of Computer in Hindi

कंप्‍यूटर की दूसरी पीढ़ी का समय सन् 1956 से सन् 1963 के बीच का माना जाता है। इस पीढ़ी की पहचान बना ट्रांजिस्‍टर का आविष्‍कार।

यह भी जानें- 

1 सन् 1947 में विलियम शॉकले (William Shockley) ने ट्रांजिस्‍टर का आविष्‍कार कर लिया था। पर 1950 के दशक तक ट्रांजिस्‍टर का उपयोग कंप्‍यूटर में नहीं हुआ था।

2 पहला ट्रांजिस्‍टर युक्‍त कंप्‍यूटर TRADIC (Transistor Digital computer) था। जिसका निर्माण सन् 1955 में अमेरिकी वायु सेना के लिए अमेरिका की  टेलीफोन प्रयोगशाला के जीन हावर्ड felker के द्वारा किया गया था।

3 विश्‍व का पहला व्‍यावसायीक (Commercial) ट्रांजिस्‍टर आधारित कंप्‍यूटर IBM 608 था। जिसे IBM कंपनी द्वारा बनाया गया था। 

4 सिलिकॉन ट्रांजिस्‍टर के आविष्‍कार से कैलकुलेटरों को गणना करने में काफी सुविधा हुए क्‍योंकि यह बूलियन अलजेब्रा’ के साथ मिलकर कार्य करने में सक्षम थे। इस अलजेब्रा की यह विशेषता थी की यह बाइनरी सिस्‍टम पर निर्भर था। इसमें 1 को सत्‍य और 0 को असत्‍य मानकर गणनाएँ की जाती थी।

दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य विशेषताएँ | Key features of second generation computers

1 दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर ट्रांजिस्‍टर आधारित थे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि पहली पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में जो काम वैक्‍यूम ट्यूब करती थी वही काम दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में ट्रांजिस्‍टर द्वारा किया जाने लगा था।  

2 ट्रांजिस्‍टर आधारित होने के कारण दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों का आकार पहली पीढ़ी की तुलना में छोटा हो गया था।

3 दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर पहली पीढ़ी की तुलना में कम बीजली की खपत करते थे। इसलिए कम गरमी उत्‍पन्‍न करते थे।

4 दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में बाइनरी कोड़ की जगह प्रोग्रामिंग कोर्ड लिखे जाने लगे थे।

5 2nd जनरेशन के कंप्‍यूटरों में मशीनी भाषा के स्‍थान पर उच्‍चस्‍तरीय प्रोगामिंग (एसेम्‍बली) भाषा का प्रयोग किया जाने लगा था। COBOL एवं FORTURAN जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास हुआ।   

दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य कमियाँ | Main drawbacks of seconds generation computers

1 2nd Generations of Computers आकार में भले ही छोटे हो गए थे किंतू अभी भी इन्‍हें ठंडा रखने की जरूरत पड़ती थी।

2 इस पीढ़ी के कंप्‍यूटरों का उपयोग विशेष उद्योगों में ही किया जाता था। जैसे परमाणु ऊर्जा के कार्यक्रमों में, सेना इत्‍यादि में।

3 इस पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को भी निरंतर रखरखाव की आवश्‍यकता होती थी।

4 दूसरी पीढ़ीके कंप्‍यूटर व्‍यावसायिक उपयोग के लिए नहीं थे। क्‍योंकि यह अभी भी मंहगे थे।

दूसरी पीढ़ी के मुख्‍य कंप्‍यूटर हैं  | 2nd Generation main computers

UNIVAC 11O8 COMPUTER
UNIVAC 11O8

picture source : creative commons

  • TRDIC
  • IBM 608
  • IBM 7094
  • CDC 1604
  • CDC 3600
  • UNIVAC 1108

तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर : एकीकृत सर्किट  | Third Generations of Computer in Hindi

कंप्‍यूटर की तीसरी पीढ़ी का समय सन् 1964 से सन् 1971 के बीच का माना जाता है। इस पीढ़ी की पहचान बना एकीकृत सर्किट। जिसे अंग्रेजी में Integrated circuits (IC) कहते हैं।  

Integrated circuits

यह भी जानें- 

1 एकीकृत सर्किट का आविष्‍कार सन् 1958- 1959 में  टेक्‍सास इंस्‍टूमेंट्स कंपनी के जैक किल्‍वी और फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्‍टर के रॉबर्ट नेयर द्वारा किया गया था।

2 Integrated circuits एक छोटी इलेक्‍ट्रानिक मशीन थी जो सिलिकॉन चिप की बनी थी। इस चिप पर कई छोटे आकार के टांजिस्‍टर लगे होते थे। जिसे अर्धचालक (Semiconductors) का नाम दिया गया था।

तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य विशेषताएँ | Key features of third generation computers

1 तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर Integrated circuits पर आधारित थे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि पहली पीढ़ी और दूसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में जो काम वैक्‍यूम ट्यूब और ट्रांजिस्‍टर करते थे। तीसरी पीढ़ी में वही काम Integrated circuits द्वारा किया जाने लगा था। 

2 तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में पहली बार मशीन को इनपुट देने के लिए punch card की बजाए कीबोर्ड (Keyboard) का उपयोग हुआ था। 

3 इसी प्रकार 3rd जनरेशन के कंप्‍यूटरों में पहली बार outputs लेने के लिए punch card की बजाए मॉनिटर स्‍क्रीन का उपयोग हुआ था।  

4 तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में पहली बार उपयोगकर्ता (Users) ने केंद्रीय प्रोग्राम (Central Program) का उपयोग कर कई एप्लिकेशनों को एक साथ चलाने का अनुभव पाया था।

5 इस पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में उच्‍चस्‍तरीय प्रोग्रामिग भाषाओं का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा था। जैसे- ALGO, BASIC, C, COBOL, Fortran, Java, Pascal.

6 इतना ही नहीं 3rd जनरेशन के कंप्‍यूटरों का आकार छोटा हो गया था। इस कारण इनके वज़न में भी कमी आ गई थी।

7 तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों का रखरखाव सरल हो गया था। जिसके परिणाम स्‍वरूप 60 के दशक में इनकी मांग में वृद्धि हुई।  

तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य कमियाँ | Main drawbacks of third generation computers

1 तीसरी पीढ़ी Integrated circuitsतकनीक परआधारित थी। इस IC के निर्माण के लिए अति परिष्‍कृत तकनीक की आवश्‍यकता होती थी।

2 कंप्‍यूटरों को अभी ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनिंग की जरूरत थी।  

तीसरी पीढ़ी के मूख्‍य कंप्‍यूटर | 3rd Generation main computers

  • IBM 360 
  • IBM 370
  • IBM 7094
  • ICL 1900
  • ICL 2900
  • PDP 8
  • PDP 11 इत्‍यादि।   

चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटर : माइक्रोप्रोसेसर  | Forth Generations of Computer in Hindi

कंप्‍यूटर की चौथी पीढ़ी का समय सन् 1971 से सन् 1985 के बीच का माना जाता है। इस पीढ़ी की पहचान बनी माइक्रोपोसेसर (Microprocessor) तकनीक।

यह भी जानें-

1 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटर LSI (Large Scale Integrated) और VLSI (Very Large Scale Integrated Circuits) तकनीक पर आधारित थे। इन दोनों तकनीको से यह संभव हुआ था कि एक ही चिप पर लगभग 10,000 से लेकर 1,00,000 ट्रांजिस्‍टर लगाए जा सकते थे।

2 LSI या VLSI तकनीक का प्रयोग करने वाले कंप्‍यूटरों को माइक्रो कंप्‍यूटर कहा जाने लगा था।

3 सबसे पहला माइक्रो कंप्‍यूटर कौन-सा था? इस विषय पर इतिहासकार एकमत नहीं हैं। क्‍योंकि लगभग एक ही समय (1971) पर तीन कंपनियों ने अलग- अलग चिप डिजाइन किए थे। इन चिपों से बने कंप्‍यूटरों को ‘माइक्रोप्रोसेसर’ का नाम दिया गया था।

4 पहला दावा अमे‍रिकी कंप्‍यूटर कंपनी वायटॉन (Viatron) का था। जिसने सबसे पहले ‘माइक्रोप्रोसेसर’ शब्‍द गढ़ा था। किंतू इस शब्‍द का अर्थ आज के कंप्‍यूटरों से मेल नहीं खाता। इस कंपनी ने LSI (Large Scale Integrated Circuit Technology) पर काम करते हुए सिस्‍टम 21 टर्मिनल (System 21 Terminal) के अंतर्गत दो चिप बनाए 2101 और 2111 इन चिपों का प्रयोग मुख्‍य रूप से दो कंप्‍यूटर हैं-

  • MOS LSI CPU 2140
  • MOS LSI CPU 2150  

5 दूसरा दावा अमेरिका की ही इंटेल बहुराष्‍ट्रीय प्रोद्योगिकी कॉरपोरेशन (Intel multinational technology corporation का था। इंटेल कॉरपोरेशन ने ए‍क जापानी कंपनी बिस्‍कॉम कॉरपोरेशन (Busiom Corporation)  को एक ऐसा चिप बना को कहा था। जो सबसे उन्‍नत एकीकृत सर्किट (IC) हो। Busiom Corporation ने 4004 MOS चिप तैयार किया। इस चिप के निर्माण में LSI और VLSI दोनों ही तकनीकों का प्रयोग किया गया था।

6 तीसरा दावा Garrtt Airesearch द्वारा विकसित CADC चिप का था। इस चिप को विशेष रूप से तैयार किया गेलर और रे होल्‍ट के नेतृत्‍व वाली टीम ने।  विशेष रूप से अमेरिकी वायु सेना और नौसेना के F-14 टॉमकैट फाइटर पलेन के लिए। कयोंकि1980 के दशक से पहले के वायुयानों में इलेक्‍ट्रोमैकेनिकल कंप्‍यूटर लगे होते थे।

7 अब तो आप समझ ही गए होंगे कि सबसे पहला माइक्रोप्रोसेसर प्रयोग करने वाला कंप्‍यूटर के विषय में कुछ कह पाना इतिहासकारों के लिए मुश्‍किल क्‍यों था।

चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य विशेषताएँ | Key features of fourth generation computers

1 4th जनरेशन के कंप्‍यूटरों में LSI और VLS दोनों  तकनीकों के मिलेजुले रूप का प्रयोग हुआ था।

2 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों के अंदर Semiconductor memory को Magnetic memory में बदला गया था। जिस कारण तेज गति से random access memory की प्राप्‍ति हुई। जिसका परिणाम यह हुआ कि कंप्‍यूटरों की मेमोरी पहले की पीढ़ि‍यो की तुलना में अधिक हो गई।  

3 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में कंप्‍यूटर के सभी घटक (Components) जैसे-

  • CPU,
  • Memory,
  • input,
  • output

को कंट्रोल करने के लिए उन्‍हें एक ही चिप पर लगाया गया था।

4 इस पीढ़ी में MS-DOS और Windows के विकास हुआ।   

5 4th जनरेशन में पहली बार कंप्‍यूटर को घरेलू उपयोग के लिए डिजाइन किया गया था। इसका उदाहरण 1984 में Apple company द्वारा प्रस्‍तुत Macintosh computer है।

6 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में Graphical user interface (GUI) और mouse का विकास हुआ। इतना ही नहीं इसी पीढ़ी में Laptop का भी आविष्‍कार हुआ।

7 चौथी पीढ़ी में 4GL अवधारणा (concept) का विकास हुआ। 4GL concept की विशेषता यह थी कि यह 3GL की अवधारणा को साथ लेकर गैर-प्रक्रियात्‍मक (non-procedural) या प्रोग्राम-जनरेटिंग (program-generating) भाषाओं के रूप में काम कर सकता था।

8 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को पहले की पीढ़ि‍यों की तुलना में  बहुत कम रखरखाव की आवश्‍यकता थी।  

9 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को चलाने के लिए पहले की पीढ़ियों की अपेक्षा में कम बीजली की जरूरत थी। इसलिए इस पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को ठंड़ा करने के लिए एयर कंडीशन की जरूरत नहीं थी।   

10 चंकि चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों का आकार छोटा हो गया था। इसलिए कंप्‍यूटरों को आपस में इंटरनेट के माध्‍यम से जोड़ने का काम सफल प्रयास हुआ।

11 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटर वैज्ञानिकों का मुख्‍य उद्देश्‍य कंप्‍यूटर के उपयोग को साधारण व्‍यक्यि के उपयोग लायक बनाना था। ताकि उपयोगकर्ता न्‍यूनतम प्रयास द्वारा किसी भी प्रकार की जानकारी को प्राप्‍त कर सके। 

12 चौथी पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने कंप्‍यूटर के उपयोग को  सरल बनाने के लिए कई सॉफ्टवेयर तैयार किए जैसे- ORACLE, SQL, *CLS SQL, *FORMS, *REPORT SQL, *PLUS आदि। ताकि कंप्‍यूट user friendly बन सकें।

13 इस पीढ़ी के कंप्‍यूटर वैज्ञानिकों ने कंप्‍यूटरों की कीमतों में कमी लाने की दिशा में भी प्रयास किया। ताकि वह साधारण व्‍यकित की पहुँच के अंदर आ सकें।

चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य कमियाँ | Main drawbacks of fourth generation computers

1 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग हुआ था। इसलिए माइक्रोप्रोसेसरके डिजाइन और निर्माण के लिए अत्‍यधिक कुशल कर्मचारियों की जरूरत होती है। इस कारण इस चिप उत्‍पादन कुछ कंपनियों (Intel, Cypress Semiconductor, Western Design Center, etc) तक सीमित हो  गया।

2 पर्सनल कंप्‍यूटर के आगमन से इंटनेट के चलन को बढ़ावा मिला। जिसके परिणाम स्‍वरूप सिस्‍टम पर वायरस के हमले की संभावना बढ़ गई। इस हमले से यूजर्स की गोपनीय जानकारी के लिक होने का खतरा भी बढ़ गया।

3 चौथी पीढ़ी में Users friendly सॉफ्वेय बनाए गए। जैसे 4GLs आदि। जिससे CPU की गति धीमी हो जाती है। इतना ही नहीं यह कंप्‍यूटर की मेमोरी में अधिक स्‍थान घेरते थे।

4 चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को भले ही एयर कंडीशन की जरूरत नहीं थी किंतू इनको ठंड़ा रखने के लिए फैन की आवश्‍यकता अभी भी है। 

चौथी पीढ़ी के मुख्‍य कंप्‍यूटर | 4th Generation main computers  

  • IBM 4341 
  • PDP-11/03
  • PDP-11/34
  • STAR 1000
  • CRAY-1 (Super Computer)
  • CRAY- X -MP (Super Computer) 

पांचवीं पीढ़ी के कंप्‍यूटर : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  | Fifth Generations of Computer in Hindi

कंप्‍यूटर की पांचवीं पीढ़ी का समय सन् 1985 से वर्तमान तक माना जाता है। पर इस पीढ़ी की नींव सन् 1980 में ही पढ़ गई थी। पांचवीं पीढ़ी की पहचान बनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस Artificial intelligence (AI) तकनीक।

यह भी जानें-

1 पांचवीं पीढ़ी के कंप्‍यूटर ULSI (Ultra Large Scale Integration) पर आधारित थे। इस तकनीक के द्वारा एक ही चिप पर लगभग दस मिलियन (10,00,000) इलेक्‍ट्रॉनिक कंपोनेंट लगाएं जा सकते हैं।

2 पांचवी पीढ़ी के कंप्‍यूटर वैज्ञानिक ऐसे कंप्‍यूटरों का निर्माण करने में लगे हैं, जो मानव की तरह व्‍यवहार करे। तथा किसी समस्‍या को इंटरनेट का प्रयोग कर खुद से हल कर सकें। इसे उन्‍होंने नाम दिया हैं- रोबोट’ (Robot) इसका सबसे अच्‍छा उदाहरण AI आधारित रोबोट ‘सोफिया’ (Sophia)। 

पांचवी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य विशेषताएँ | Key features of third generation computers

1 5th जनरेशन के कंप्‍यूटरों में ULSI (Ultra Large Scale Integration) तकनीक का प्रयोग हुआ हो रहा है। 

2 पांचवीं पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को प्रोग्रामर के बिना कंप्‍यूटर को किसी सम्‍स्‍या को हल करने के लिए तैयार किया गया है। इसके लिए users को केवल इस बात की चिंता करने की आवश्‍यकता है कि किन सम्‍सयाओं को हल करने की आवश्‍यकता है और किन परिस्थितियों को पूरा करने की आवश्‍यकता है। अब users को इस बात की चिंता नहीं करनी कि रूटीन या एल्‍गोरिदम को लागू कैसे करना है। 

3 पंचम पीढ़ी के कंप्‍यूटरों का उपयोग आज हर क्षेत्र में हो रहा है। जैसे-

  • शिक्षा
  • व्‍यापार
  • उद्योग
  • यातायात
  • चिकित्‍सा
  • फिल्‍म निर्माण आदि।

4 पांचवी पीढ़ी के कंप्‍यूटरों को अधिक Users friendly बनाने के लिए GUL (Graphical User Interface) तैयार किया गया है।

5 पंचम पीढ़ी में आवाज पहचानने की तकनीक का विकास हुआ है। इसका उदाहरण ‘विंडोज कोर्टाना’ (Windows Cortana), ‘गूगल असिस्‍टेंट’ (Google Assistant), ‘एप्‍पल सीरो’ (Apple Siri) है।

6 5th जनरेशन के कंप्‍यूटर वैज्ञानिक, वर्तमान कंप्‍यूटर के आकार को और छोटा कर घड़ी के आकार तक लाने के प्रयास में लगें हैं।

7 इस पीढ़ी में कंप्‍यूटर वैज्ञानिक का लक्ष्‍य ऐसी मशीनों के निर्माण हैं, जो प्राकृतिक भाषा (Natural Language) को समझ कर कार्य कर सके।

8 पांचवी पीढ़ी में ही मल्‍टीमीडिया (Multimedia) का विकास हुआ है। मल्‍टीमीडिया का अर्थ है-  ध्‍वनी (Sound), दृश्‍य (Graphics), पाठ (Text) का मिला रूप।

पांचवीं पीढ़ी के कंप्‍यूटरों की मुख्‍य कमियाँ | Main drawbacks of third generation computers

1 पांचवीं पीढ़ी के कंप्‍यूटर मानव मस्तिष्‍क को अधिक सुस्‍त बनाते हैं। इस बात की आशंका कुछ कंप्‍यूटर वैज्ञानिको ने जताई हैं कि आगे चलकर कंप्‍यूटर मानव मस्तिष्‍क को प्रराजित कर सकते हैं।

पांचवी पीढ़ी के मुख्‍य कंप्‍यूटर | 5th Generation main computers  

  • डेस्‍कटॉप (Desktop) कंप्‍यूटर इसे व्‍यक्तिगत कंप्‍यूटर भी कहते हैं।       
  • लैपटॉप (Laptop) कंप्‍यूटर इसे पर्सनल कंप्‍यूटर भी कहते हैं।   
  • नोटबुक (Notebook) कंप्‍यूटर लैपटॉप से भी हल्‍के होते हैं।  
  • अल्‍ट्राबुक (Ultrabook)
  • क्रोमबुक (Chromebook

निष्‍कर्ष | Conclusion

आशा है इस लेख के माध्‍यम से आप कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍याँ (जनरेशन) को सरलता से समझ पाएंं होंगे।

यदि यह जानकारी आपको अच्‍छी लगी हो तो कृपया  अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। इस जानकारी को अपने मित्रों और परिवार वालों के साथ Facebook, Quora आदि Social media platform पर share जरूर करें।  

धन्‍यवाद !

Nalini Bahl

मैं Nalini Bahl, Paramhindi.com की Author & Founder हूँ।  मैने Delhi University से बी. कॉम और IGNOU से एम. ए. हिंदी किया है। मैं गंगा इंटरनेशनल स्‍कूल की एक ब्रांच की पूर्व अध्‍यापिका हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं स्‍कूली पुस्‍तकें छापने वाले, कई प्रसिद्ध प्रकाशकों के साथ काम किया है। स्‍व‍तंत्र लेखक के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई हिंदी पाठ्य पुस्‍तकों और व्‍याकरण की पुस्‍तकों की रचना की है। मुझे नई-नई जानकारियाँ प्राप्‍त करना और उसे दूसरों के साथ बाँटना अच्‍छा लगता है।

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